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Reena Patel
किया आफत हे छाई यू चारो ओर ....... हर जगह पर खोफ का नजारा हे छाया....!! कब मिलेगी मुक्ती इससे... यही चाहे हर कोई.....!! बस तुम सब से यही हे चाहत मेरी..... खुद की व अपनो की करो तुम परवाह... लाचारो को दो तुम खूब सारे फ्रूट, ओर पकवान.... इमोनिटी सबकी बडी रहे... बस यही चाहत हे मेरी.... डरना नहीं हे इससे तुम्हे.... बल्कि डट के लड़ना है इससे....!! किया उखाड़ लेगा corona (कोरोना) अपना...... मुंह में मास्क पहन दूर डगर... इसे दबोच मार गिराना है..!! खूब करली उसने अपनी मनमानी..... अब एक जुट होकर.... इसे मार गिराना है...!!! @_kuchbaateindilki_ Reena Patel #National_Safety_Day #दी गई निर्देशों का पालन करें #भागे नहीं बल्कि डट के इसका मुकाबला करें#व्यायाम करें#मास्क को पहने उसे ना भूले#hathon ko bar bar sanitizer se clean kare #Reenapatel#Nojotofriends #kuchbaateindilki 💕💕
#National_Safety_Day #दी गई निर्देशों का पालन करें #भागे नहीं बल्कि डट के इसका मुकाबला करेंव्यायाम करेंमास्क को पहने उसे ना भूलेhathon ko bar bar sanitizer se clean kare Reenapatelfriends #kuchbaateindilki 💕💕
read moreठाकुर नीलमणि
चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया! एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया, आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।। शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया। हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया। बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया। निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।। यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया?? खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को, पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया । हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की । एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।। बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:; रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।। लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था, हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।। क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया?? कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:; क्या? इतना अवकाश भी न पाया।। अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; दस्तक मौत का आया।। जिस से भागे भागे फिरते थे;; आज उसे सबसे करीब पाया।। ................................... NILMANI THAKUR #MeraShehar
ठाकुर नीलमणि
जीवन की रफ्तार ...................................................................................... चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया! एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया, आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।। शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया। हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया। बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया। निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।। यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया?? खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को, पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया । हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की । एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।। बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:; रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।। लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था, हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।। क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया?? कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:; क्या? इतना अवकाश भी न पाया।। अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; दस्तक मौत का आया।। जिस से भागे भागे फिरते थे;; आज उसे सबसे करीब पाया।। ................................... NILMANI THAKUR #जीवन की रफ्तार Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Anita
#जीवन की रफ्तार Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Anita
read morePalash Sharma
( Effort ) तुम्हें पता है , हम लड़के कितने effort मारते है नही पता ...? चलो बताता हूँ हम लड़के बहुत effort मरते है सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत और खुद को तुम्हारे साथ देखने के लिए
( Effort ) तुम्हें पता है , हम लड़के कितने effort मारते है नही पता ...? चलो बताता हूँ हम लड़के बहुत effort मरते है सिर्फ तुम्हारी मोहब्बत और खुद को तुम्हारे साथ देखने के लिए
read moreRashmi Kumari
आज-कल आजकल वक़्त का रोना है खूब....... कल भी 24 की थी ,आज भी है यूँ........ ना जाने सरपट सब भागे जा रहे क्यूँ........ #Aajkal# सरपट #भागे जा रहें क्यूँ##शायरी#कविता#रश्मि आनंद
Sheetal Adhikari
नफरत की आग बैचेन मन भागे रे भागे सुनकर उसकी अल्फाज़ वो सुकून से जिता जाए हम तकलीफों में लेते हैं साँस दिल तो है दिल नादान है बेचारा नफ़रत की आग समझ न पाया आँख भर उसे तकते रहे हम और तकलीफों से रूबरू हमें उसने कराया । -Sheetal #nafratkiaag #shortpoetry #Sheetaladhikari #Nojoto
#nafratkiaag #shortpoetry #Sheetaladhikari
read more@Deep Chahal99
वो हमे मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के पकिस्तान बना दिया भारत का दिल चीर के भाई भाई अलग कर दिये हिन्दू मुसलमान सिख बोल के वो हमें मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के कोई छुट गये अटारी तो कोई लाहौर पहुँच गये अपने ही कस्बे मे मारा सरेआम हमें काफिर बोल के वो हमें मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के हकुमत के कुछ शातिरो ने खेल ऐसे खेले कुछ दिलो की नफरतो ने खुद को तब्दील कर दिया सरहदो की लकीर में वो हमें मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के कुछ अली मोहम्मद बिछड़े अम्मी से तो कुछ अमरो बिछड़ी अपनो से वो अपनो की लाशों से गुजर रहे थे।उन्हे लावारिश छोड़ के कुछ बही सिमट गये रूकती सासों में प्यार बदल गये नफरत भरी तलवारो मे कुछ आँसु लिए भागे सब अपना छोड़ अपनी पुरानी उस जमीन पे वो हमें मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के सन 47 के दिन आज भी दिल दहलाते है जब भरे काफिले मे नन्हे मासूम के अपनो से हाथ बिछड़ते नजर आते हैं दहशत उजाड़ गयी आशियाने अरसे से बसे इक दीन के वो हमे मुल्क दे रहे थे हमारा घर छीन के कुछ नये हिन्दुस्तान भागे पुराने बसते हिन्दुस्तान से कुछ भागे छोड़ घर नये बसे पकिस्तान में इक पंजाब लहन्दा दुजा चड़दा कर दिया साथ खेलते यारो का बड़ी दुर टिकाना कर दिया बिछड़े ऐसे की आज भी पुराने उस घर की आयी याद मे आखों से समुद्र बहने लगे नीर के वो हमें हिन्दूस्तान दे रहे थे हमारा घर छीन के वो हमें पकिस्तान दे रहे थे हमारा घर छीन के
Sapan Kumar
#OpenPoetry कभी तोड़ना ना कसमों की डोर, पल पल मन भागे तेरी ओर , कभी जाना ना तू मुझको छोड़, चाहें कर लेना सितम कोई और, जब कभी भी तू मुझसे रुठे, मेरे अरमा हो जाए सारे झूठे, और जब चाहें जाना तू मुझसे दूर, बस एक पल के लिए , मुझे सीने से लगाकर, सुन लेना मेरे दिल की शोर सजना मन ना लगे लगे कही और, हर घड़ी मन भागे तेरी ओर, तुम्हें ही देखने को हैं नजरें दौड़े चारों ओर कभी तोड़ना ना कसमों की डोर चाहें कर लेना सितम कोई और #OpenPoetry
ANJU SANOTRA
भागे भागे फिरते हैं, जज्बात इधर उधर जहां सुकून मिले इन्हें वो ठिकाना कहां ? ❤ #nojotohindi #writer
Pnkj Dixit
"राधा का श्रंगार" २६/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' आज का आयोजन __ चित्रलेखन दिन __ बुधवार दिनांक ___ २६/०६/२०१९ विधा ___ गीत #राधा_का_श्रंगार ______________ आ री राधिके! तेरे घन केश संवारु तू निहार दर्पण , मैं तुम्हें निहारु
आज का आयोजन __ चित्रलेखन दिन __ बुधवार दिनांक ___ २६/०६/२०१९ विधा ___ गीत राधा_का_श्रंगार ______________ आ री राधिके! तेरे घन केश संवारु तू निहार दर्पण , मैं तुम्हें निहारु
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