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poonam atrey
White निस्वार्थ बाँटती है क़ुदरत ,अपना अनमोल खज़ाना, निज स्वार्थ में अंधे हो हमने,इसका मोल नही पहचाना, काटते रहे इसके अलंकार ,जो तन पर इसके सजते थे, वो पीपल ,बरगद ,अमलतास,वो हिय में इसके बसते थे, रखकर धैर्य सहती रही , इंसानो के अत्याचारों को, वो नम आँखों से रही झेलती ,सीने पर होते वारों को, वो धीर रही ,गंभीर रही , बस देख समय के धारो को, हम बच्चे होकर भूल गए ,माँ प्रकृति के उपकारों को।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #धीर #माँप्रकृति #उपकार #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिंदी vinay panwar Mukesh Poonia VIPUL KUMAR Deep isq Shayri #lover Jeevan gamerz VIPUL KUMAR Deep isq Shayri #lover Jeevan gamerz Parul (kiran)Yadav Kalpana Korgaonkar भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Payal Das PURAN SINGH CHILWAL Mahi M D Lx Muktar वंदना .... Kiran kumari Patel Madhusudan Shrivastava कवि आलोक मिश्र "दीपक" Rita kumari Anshu writer AD Kiran Subash Sharma Rita kumari Tripti kumari Sunita Pathania Andy Mann Bhanu Priya hitesh chatur
#धीर #माँप्रकृति #उपकार #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिंदी vinay panwar Mukesh Poonia VIPUL KUMAR Deep isq Shayri #lover Jeevan gamerz VIPUL KUMAR Deep isq Shayri #lover Jeevan gamerz Parul (kiran)Yadav Kalpana Korgaonkar भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Payal Das PURAN SINGH CHILWAL Mahi M D Lx Muktar वंदना .... Kiran kumari Patel Madhusudan Shrivastava कवि आलोक मिश्र "दीपक" Rita kumari Anshu writer AD Kiran Subash Sharma Rita kumari Tripti kumari Sunita Pathania Andy Mann Bhanu Priya hitesh chatur
read moreaaj_ki_peshkash
सागराने नाविका #मनी #संकट मोठे पेरले, वादळाने होडीस एका दशदिशांनी घेरले शीड तुटले, खीळ तुटले, #कथा काय या वल्ह्याची, नाविकास ही फिकीर नव्हती, पुढे राहिल्या पल्ल्याची... #नशीब नव्हते पाठीशी, नव्हता #अनुभव गाठीशी उभा ठाकला एकटाच, #युद्ध होते वादळाच्या वय वर्षे साठीशी स्वबळी #विश्वास मोठा, त्यास तोड कर्तुत्वही
read moreचाँदनी
मै चीरना चाहती हू ख़ुद के अंदर की वो सारी आवाजें जो युगों युगों से खामोश रखी है मुझे मै हृदय की आग को दिसम्बर की बर्फीली लहर मे समेटना चाहती हू जी वर्षो से सीने मे धधक रही है पर रिवाजों का कैद बहुत गहरा है और संस्कारों का पिंजर बेड़ियों से लबालब धीर! मेरे रूह की अपर्याप्तता बताती है ©चाँदनी #धीर
poonam atrey
निस्वार्थ बाँटती है क़ुदरत ,अपना अनमोल खज़ाना, निज स्वार्थ में अंधे हो हमने,इसका मोल नही पहचाना, काटते रहे इसके अलंकार ,जो तन पर इसके सजते थे, वो पीपल ,बरगद ,अमलतास,वो हिय में इसके बसते थे, रखकर धैर्य सहती रही , इंसानो के अत्याचारों को, वो नम आँखों से रही झेलती ,सीने पर होते वारों को, वो धीर रही ,गंभीर रही , बस देख समय के धारो को, हम बच्चे होकर भूल गए ,माँ प्रकृति के उपकारों को।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #धीर Poonam Suyal Payal Das @gyanendra pandey Sunita Pathania Sethi Ji Balwinder Pal Navash2411 Ambika Mallik Urvashi Kapoor Puja Udeshi Kirti Pandey रविन्द्र 'गुल' ek shayar पथिक M A Rana Praveen Jain "पल्लव" पथिक Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Mahi प्रज्ञा Mili Saha Bhavana kmishra RUPENDRA SAHU "रूप" Lalit Saxena Niaz Sita Prasad Ashutosh Mishra अदनासा- Kamlesh Kandpal
