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Best न्यायालय Shayari, Status, Quotes, Stories

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Shubham Bhardwaj

अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.jagranjosh.com/web-stories/justice-dy-chandrachud-50th-chief-justice-of-india-38081 #भारत #लोकतंत्र #सर्वोच्च #न्यायालय #न्यायाधीश #श्रीधनंजययशवंतचंद्रचूड़जी #न्यायमूर्ती #Instagram #Facebook #अदनासा

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अदनासा-

Anushka Tripathi

Anjaly Khare

अदालत

इस  अदालत  के  कटघरी  में
गुनहगार कितने मासूम दिखते हैं

अनजाने में किए हो या जानबूझकर
उनके  चेहरे  कितने  उदास  दिखते हैं

हज़ारों  चक्कर  लगाकर  यहां  के 
वो  किस  कदर  से  बेजान  दिखते  हैं

यहां  कोई  छूटकर  भी  नहीं  छूटता 
और कोई  कैद में भी आजाद दिखते हैं

कोई पढ़कर भी और कोई अनपढ़ भी
यहां स्वेद पोशाक में भी अपराध दिखते हैं 

किसी की जिंदगी खत्म हो जाती हैं यहां
और  किसी  पर  बस  इल्जाम  दिखते  हैं 

किसी  का  सच  धरा का धरा रह जाता हैं
और किसी के झूठ बिकते बेहिसाब दिखते हैं 

यहां हर रिश्ता कितना कमजोर पड़ जाता हैं 
अपने ही यहां अपने लिए जालसाज दिखते हैं 

क्या  झूठ  है  और  क्या  सच  है पता नहीं
यहां सच के लड़ने वाले भी बेईमान दिखते है

©Anjaly Khare #snow अदालत
#न्यायालय #न्यायशास्त्री 
#quaotes 
#poetcommunity #poetclub 
#poem✍🧡🧡💛

राजा पत्रकार

#न्यायालय में #मुकदमा विचाराधीन मामलों में आए दिन हो रहे अवैध तरीके से #निर्माण

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न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन मामलों में आए दिन हो रहे अवैध निर्माण

अम्बेडकरनगर।जिले में आए दिन न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन होने के बावजूद भी  जमीनों पर हो रहे अवैध तरीके से निर्माण। स्थगन आदेश पारित होने के बावजूद जबरन अपनी गुंडई के बल 
पर करा रहा जमीन पर अवैध निर्माण।
पीड़िता पूनम निवासी सोनगांव कोतवाली अकबरपुर ने जिलाधिकारी को शिकायत पत्र देकर अवैध कब्जे को  तत्काल रुकवाने की मांग की और बताया कि चकबंदी न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है । प्रतिवादी गढ़   रहमत अली पुत्र मोहर्रमअली, बलराम पुत्र अजीत यादव, एवं अज्ञात लोगों के साथ व अपनी गुंडई के बल पर जमीन पर करा रहा अवैध   निर्माण। पीड़िता ने निर्माण को कई बार रोकने की कोशिश की लेकिन प्रतिवादी अपनी दबंगई के बल पर निर्माण करा रहा है ।

©राजा पत्रकार #न्यायालय में #मुकदमा विचाराधीन मामलों में आए दिन हो रहे अवैध तरीके से #निर्माण

mummy_s_prince

प्रिय सरकार और समाज, पिछले कुछ दिनों से जो समाचारों में दिखाया जा रहा है उसकी वजह से सबका भरोसा सरकार और समाज के लोगों पर से उठ चुका है, पर शायद सरकार और समाज को इस बात की परवाह नहीं है इसलिए तो हर रोज ऐसे अनहोनी घटना देश के कोने-कोने में से सुनने को मिलती है। पता नहीं कब और कैसे हम सब फिर से उसी न्याय व्यवस्था के साथ जीना सीख सकते है जो १६वीं सदी में थी, या फिर हमारी सरकार आपस में एक दूसरे लड़ाई छोड़ कर इस न्याय व्यवस्था में सुधार ला सकती है। #न्याय #न्याय_कब_मिलेगा #न्याय_की_गुहार #सरकार #

