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Best मल Shayari, Status, Quotes, Stories

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कवि मनोज कुमार मंजू

दिन में तीन बार मल मल कर नहाने का कोई मतलब नहीं... यदि आपका मन साफ नहीं है तो...

©कवि मनोज कुमार मंजू #मन 
#साफ 
#नहाने 
#मल 
#मनोज_कुमार_मंजू 
#मँजू 
#alone

दीपेश

गांधी

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Other politicians, GandhiJi राह दिखाने की खातिर बस
 कह के बताया जाता है
मर जाओगे बता दिया 
ना मर के दिखाया जाता है
मल है इससे दूर रहो नही 
मलमल सा मल के दिखाया जाता है
कैसा होगा जीवन दिखलाने को
 न नर्क में जाया जाता है गांधी

Manoj kumar "रूह"

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नाम मेहंदी से हाथों पर रचाया उसने,
फिर रोज मल मल कर मिटाया उसने,
ये कैसा इश्क़ है उसका कम्बख़त,
पहले आग लगा फिर बुझाया भी उसने।।

Yogesh Patel

रास्ते 

तू चल दे अपने हात क्यो मल रहा 
वक्त तेरा धीरे धीरे हातो से फिसल रहा 
इतना सब कुछ देख तेरे अन्दर का
 लावा क्यो न पिघल रहा 
रास्ता तो है गरम तेरा पैर क्यो न
चलने कें लिये सुलग रहा 
निकल पड़ अपने रास्ते फिर देख
तू भी तपतपाती चटानो  को भी
अपने तलवो से मसल रहा 
देख मंजिले दिख रही आगे का रास्ता
 अपने आप खुल रहा 
(तू चल दे अपने हात क्यो मल रहा)
योगी पटेल




 #रास्ते

भानु

रात हो तो सैंकड़ो दीये जल उठे
सुबह हो तो हजारो फूल खिल उठे
दुआ हैं रोशनी खुशियों वाली हो 
जब आप अपनी आँखे मल मल उठे #onmybrotherbirthay
#birthday

✍️ हरीश पटेल "हर"

#मन ये क्यो चंचल रहता है

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मन  ये क्यों चंचल रहता है ।
जैसे निर्झर जल  बहता  है ।।

 वेग  पवन  से भी है ज्यादा,
कहाँ - कहाँ प्रतिपल रहता है।।

ध्यान न मेरा कभी लगा है,
मद्यपान  पागल  रहता  है  ।। 

मन दौड़े तो अमन न पाऊँ,
तब ये मन व्याकुल रहता है ।।

 तन का मल धोया मल मल कर ,
मन  मे  भी  तो मल रहता है।।

मन के  इस  बचपन  से व्याकुल,
"हर" का  ग़ज़ल सजल रहता है।।

,,,,,,,✍️हरीश पटेल "हर"
    ग्राम - तोरन (थान खम्हरिया)
                बेमेतरा #मन ये क्यो चंचल रहता है

आयुष पंचोली

क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!? यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं,  और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे व

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क्या सच मे होते हैं स्वर्ग या नरक, या यह सिर्फ एक कोरी कल्पना मात्र हैं...!? क्या नरक और स्वर्ग सच मे होते हैं, या यह सिर्फ कोरी कल्पना मात्र हैं..!?
यह प्रश्न भी उतनी ही गहन सोच का विषय हैं , जितना की आत्मा। अगर आप मानते हैं की आत्मा होती हैं, तो यह भी आपको मानना पड़ेगा की नरक और स्वर्ग भी होते हैं। पर कहां होते हैं, यह विषय शोध का हैं। 
क्योकी अगर बात की जाये गीता के ज्ञान की तो आत्मा अजर अमर हैं,  और वह एक शरीर त्यागकर दुसरा गृहण करती हैं। तो स्वर्ग और नरक का सवाल ही कहां आता हैं। इस हिसाब से गरूड पुराण मे सभी नरक यात्नाये, और 36 नरक सभी गलत हैं। और अगर गरुड़ पुराण मे व