#धीर Poonam Suyal Payal Das @gyanendra pandey Sunita Pathania Sethi Ji Balwinder Pal Navash2411 Ambika Mallik Urvashi Kapoor Puja Udeshi Kirti Pandey रविन्द्र 'गुल' ek shayar पथिक M A Rana Praveen Jain "पल्लव" पथिक Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Mahi प्रज्ञा Mili Saha Bhavana kmishra RUPENDRA SAHU "रूप" Lalit Saxena Niaz Sita Prasad Ashutosh Mishra अदनासा- Kamlesh Kandpal
read moreNarpat Ram
बीत गया सो बीत गया अच्छा था या बुरा था साल 2022 बीत गया बीत गया सो बीत गया उन्नति भरा था या अवनीति भरा साल 2022 बीत गया बीत गया सो बीत गया अपना था या पराया था साल 2022 बीत गया बीत गया सो बीत गया साथ दिया या अडंगा दिया साल 2022 बीत गया बीत गया सो बीत गया सुख दिया या दुःख दिया साल 2022 बीत गया बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ। जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥ ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै। दुर्जन हंसे न कोइ, चित्त मैं खता न पावै॥ कह 'गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती। आगे को सुख समुझि, होइ बीती सो बीती॥ साल 2023 हर किसी के जीवन में खुशियां लेकर आए, इसी शुभमंगलकामनाओं सहित आपका अपना #धीर ©Narpat Ram #celebration
Narpat Ram
मेरी स्वरचित काव्य संग्रह में एक और काव्य, जिसका शीर्षक है,#सबको_सब_पता_है। सबको सब पता है, फिर भी अपनी आंखों पर पर्दा डाल बैठे है। घर बड़ी मुश्किल से चलता है, फिर भी डोडो की गरणी झाल बैठे है।। सबको सब पता है, फिर भी अपने घर में अनजान बन बैठे है। घर के बेटे - बेटियां चोवटे धूड़ उड़ावे, फिर भी बेजान ठन बैठे है।। सबको सब पता है, फिर भी दूसरों की खाल खींचे बैठे है। दर्द तो उन्हे भी होता है, फिर भी आंखें भींचे बैठे है।। सबको सब पता है, फिर भी अपनी मति मार बैठे है। कहते फिरते है मेरे चार बेटे है, फिर भी घर से बाहर बैठे है।। सबको सब पता है, फिर भी अपनी लाचारी छिपाए बैठे है। बहू - बेटियां रीलो बनावे, फिर भी अपनी मूंछ का चावल दिखाए बैठे है।। सबको सब पता है, फिर भी नजरंदाज किए बैठे है। घर में नशा करेंगे, फिर भी दूसरों को सलाह दिए बैठे है।। #धीर ©Narpat Ram #Past
Narpat Ram
*प्रकृति का पहला नियम-* यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं,ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते है । *#प्रकृति का दूसरा नियम-* जिसके पास जो होता है वह वही बांटता है।सुखी "सुख"बांटता है , दुःखी "दुःख " बांटता है ,ज्ञानी "ज्ञान" बांटता है,भ्रमित "भ्रम "बांटता है,"भयभीत" भय "बांटता हैं। *#प्रकृति का तीसरा नियम-* आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है,पैसा न पचने पर दिखावा बढता है,बात न पचने पर चुगली बढती है ,प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है,निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है,राज न पचने पर खतरा बढता है ,दुःख न पचने पर निराशा बढती है और सुख न पचने पर पाप बढता है । बात कड़वी बहुत है पर सत्य है। शास्त्रों में स्वर्ग और नर्क की चर्चा और परिकल्पना सिर्फ हमारे कर्मों को नियंत्रित और सद् मार्गी बनाने के लिये ही की गई है। वर्ना, गौर से देखें तो स्पष्ट हो जायेगा कि, यह दोनों इसी धरती पर हैं.. और प्रत्यक्षतः हम इसे भोग भी रहे हैं। #धीर ©Narpat Ram #Walk
