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Shubham Bhardwaj
उसके हर एहसास को,दिल में उतारा है मैंने। हरपल,हर घड़ी उसको मोहब्बत में पुकारा है मैंने ।। ©Shubham Bhardwaj #उसके #हर #एहसास #को #में #उतारा #मैंने
OMG INDIA WORLD
💞इश्क़ #बंधन नहीं जो #बाँधा जाये....💞 #इश्क़ तो #रंग है जो #उतारे से ना #उतारा जाय✍ 🌺 ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD 💞इश्क़ #बंधन नहीं जो #बाँधा जाये....💞 #इश्क़ तो #रंग है जो #उतारे से ना #उतारा जाय✍ R🌺
Rohit Salvi
लिखना तो मुझे आता नही बस कुछ शब्दों को कागजो पर उतारा करता हु, मेरी जिंदगी के कुछ मोड़ बस लब्जो में बया करता हु, लिखने को तो बहोत है, मगर कुछ किस्से आपने दिल मे दबा कर रखता हूं, कोई पढ़ ना ले इसलिए कुछ खत खुदसे भी छुपा कर रखता हूं, न जाने किन यादो को लेकर कलम उठाया करता हु, फिर उन्ही यादो को कागजो पर तराशा करता हु, लिखना तो मुझे आता नही बस कुछ शब्द कागजो पर उतारा करता हु.
AKASH SHARMA
जिस दिन से जुड़ा वो हमसे हुए । इस दिल❤️ ने धड़कना छोड़ दिया । 😭 है चाँद का मुंह उतारा उतारा ।😩 क्या तारो ने चमकना छोड़ दिया ।😩 #दर्द #लफ्ज़ #शायरी
रजनीश "स्वच्छंद"
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में, बन कर शत्रु ललकारा है। बिन लड़े शस्त्र तज दूँ कैसे, अन्तर्मन ने धिक्कारा है। है कवच नहीं, कुंडल भी नहीं, छद्म इंद्र कहो क्या मांगेगा। सखा हेतु एक धर्म निभाने, कर्ण ये फिर से जागेगा। भगवन भी जो बन शत्रु आये, अभय-दान नहीं मांग रहा। परिभाषित होता मनुज कर्म से, हर बाधा जो है लांघ रहा। कभी मैं बढ़ता, कभी मैं रुकता, रुक अन्तर्विवेचना करता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। बेर लिए कहाँ सबरी बैठी, केवट ने कब नाव उतारा था। अग्निपरीक्षा सीता थी देती, आ कब किसने उबारा था। मैं बाल्मीक मैं राम भी हूँ, मेरी ही अग्नि परीक्षा रही। लक्ष्मण रेखा भी मैंने लांघी, अनन्त मेरी ही इक्षा रही। निज को पढ़ना, निज को लिखना, निज में ही संसार समाहित था। भले बुरे में फर्क करूँ क्या, धमनी रक्त वही तो प्रवाहित था। कभी बैठ एकांतवास में, घाव मैं अपने भरता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। भीष्म कहो बन जाऊं कैसे, कैसे शर-शय्या पड़ा रहूँ। रहूँ मूक द्रष्टा बन कैसे, हो पाषाण मैं खड़ा रहूँ। मैं दुर्योधन जंघा नहीं न द्रोण-ग्रीवा, जो तोड़ा और उतारा जाउँ। अब रहा अभिमन्यु भी नहीं, फंस चक्रव्यूह जो मारा जाउँ। भुजा मेरी भुजबल भी मेरा, बन प्रचंड रण में उतरा। हुंकार लिए, प्रलय लिए, इस अखण्ड वन में उतरा। विक्रम भी मैं, बेताल भी मैं, प्रश्न स्वयं से करता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। ©रजनीश "स्वछंद" अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
read more𝓂𝓊𝓀𝑒𝓈𝒽 𝓅𝒶𝓇𝑒𝑒𝓀
"घटा छाई इश्क़ की याद आई" घनघोर घटा ने रिमझिम को उतारा है। तेरे इश्क़ की यादों ने ,,,, अश्क़ को उतारा है।। खुद की कलम
खुद की कलम
read moreओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
आज का ज्ञान चश्मा उतार के देखुँ तुझे,या चश्मा लगाकर देखुँ तुझे तु ही बता तु ,केैसे मुझे,,, सही नजर आयेगी मोदी ने चश्मा उतारा गाँधी,,,,,,, नोट के कोने पर ले जाकर रख दिया,,,, जब चश्मा उतारा गाँधी का,,,, तब तश्वीर दिखाई देने लगी ,मेरा भारत की ,,,,,यह भारत तो बन गया इक्कीसवीं सदी का,,,,, एक नये भारत की बुलंदी की वो दिवारे,,,, विश्व पटल पर अपना डंका बजाने ,,,
मोदी ने चश्मा उतारा गाँधी,,,,,,, नोट के कोने पर ले जाकर रख दिया,,,, जब चश्मा उतारा गाँधी का,,,, तब तश्वीर दिखाई देने लगी ,मेरा भारत की ,,,,,यह भारत तो बन गया इक्कीसवीं सदी का,,,,, एक नये भारत की बुलंदी की वो दिवारे,,,, विश्व पटल पर अपना डंका बजाने ,,,
read moreAlok Kumar
कहने को है शिकवे शिकायतें तुमसे ख़ैर छोड़ो और कहो तुम कैसी हो? बिता साल तुमने कैसे गुजारा? बिना मेरे तुम्हारे हाल कैसा गुजरा याद आया क्या में भूल से भी? में तो तुमको भुला ही ना पाया चेहरा मेने काग़ज़ पे जो भी उतारा देखा जब जब इस पागल ने बस तुझे उतारा लिखी मेने चंद नयी ग़ज़ल भी जिसको पढ़ा जब मेने तुझको हू बा हू पाया ख़ैर कहो तुम अपनी बीता साल तुमने कैसे गुजारा? #nojoto #nojotohindi #hindiquote #poetry #2liner #nojotoEnglish #tales #love #life #nojotovideo #nojotoaudio
Abdul Samad Khan
मोहब्बत के इस मशहूर महफ़िल में क्यों उतारा, ऐ ख़ुद ख़ुशनुमा मंजर पे ख़ंजर क्यों उतारा। #NojotoQuote
Bhawna Sagar Batra
Dear Diary डियर डायरी तुम ही सच्ची दोस्त हो मेरी, हर खुशी हर दुख को मैं तुमसे बाँटाँ करती हूँ, अच्छे,सच्चे रिश्तों में मैं तुझको गिना करती हूँ, अक्सर हार जाती हूँ जब हालातों से, तो तुमसे बातें किया करती हूँ उठाकर कलम फिर स्याही से जज़बात , तुझ पर उतारा करती हूँ, सोचती हूँ अक्सर के तुम नहीं होती तो क्या होता मेरा तुमसे ही सीखा है मैंने शब्दों का खेल, घुमाफिरा कर शब्दों को, कविताओं में उतारा करती हूँ तुम ही सच्ची दोस्त हो मेरी, तुमसे ही हालात सब बयॉ करती हूँ #Diary