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Rambharos Mundel

#गृह एवं उनके कलर

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Anamika

 12321

   जुड़ाव
    गृह में
   गर गहरे हो
   टल जाते
      ग्रह।
     
    #12321 
#गृह #ग्रह 
#yqhindithoughts 
#yqdidi 
#yourqoute 
#tulikagarg

Rishikesh Agrawani

✍️🐾"गृह आगमन एवं प्यार"🎀 🐾 🎀 🐾 🎀 👣 आज पुनः कर जबरन नीचे अश्क भरे थे नयनों में! खुशी थी देख परिवार सामने दूर से आया घर था मैं! 👣 🐾 🎀 👐 🐾

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✍️🐾"गृह आगमन एवं प्यार"🎀

🐾 🎀 🐾  🎀 👣
आज पुनः कर जबरन नीचे
अश्क भरे थे नयनों में!
खुशी थी देख परिवार सामने
दूर से आया घर था मैं!
👣 🐾 🎀 👐 🐾
हुए थे बड़े दिन, हुए परिवर्तन
कैसे मैं कहता कौन था मैं!
अपने तो मुझे जान गए
सभी रोए बहुत; जरा मौन था मैं!

©Rishikesh Agrawani ✍️🐾"गृह आगमन एवं प्यार"🎀

🐾 🎀 🐾  🎀 👣
आज पुनः कर जबरन नीचे
अश्क भरे थे नयनों में!
खुशी थी देख परिवार सामने
दूर से आया घर था मैं!
👣 🐾 🎀 👐 🐾

चारण गोविन्द

#गृह-कल/#बहनें

"मात, सखा  का दर्पण  बहनें,
गृह-कल  का  संधारण  बहनें,

पापा  के  लब   की   मुस्काने
माँ  खुशियों  का कारण बहनें,

मार,  कुटाई,  झगड़ा,  करती
भ्रात  खता  का  चित्रण बहनें,

भौजी  की  चीज़ों  में  हिस्सा,
बन्दर  बांट   उदाहरण   बहनें,

ख़ुद  ही  पीटे   ख़ुद   ही  रोये
अलग तरह  का मिश्रण बहनें,

गम  सारे  चुप-चुप कर पीती,
जज़्बातों  की   धारण   बहनें,

जीवन-भर श्रम साधक रहती,
सारे   घर   की   तारण  बहनें,

दादा जी  के   मन  की  चाबी,
दादी    पीर    निवारण  बहनें,

गोविन्द सफलता की  कारक,
मानो   'चन्द्रा  चारण'   बहनें।"

#चारण_गोविन्द #भाई_दूज #बहन #बधाइयाँ #चारण_गोविन्द #govindkesher #CharanGovindG

NC

हमारा घर यानी कि हमारा प्रिय ग्रह जो हमारा अकेला घर है पूरे ब्रह्मांड में मनुष्य के स्वार्थ के कारण खतरे में है ...काश समय रहते इसे फिर से प्रदूषण मुक्त कर पाए मानवता #nojotohindi#गृह#Earth

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ये जो गृह  है मेरा नीला सा
इकलौता सुंदर सजीला सा

मेरी खुशियां जुड़ी हैं इससे
सुकून भरा अकेला सा

बहुत विशाल है सृष्टि सारी
और ये छोटा सा अलबेला सा

न जाने कब तक सह पाएगा 
कई चोटें अब तक झेला सा

हुआ नष्ट यदि न रहा रहने लायक
कहां मिलेगा और आशियाना अचला सा ।। हमारा घर यानी कि हमारा प्रिय ग्रह जो हमारा अकेला घर है पूरे ब्रह्मांड में मनुष्य के स्वार्थ के कारण खतरे में है ...काश समय रहते इसे फिर से प्रदूषण मुक्त कर पाए मानवता 
#nojotohindi#गृह#earth

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 15 - तामस त्याग नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते। मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।। (गीता 18।7)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
15 - तामस त्याग

नियतस्य तु संन्यास: कर्मणो नोपपद्यते।
मोहात्तस्य परित्यागस्तामस: परिकीर्तितः।।
(गीता 18।7)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 7 – धर्म-धारक 'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।' 'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
7 – धर्म-धारक

'आज लगभग तेंग का पूरा परिवार ही नष्ट हो गया।' बात मनुष्यों में नही, देवताओं में चल रही थी। 'वह कृष्णवर्णा दीर्धांगी कंकालिनी लताकण्टकभूषणा चामुण्डा किसी पर कृपा करना नहीं जानती। उसने मेरी अनुनय को उपेक्षा के निष्करुण अट्टहास में उड़ा दिया। आप सब देखते ही हैं कि किस शीघ्रता से वह प्राणियों के रक्त-माँस चाटती जा रही है।'

'तुम्हारे यहाँ तो अद्भुत सुइयाँ एवं ओषधियाँ लेकर एक पूरा दल चिकित्सकों का आ गया है।' दूसरे देवता ने अधिक खिन

Bhaskar Anand

"कोमल किशलय के अंचल में" उतश्रृंखल नयन गहन विषाद में तड़पता मन सुख अंचल आश में विस्मृत तन-मन सूखे आषाढ़ में बह चला कहीं अनंत वियाग में मैंने पाया स्वतृष्णा को

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"कोमल किशलय के अंचल में"

उतश्रृंखल नयन गहन विषाद में
तड़पता मन सुख अंचल आश में
विस्मृत तन-मन सूखे आषाढ़ में
बह चला कहीं अनंत वियाग में

मैंने पाया स्वतृष्णा को


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