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  न्याय

न्याय की पुहार सी मची हुई है आजकल पूरे देश में,
पता नहीं कब इतने जुल्म हम सब मिलके करने लगें।
कहीं ऐसा ना हो हम-तुम खुद इस न्याय के चक्कर में,
सब कुछ भूलके आपस में ही दुश्मनों जैसा बर्ताव करने लगें।
अब हमारी तो किसीको कोई परवाह है ही नहीं समाज में,
फिर हम इस समाज के लोगों की चिंता क्यों ना करने लगें।  प्रिय सरकार और समाज,

पिछले कुछ दिनों से जो समाचारों में दिखाया जा रहा है उसकी वजह से सबका भरोसा सरकार और समाज के लोगों पर से उठ चुका है, पर शायद सरकार और समाज को इस बात की परवाह नहीं है इसलिए तो हर रोज ऐसे अनहोनी घटना देश के कोने-कोने में से सुनने को मिलती है। 
पता नहीं कब और कैसे हम सब फिर से उसी न्याय व्यवस्था के साथ जीना सीख सकते है जो १६वीं सदी में थी, या फिर हमारी सरकार आपस में एक दूसरे लड़ाई छोड़ कर इस न्याय व्यवस्था में सुधार ला सकती है। 

#न्याय #न्याय_कब_मिलेगा #न्याय_की_गुहार #सरकार #

Akshay Gupta

#न्यायालय 26 जनवरी

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Kavita jayesh Panot

न्याय की कतार 

अन्यायों की बस्तियों में,
देखो न्याय के लिए कतार लगी है।
छोटी नही है कोई आवाजे ,
दिल की गहराइयों से गुहार लगी है।
सुनने वाला जैसे बेहरा हो,
आँखों से दृष्ट राज ।
राज सभा में द्रोपतियो की भीड़ लगी है।
सरेआम छल ली जाती है ,
इज्जत बाजारों में किसी बेकसूर की।
जैसे किसी हैवान की वासना मुख में सजी हो।
किसी के घर पकवानों की थालियां सजती है,
तो कोई भूख से तड़प कर मौत की नींद सो जाता है।
कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा,
कोई लुटा देता है अपनी बुढ़ापे की जमा पूँजी भी,
एक न्याय की आस में।
फिर भी वर्षो से कागजातों में बंद उम्मीदे पड़ी है।
कोई अपने हक की कमाई के लिए ,
गिड़गिड़ाता है,
लाठी के सहारे भी पेंशन आफिस के चक्कर लगाता है।
न जाने ये न्याय का कैसा रास्ता है?
अधिकारों और न्याय की सुनवाई तो,
मन्दिरों के द्वार पर भी धागों में बंधी है।
अन्याय की इस बस्ती में ,
न्याय की कतारें लगी है।
न्याय की गद्दी पर बैठा अंधा है,
अन्यायों की महफ़िल हर जगह जमी है।
कोई मखमली लिबाज पहनें तो,
किसी को कफ़न भी न नसीब है।
ईश्वर ने बनाया इंसान ,
ये इतनी सारी अलग -अलग पहचान कैसे ,क्यों बनी है?
चलो अब इंसानियत को अपना मूल धर्म बना,
भेदों को  जहाँ से मिटा दे।
हर इंन्सा को उसके मूलभूत अधिकार दिला,
ख़ुशनुमा औरो के जीवन भी बना दे।
चलो आज समाज को सामाजिक न्याय और,
कर्तव्यों के सही मायने सीखा ,
अन्याय की बस्ती में आग लगा दे।।
कविता जयेश पनोत

©Kavita jayesh Panot #न्यायालय #न्याय#इंसानियत

S_E_N_T_A

गलतियां करता सकता है.....

पर किसी के साथ गलत नही करता।

#न्यायालय #न्याय
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