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Gumnam Shayar Mahboob

बस चंद सांसों का खेल है "महबूब"
वरना अभी वो आयेगी मेरे पास दौड़ते हुए #दौड़ते #चंद #सांसों #खेल #महबूब 
#पास #गुमनाम_शायर_महबूब 
#gumnam_shayar_mahboob

RAKESH NAYAK

" अब सब धुंधला सा लगता है " . . . . . .

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जिंदगी जितने की दौड़ में दौड़ते-दौड़ते
अपनो के साथ
आज कहीं खुदमें खुद को हार गया हूँ
अब सब धुएं सा लगता है " अब सब धुंधला सा लगता है "

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 1 - धर्मो धारयति प्रजाः आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
1 - धर्मो धारयति प्रजाः

आज की बात नहीं है। बात है उस समय की, जब पृथ्वी की केन्द्रच्युति हुई, अर्थात् आज से कई लाख वर्ष पूर्व की। केन्द्रच्युति से पूर्व उत्तर तथा दक्षिण के दोनों प्रदेशों में मनुष्य सुखपूर्वक रहते थे। आज के समान वहाँ हिम का साम्राज्य नहीं था, यह बात अब भौतिक विज्ञान के भू-तत्त्वज्ञ तथा प्राणिशास्त्र के ज्ञाताओं ने स्वीकार कर ली है।

पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुवप्रदेश में बहुत बड़ा महाद्वीप था अन्तःकारिक। महाद्वीप तो वह आज भी है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 15 - राधे-श्याम का कुआँ 'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।' मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
15 - राधे-श्याम का कुआँ

'इस कुऐँ में राधेश्याम कहना होता है। राधेश्याम कहो।'

मेरे साथी ने मुझे प्रेरित करते हुए स्वयं कुएं में मुँह झुकाकर बड़ी लम्बी ध्वनि से कहा 'रा-धे-श्या-म।'

mshweta145

happy janmashtami

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मैं ना हारु ऐसी कृपा करना
 गिर जाऊ जब कभी दौड़ते दौड़ते तो 
हे ईश्वर मुझे फिर से खड़ा करना 
मेहनत मेरी साथ तेरा होगा 
तभी तो इस जहां में नाम मेरा होगा  #NojotoQuote happy janmashtami

shivji

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मन और मंज़िल  अफसानो से बने थे दिल के मुकाम दौड़ते दौड़ते जिंदगी निकल गई

Sonam Jain

rainy memories of school time# beautiful time

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It was raining outside उफ्फ! ये बारिश
मुझे स्कूल के दिन याद दिलाती है
वो सुबह का भीगता हुआ समय
मेरे स्कूल जाने की हाय
तेरा यूं दौड़ते दौड़ते धीरे धीरे चलना
ऐसे में मेरे हाथ में छतरी का आ जाना
पीठ पर हमारे किताबों की तिजोरी
चल मेरे भाई, देर हो रही
उफ्फ! ये बारिश
मुझे स्कूल के दिन याद दिलाती हैं
अपने आप को पहले तुझसे बचाते
 फिर गीली किताबो को मेज़ पर सुखाते
बिजली की कड़कड़ाहट कभी कभी हमको पढ़ाती
 सर की जगह वो हमे डरा जाती
खिड़कियों से बूंद इशारा करती
दोस्तो के साथ खेलने को मैदान- ए -पिटारा भरती
उफ्फ! ये बारिश
मुझे स्कूल के दिन याद दिलाती है
आधे बच्चे का बन जाय तू बहाना
आधी छुट्टी में कर दे स्कूल हमे रवाना
आधे भीगते भागते घर को पहुंचे
आधी पढ़ाई को लेकर दिन भर सोचे
इस तरह बारिश भरती है आधी छुट्टियों का किनारा
बच्चो को आधा बिगाड़ने में तेरा भी सहारा
उफ्फ! ये बारिश
मुझे स्कूल के दिन याद दिलाती है rainy memories of school time# beautiful time

Harshit Singh

पापा की जेब से चुराया हूं
दौड़ते दौड़ते आपकी साइकिल के पीछे आया हूं
 दो चार समोसे दे देना
 जो छुट्टा बचे उसे वापस कर देना #hindiurdupoetry #poetryhindi #nojoto#alfaj_dil_k

Arnav Anjaanaa

क्या लिखूं # जिससे मोहब्बत बेतहाशा थी है और रहेगी ना सोचा था अर्णव वो इतना रुलाएगी

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जिंदगी की रफ्तार से दौड़ते दौड़ते किसी ने अपनों को पीछे छोड़ दिया तो किसी को अपनों ने पीछे छोड़ दिया #gif क्या लिखूं
# जिससे मोहब्बत बेतहाशा थी है और   रहेगी
 ना सोचा था अर्णव वो इतना 
रुलाएगी

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 28 - स्पर्धा कन्हाई अतिशय सुकुमार है और सखाओं में सबसे अनेक विषयों में तो तोक से भी दुर्बल है, किन्तु हठी इतना है कि जो धुन चढेगी पूरा किये किये बिना मानेगा। सब खेलों में आगे कूदेगा भले वह इसके लिए बहुत कठिन हो। अब आज दाऊ ने लम्बी छलाँग का प्रस्ताव किया तो सबसे पहिले पटुका, वनमाला उतार कर दूर रखकर प्रस्तुत हो गया! अलकें तो इसकी सुबल ने समेट कर पीछे बॉंधी। 'कृष्ण! तू रहने दे!' भद्र ने कहा - 'तू यहां एक ओर बैठकर देख कि कौन कहाँ तक कूदता है। हममें-से किसी को निर्णय करने वाला भी

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|| श्री हरि: || 
28 - स्पर्धा

कन्हाई अतिशय सुकुमार है और सखाओं में सबसे अनेक विषयों में तो तोक से भी दुर्बल है, किन्तु हठी इतना है कि जो धुन चढेगी पूरा किये किये बिना मानेगा। सब खेलों में आगे कूदेगा भले वह इसके लिए बहुत कठिन हो।

अब आज दाऊ ने लम्बी छलाँग का प्रस्ताव किया तो सबसे पहिले पटुका, वनमाला उतार कर दूर रखकर प्रस्तुत हो गया! अलकें तो इसकी सुबल ने समेट कर पीछे बॉंधी।

'कृष्ण! तू रहने दे!' भद्र ने कहा - 'तू यहां एक ओर बैठकर देख कि कौन कहाँ तक कूदता है। हममें-से किसी को निर्णय करने वाला भी
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