घुमक्कड़ की जिज्ञासा

Vikash Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sourabh Patil_2210 Kalyani Shukla Pakhi Gupta Vikash Kumar Samhita Nandi OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)

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बचपन और माँ  ये चन्द पंक्तियाँ मेरी माँ के लिए समर्पित:
ये पंक्तियाँ मैंने अपने बचपन में अपनी माँ के साथ जी हैं
और जो भी ये पंक्ति मैंने लिखी हैं ये मेरे बचपन की सच्चाई है, जो मैंने एक छोटी सी कविता के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत की है!
और हैरत की बात ये है इन् सभी पंक्तियों में से किसी एक पंक्ति में भी माँ शब्द प्रयोग नही किया मैंने फिर भी माँ के लिए लिखी है!
आज जब मैं माँ से दूर हूँ तो वो पल बहुत याद आते हैं
अगर पसंद आये तो कमेंट में बताना जरुर! 


जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब तू अपने पल्लू की चादर बनाकर मुझको उड़ाती थी!
शाम ढलते ही छत पर बिछोना करके मुझे सुलाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब लाइट आने पर मुझे गोद में उठाकर 
नीचे लाती थी!
कमरे में लाकर पंखे की हवा में मुझे सुलाती  थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे ढंग से न नहाने पर खुद मल मल के नहलाती थी!
फिर पोंछ कर बदन मेरा बालों में तेल और आँखों में काजल लगाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे सुबह ४ बजे पढाई के लिए न उठने पर मुझे बार बार आवाज लगाती थी!
फिर डांट कर मुझे देकर हाथों में मेरे किताब खुद मेरे लिए खाना बनाती थी!!

जी चाहता है उस बचपन में लौट जाने को!
जब मेरे न खाने पर जबरदस्ती मुझे खिलाती थी!
फिर मेरी बचकानी हरकतों पर मुझे बड़ा सुनती थी!!
                  ....... मोहित पाल Vikash Kumar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Sourabh Patil_2210  Kalyani Shukla Pakhi Gupta Vikash Kumar Samhita Nandi OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)

Adbhut Alfaz

जो है मेरे ख़िलाफ़ उसी की तरफ़
एक लड़की है ज़िन्दगी की तरफ़

छुप गया है ग़लत पता दे कर 
वक़्त रहता नहीं घड़ी की तरफ़

अपनी अपनी पड़ी है हर ग़म को
दिल में कोई नहीं किसी की तरफ़

नन्हे मुन्ने अँधेरे तकते हैं 
आँखें मल मल के रौशनी की तरफ़ ! #NojotoQuote #ग़ज़ल

samandar Speaks

Sahiba Sridhar Namita Writer Kanika Girdhari Deepika Dubey Bina Babi

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सुरज मल दूँ हाथो मे,किरणो से तुझको नहला दूँ
सहर की लाली तु बन के आ,मैं भौरो सा गीत सुना दूँ

बादल जैसी जुल्फे तेरी, हों आँखे शबनम का पानी
दांत हों तेरे मोती जैसे,होठ हो जैसे सुर्ख गुलाबी
सागर के लहरो से बादल  को,आ तेरे गेसु मे छुपा दूँ
सहर की लाली तु बन कर आ,किरणो से तुझको नहला दूँ

तेरे नक्श से चाँद बनाकर,चाँद को तेरा अक्श बनाना
दिल की चाह है सरस़ो जैसे तेरे बदन पे रंग सजाना
धानी रंग की चूनर को मौसम सा गुलजार बना दूँ
पलकों पे तारो को रखकर आ तुझको महताब बना दूँ

सहर की लाली तु बन कर आ,किरणो से तुझको नहला दूँ
,सुरज मल दूँ हाथो मे,किरणो से तुझको नहला दूँ।।
राजीव मिश्रा"समन्दर" #NojotoQuote Sahiba Sridhar Namita Writer Kanika Girdhari Deepika Dubey Bina Babi
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