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Shubham Bhardwaj
वक्त की दीवारों से घिर गया हूँ। चलते चलते कहीं गिर गया हूँ।। अपने ही मुझसे रिश्ता तोड़ चले हैं। सहारा लेने में जिधर गया हूँ ।। अब टूटकर जीने में रखा क्या है। मैं वह आईना हूँ जो बिखर गया हूँ।। हर शख्स अब शिकायत करने लगा है। जब भी मिलने में किसी के घर गया हूँ।। तन्हाई अब मेरी जिंदगी बन गई है । लगता है मैं जीते जीते मर गया हूँ ।। ©Shubham Bhardwaj #Dark #वक्त #की #दीवार #से #घिर #गया #हूँ
Mridul Vajpai
हाये रे सावन आये गयो सजनवा घर पे नहीं हैं घिर घिर आये कारे बदरा, चली बयार सुहानी रिमझिम रिमझिम बरसन लागी भीगी चुनर धानी तन मन आग लगाय गयो सजनवा घर पे नहीं हैं हाये रे सावन आये गयो ................. भेजो सखी संदेशो प्रिय को मन में नाचे मोर करवट बदलत रात बीत गई है गई मोकूँ भोर जिया में हूंक उठाये गयो सजनवा घर पे नहीं हैं रे बैरी सावन आये गयो................ आसमान में बिजुरी चमके दिखे न चित को चोर मोरी हालात ऐसी जैसे चातक बिना चकोर वैद्य को देओ कोऊ बुलाये के उलझन सुलझत नहीं है .....................सावन आये गयो ................2 ।। ■मृदुल बाजपेयी (10/07/2017) #पहली बारिश..
#पहली बारिश..
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
मैं पतझड़ गाऊंगा।। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, धरती बंजर ये बोल रही, चिड़िया भी मुख है खोल रही। वीरान पड़े हैं बाग ये देखो, डाली बिन पत्ते डोल रही। मन मे आस लिए डोले, अन्तर्मन भी खुल खुल बोले। नवजीवन का संचार लिए, बीज उड़े हौले हौले। बगिया भी मन्द मुस्काती है, श्रृंगारोत्सव की बेला है। संग झूमेंगे उसके सहोदर भी, पता झूम रहा जो अकेला है। दुख की बदली जब जब छाये, आशाएं तभी पनपतीं हैं। घना अंधेरा जो दिख जाए, दीप-लौ तभी दमकतीं हैं। जन्मोत्सव है आज आस की, आज मैं जी भर गाऊंगा। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, पतझड़ कहती, अवसान मेरा, एक सुखद लाभ पहुंचाएगा। जब भी होगी मेरी विदाई, बादल भी घिर घिर छायेगा। शुष्क धरा जल की बूदें, भीनी महक जगाएगी। निर्जीव पड़ी ये पत्ती भी, यौवन पा कर शर्माएगी। परम् सत्य है, गांठ बांध लो, हर सुबह रात के बाद हुई। मेरा चर्चा तो आम रहा, जब नवजीवन की बात हुई। एक सत्य पतझड़ बोली, अवसान सुखद भी होता है। सुबह तेरी होगी एक दिन, क्यूँ पकड़ माथ तू रोता है। इस परमसत्य की आभा में, चमक चमक मैं गाऊंगा। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, ©रजनीश "स्वछंद" मैं पतझड़ गाऊंगा।। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, धरती बंजर ये बोल रही,
मैं पतझड़ गाऊंगा।। आज मैँ पतझड़ गाऊंगा, उमड़ घुमड़ मैं गाऊंगा। जो आस की जननी रही सदा, मैं अमर उसे कर जाऊंगा।, धरती बंजर ये बोल रही,
