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Anamika
स्त्रियां ईश्वर की नेमत है,बिल्कुल पवित्र जल की तरह.. बहाव के साथ, बहती जाती उसी वेग से. ढ़ल जाती उसी पात्र में, जैसे हर सांचा बना हो,उसी के लिए...किंतु जब होता खिलवाड़, उसकी भावनाओं का, बन उफ़ान तोड़ देती सब्र बांध का... तूलिका गर्ग.. #cinemagraph #स्त्रियाँ #वेग#जल#बांध #तूलिका #योरकोट #पात्र
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read moreवेदों की दिशा
।। ॐ ।। तस्मै तृणं निदधावेतदादत्स्वेति तदुपप्रेयाय सर्वजवेन तन्न शशाकादातुं स तत एव निववृते नैतदशकं विज्ञातुं यदेतद्यक्शमिति ॥ उस यक्ष ने उसके सम्मुख एक तिनका रखा; ''इसे ले जाओ।'' वह अपने पूर्ण वेग से तिनके की ओर बढ़ा, पर उसे ले नहीं सका। वहीं निश्चेष्ट हो गया, और वहीं से वह वापिस लौट आया; ''मैं नहीं जान सका कि 'वह' बलशाली यक्ष क्या है। That set before him a blade of grass; “This take.” He went towards it with all his speed and he could not take it. Even there he ceased, even thence he returned; “I could not discern of That, what is this mighty Daemon.” केनोपनिषद तृतीय खण्ड मंत्र १० #केनोपनिषद #मंत्र #उपनिषद #वायु #वेग #यक्ष
Rupam Rajbhar
मैं बह रही परवाह वेग से अपने लक्ष्य को पाने के लिए तुम भी एक वेग बन जाओ। #alone #विचार #कविता #कहानी #सारी #कला #कॉमेडी #संगीत #nojoto #nojotohindi
anil kumar y625163
संसार में किसी का कुछ नहीं| ख्वाहमख्वाह अपना समझना मूर्खता है, क्योंकि अपना होता हुआ भी, कुछ भी अपना नहीं होता| इसलिए हैरानी होती है, घमण्ड क्यों? किसलिए? किसका? कुछ रुपये दान करने वाला यदि यह कहे कि उसने ऐसा किया है, तो उससे बड़ा मुर्ख और कोई नहीं और ऐसे भी हैं, जो हर महीने लाखों का दान करने हैं, लेकिन उसका जिक्र तक नहीं करते, न करने देते हैं| वास्तव में जरूरतमंद और पीड़ित की सहायता ही दान है, पुण्य है| ऐसे व्यक्ति पर सरस्वती की सदा कृपा होती है| पर क्या किया जाए, देवताओं तक को अभिमान हो जाता
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 4 - आस्तिक 'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था। 'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 19 - हारे को हरिनाम नदी घड़ियालों से भरी थी, आकाश मच्छरों से, तटीय प्रदेश लम्बी घासों से, जिनमें विषैले सर्पों की गणना नहीं और वन में हाथी, शेर, तेंदुए, चीते। वृक्षों पर भी निरापद शरण लेना सम्भव नहीं था। वहाँ भी सर्प और तेंदुए स्वच्छन्द छलांग ले सकते थे। उसने सोचा भी नहीं था कि बर्मा के इस प्रदेश में उसे रात्रि व्यतीत करनी पड़ेगी। सूर्यास्त के पूर्व ही वे लौट जायेंगे, ऐसा उनका विचार था। लेकिन सूर्य पश्चिम में पहुँच चुके और अब भी पता नहीं
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 15 - कलियुग के अन्त में आपने यदि वैज्ञानिक कही जाने वाली कहानियों में से कोई पढी हैं तो देखा होगा कि किस प्रकार दो-चार शती आगे की परिस्थिति का उनमें अनुमान किया जाता है और वह अनुमान अधिकांश निराधार ही होता है। यह कहानी भी उसी प्रकार की एक काल्पनिक अनुमान मात्र प्रस्तुत करती है; किंतु यह सर्वथा निराधार नहीं है। पुराणों में कलियुग के अन्त समय का जो वर्णन है, वह सत्य है; क्योंकि पुराण सर्वज्ञ भगवान् व्यास की कृति है। उनमें भ्रम, प्रमाद सम्भव न
read moreSarika Mishra
ना कभी हताश हो ना कभी थको तुम वक़्त के वेग को थाम लो सिर्फ तुम जो ना रुके मुठियों के भींच मे रेत सा फिसल जाने दो तुम अंधकार के भय से नेत्र को न मूंदों तुम ज्ञान की पुंज ले उत्थान सिर्फ करो तुम नभ की ऊंचाइयों से द्धेष ना करो तुम धरा की गोद मे नित्य अनन्य केतु(ध्वज) फहराओ तुम ना कभी हताश हो ना कभी थको तुम वक़्त के वेग को थाम लो सिर्फ तुम #bachapan #potery #books #love #NojotoPhoto #nojotohindi #nojoto #quotes
Bharat Bhushan Jha"Bharat"
रोको ना हीं वेग की, स्वतः निरर्थक होय। वेग अगर तुम थाम ते, विद्ध्वंशक हो खोय।। भारत भूषण झा"भरत"
Kiran Rani
काली घनेरी रात जिसमें प्रभु जन्म लियो आप , रचाई तुमने ऐसी लीला खुल गए सब कारावास | देवकी और सब सैनिक पड़े हुए थे निस्तेज, बाहर बरखा आंधी और नदी में वेग तेज़ || वासुदेव चले गोकुल को सर पर रख कर तुमको , छू चरण कमल नदी वेग ने किया नमन तुमको | पहुंच गोकुल धाम भये यसोदा नंदन तुम , रंग भरी लीला कर के हर लेते सबका मन तुम | | प्यारी मनमोहक मीठी मुस्कान बिखेर, कर गए सहज कितने ही असुरों को ढेर | मिश्री माखन चुरा सोख से खाते और खिलाते , शरारत कर गोपियों की मटकी फोड़ सताते || मीठी बांसुरी ताान छेड़ कर कृष्ण सांवरे , गईया , गोपाल, गोपियों के दिल होते बाँवरे | राधा संग मिलकर कान्हा तुम राधेकृष्ण कहाते , यमुना तट पर बैठ सांवरे राधा संग रास रचाते || वृन्दावन में चटक चांदनी सब गोपी की प्यास बुझाते , जन्मों से भटकी आत्माओ कान्हा तुम मोक्ष पहुंचाते | अद्भुत शुद्ध प्रेम प्रणय का कान्हा तुम पाठ पढाते , अंतर आत्मा में बसकर शारीरिक मोह को मिटाते || कान्हा , कृष्णा मनमोहक मनोहर तुम सबके , जीवन का हमको हर पल हर क्षण पाठ पढ़ाते | विपरीत परिस्थियों में भी सबको खुशियां देना, साक्षी भाव में रहकर सामुहिकता में जीना || काली घनेरी रात में प्रभु हम सबको जीना सिखाते..... "किरन " krishan janmastmi #krishan Leela #krishan janamastmi