Narpat Ram
यह है #ताजाराम_जी_बांगड़वा (वरिष्ठ अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रोजियानाडा, माधासर)। आज मैं भी आपके सेवानिवृत्ति के अवसर पर #विदाई_समारोह में दर्शनलाभ के लिए उपस्थित हुआ,वाकई समारोह में लोगों के हुजूम को देखकर ऐसा लगा कि वास्तव में गुरुजी ने काम किया है। आपने न केवल इस विद्यालय में बल्कि जहां भी पदस्थापित थे,वहां भी बड़ी कार्यकुशलता का परिचय देते थे। आपकी कार्यकुशलता, कर्तव्यपरायणता व प्रकृति प्रेम दिखावे से कोसों दूर अंतरात्मा में कूट कूट के भरी हुई है। बायतू के हर बड़े कार्यक्रम में आपकी एंकरिंग वास्तव में काबिलेतारीफ होती है। शिक्षण कार्य के साथ साथ सह शैक्षिक गतिविधियों में आपका योगदान अनमोल है। आप एक ईमानदार,निष्पक्ष छवि,स्पष्ट वक्ता, गंभीर चिंतनशील समाजसेवी व्यक्तित्व के धनी है। आज आपके सेवानिवृत्त समारोह में यह भी देखने को मिला कि आपको भेंट की जाने वाली समस्त सामग्री विद्यालय में भेंट कर दी,आपने बिना DJ के विदाई ली,आपके इस अनुपम उदाहरण से हर किसी को प्रेरणा लेनी चाहिए। वास्तव में विद्यालय व विद्यार्थियों के प्रति स्नेह ने न केवल खुद बल्कि विद्यार्थियों को भी रुला दिया,विद्यार्थियों की आंखों से अश्रुधाराएँ बह रही थी, मानों वो कह रही थी,कुछ समय और हमारे विद्यालय में रहते तो हम और ज्ञान प्राप्त करते,स्वयं ताजाराम जी विद्यालय से बाहर निकलकर वापस मुड़ कर प्रवेश द्वार पर विद्यालय भूमि को नमन कर रहे थे तब उनकी आंखों में अश्रुओं की झड़ी लग गई, मानों वो कह रही है, सुंदर हरा भरा विद्यालय,आज्ञाकारी विद्यार्थी, सहयोगी स्टाफ साथी,आज से सब छूट जाएंगे। यह सब दृश्य देखकर मेरा मन भी रोने को आ गया,वाकई ताजाराम जी ने एक आदर्श शिक्षक की भूमिका निभाई। मैं आपको सेवानिवृत्ति की बधाई देता हूँ और आपके उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना करता हूँ। #धीर ©Narpat Ram
Narpat Ram
वर्तमान परिदृश्य में मेरी स्वरचित काव्य रचना #बस_यही_रीत_निभाये_जा_रहा_हूँ।।।। हम दखल नही देते कानून में, क्योंकि हमें डर है सजा की। लेकिन हकीकत यह है कि, हम आज भी ताने बाने में है समाज के।। बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।। समाज चाहे छोटी हो या मोटी, भाव सबका एक है। गर्व होता है अपने , समाज- जाति पर, क्योंकि हम इन्ही से पैदा हुए है।। बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।। धारणाएँ व परम्पराएँ से बंधे से हम, बाकी स्वच्छंद विचरण करना हर कोई चाहता। लेकिन समाज की मर्यादा तोड़कर नही, मर्यादा में लोग दुःख भी सहन कर लेते है, क्योंकि स्वाभिमान उन्हें झुकने नही देता।। बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।। वैसे मुझे किसी के बारे में कहने का क्या अधिकार, लेकिन संस्कारों में सीखा, अन्याय में बोलना, बस यही रीत निभाये जा रहा हूँ।।।। #धीर ©Narpat Ram