read moreसुरेश चौधरी
मन बैरी लागा मोरा जगत खेल में | इत उत देखे जग की लीला, घिर घिर आय जग जेल में चहुँ ओर सुहानी रात दिखे, खो गया रेलम पेल में लोभ वासना का नशा चढ़ा, कैसे उतरे अमेल में आय पड़ी लाठी नियती की, गिर पड़ा ठेलम ठेल में कहे इंदु भज कृष्ण मुरारी, न जाए जम फंदेल में मन बैरी लागा मोरा जगत खेल में || मन बैरी लागा
मन बैरी लागा
read moreAnita Sudhir
वर्षा ऋतु *** दोहावली तपे दोपहर जेठ की ,व्याकुल सब नर नार। ऋतु बदले आषाढ़ में, दादुर रहे पुकार ।। श्वेत वसन धारण किये, नील गगन मुस्क़ाय। घिर घिर बदरा आय जब ,हिय हर्षित हो जाय।। कागज की किश्ती चले ,इस मौसम बरसात । उस निर्धन की झोपड़ी ,टपकी पूरी रात ।। please read in Caption *** #वर्षा ऋतु #दोहे#Nozoto hindi *** तपे दोपहर जेठ की ,व्याकुल सब नर नार। ऋतु बदले आषाढ़ में, दादुर रहे पुकार ।। श्वेत वसन धारण किये, नील गगन मुस्क़ाय। घिर घिर बदरा आय जब ,हिय हर्षित हो जाय।।
Anwar Khanday
जब जब मेरी आँखों में दर्द का पैग़ाम आया, मैं उसके ख़त को आँसुओं से बहा आया ॥ जब जब उसे पता चला कि हम मरते हैं उसपेे, हमें मरता देख उसके मन में गुमान आया ॥ सुनते थे कि जन्नत नसीब होती है आशिकों को, ईमान भी गँवाया और उपर इश्क भी ना काम आया ॥ पेट की अंतड़ियाँ भी दुहाई देतीं रहीं हमें, कब,कितना नाजाने कौन कौनसा जाम आया ॥ बहुत इतराता फिरता था अपनी लहरों पर, दिल समंदर था मेरा पर उसकी कश्ती ना डुबा पाया ॥ हमने तब भी कलमा ना पढ़ा उसका नाम पढ़ते रहे, जब हमारे सिरहाने पे मौत का फ़रमान आया ॥ छाले पड़ते रहे "अनवर" के फ़ेफ़डों में, बग़ैर तेरे हमें जब जब भी साँस आया ॥ ख़ुदा भी त्यार है रोने को जो "अनवर" ने शेयर सुनाया, ये देखो मियां कितना घिर घिर के बादल आया ॥ #aK 📝अनवर
📝अनवर
read moreसावन
ये जो तेरे इश्क़ के सब्र में हम तुम तक गिर-गिर आते हैं अब बर्दाश्त के बाहर ये मेरे अश्को के अब्र घिर-घिर आते हैं #Halaat-e-Ishq☹️ #love #pain #koshish #ashq #ishq #dard-e-dil #NojotoHindi #shayri
Shivam Mishra
लोग कहते हैँ आपकी बातों मे गहराई है मै कहता हूँ ये कसूर उनका है जो घिर घिर के यादों मे आई है
"Nirjhar"
फिर घिर आए बादर टूट के बरसा पानी तुम भी हो दिलजानी हो गयी रैन सुहानी फिर घिर आए बादर निर्झर
Anil Siwach
|| श्री हरि: || 12 - नृत्यरत ता थेई, ता थेई ता .... त थेई थेई, कन्हाई नाच रहा है। हिल रहा है मयूरपिच्छ मस्तक के ऊपर, हिल रही है अलकें और कुण्डल कपोलों पर ताल दें रहें हैं। कण्ठ में पड़ी मुक्तामाल, घुटनों से नीचे तक लटकती वनमाला के साथ लहरा रही है। फहरा रहा है पीतपट। वक्ष पर कण्ठ के कौस्तुभ की किरणें श्रीवत्स को चमत्कृत करती छहरा-छहरा उठती है।
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