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Amit Singhal "Aseemit"

अविनाश पाल 'शून्य'

जिंदगी के सफ़र में तूँ जरा होशियार रह,
आदमी के वेश में कई भेड़िये भी हैं यहाँ। #सर्वाधिकारसुरक्षित #स्वरचित © #जिंदगी_के_सफर_में #वेश #भेड़िये #आदमी #शून्य #आत्मनिर्भर

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 11 - महत्संग की साधना 'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये। राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
11 - महत्संग की साधना

'मेरी साधना विफल हुई।' गुर्जर राजकुमार ने एक लम्बी श्वास ली। वे अपने विश्राम-कक्ष में एक चन्दन की चौकी पर धवल डाले विराजमान थे। ग्रन्थ-पाठ समाप्त हो गया था और जप भी पूर्ण कर लिया था उन्होंने। ध्यान की चेष्टा व्यर्थ रही और वे पूजा के स्थान से उठ आये।

राजकुमार ने स्वर्णाभरण तो बहुत दिन हुए छोड़ रखे हैं। शयनगृह से हस्ति-दन्त के पलंग एवं कोमल आस्तरण भी दूर हो चुके हैं। उनकी भ्रमरकृष्ण घुंघराली अलकें सुगन्धित तेल का सिञ्च

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 12 - स्नेह जलता है 'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया। 'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
12 - स्नेह जलता है

'अच्छा तुम आ गये?' माता के इन शब्दों को आप चाहें तो आशीर्वाद कह सकते हैं; किंतु कोई उत्साह नहीं था इनके उच्चारण में। उसने अपनी पीठ की छोटी गठरी एक ओर रखकर माता के चरण छुये और तब थका हुआ एक ओर भूमि पर ही बैठ गया।

'माँ मुझे देखते ही दौड़ पड़ेगी। दोनों हाथों से पकड़कर हृदय से चिपका लेगी। वह रोयेगी और इतने दिनों तक न आने के लिये उलाहने देगी।' वर्षों से पता नहीं क्या-क्या आशाएँ उमंगें, कल्पनाएँ मन में पाले हुए था वह। 'मैं मा

मयंक अवस्थी

#चुनाव 2019 क्या कहें उनको जिन्हें हम कर रहें हैं पेश पंचवर्षीय योजना और बदलना वेश हाथ जोड़े ज्ञान देते हो कोई उपदेश जोड़ में सिक्के लगाते सहज देते क्लेश झूठ की संवेदना का भाव ढोते हैं

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#चुनाव #2019

क्या कहें उनको जिन्हें हम कर रहें हैं पेश
पंचवर्षीय योजना और बदलना वेश

हाथ जोड़े ज्ञान देते हो कोई उपदेश
जोड़ में सिक्के लगाते सहज देते क्लेश
झूठ की संवेदना का भाव ढोते हैं

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 16 - राजस त्याग दु:खमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्यजेत्। स कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत्।। (गीता 18।8)

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
16 - राजस त्याग

दु:खमित्येव यत्कर्म कायक्लेशभयात्यजेत्।
स कृत्वा राजसं त्यागं नैव त्यागफलं लभेत्।।
(गीता 18।8)

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 4 - अकाम 'असंकल्पाज्जयेत् कामम्' काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
4 - अकाम

'असंकल्पाज्जयेत् कामम्'

काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

Abhishek Rajhans

रावण... रावण… क्या मात्र एक शब्द है या एक व्यक्तितव जिसने छल से हरण किया था जिसने स्त्री के सतीत्व पर कुठाराघात किया था वो रावण..

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रावण...
क्या मात्र एक शब्द है
या एक व्यक्तितव 
जिसने छल से हरण किया था
जिसने स्त्री के सतीत्व पर कुठाराघात किया था
वो रावण..
कहाँ मरा है अभी तक
जितने दशहरा पुतला फूंका उसका
उतनी बार उठ खड़ा हुआ है
अपने सहस्त्र शरीर में प्राण भर कर
राम के वेश में
अभिशाप बनकर

रावण...
वास्तव में एक शब्द नहीं
एक व्यक्तित्व हीं है
जिसे धारण कर लिया है
आज के राम का स्वरुप
जो नेस्तनाबूद करना चाहता है
एक स्त्री के गौरव को
बालिका के रूप में सकुचाई सीता को.
बंद कमरे में सिसकती सीतायें
भेद नहीं पा रही लक्ष्मण रेखा को
अपने अस्तित्व को बचाने के लिए
कैसे पुकारे राम को
जब रावण ही हो
राम के वेश में
                   --अभिषेक राजहंस रावण...
रावण…
क्या मात्र एक शब्द है
या एक व्यक्तितव
जिसने छल से हरण किया था
जिसने स्त्री के सतीत्व पर
कुठाराघात किया था
वो रावण..

MohiniGupta

मुद्दों की कमी नहीं है हमारे देश में,
देखिये हैवानियत घूम रही है किस किस वेश में
कभी मुद्दा होता है आरक्षण का
कभी किसी बेटी के भक्षण का,
कभी सड़कें जलती हैं,
कभी मोमबत्तिया पिघलती हैं,
कोई कभी दंगा करता है,
कोई इंसानियत को नंगा करता है,
नेता भाषण बाचते हैं,
विधायक खुले आम नाचते हैं
जेल में मौत हो जाती है ,
एक बेबस लाचार पिता की
क्या किसी ने सुनी चीख़ें ,
घाटी में आसिफा की
जिस्म पर ख़रोंच लेकर वो उन्नाव में खड़ी है,
दूसरी की लाश घाटी में इंसांफ के लिए पड़ी है,
क्या छोड़ा तुमने मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा,
शर्मशार है तुम पर पूरा देश हमारा,
जानवर भी किसी हद तक रहते हैं अपने आवेश में
देखिये हैवानियत घूम रही है किस किस वेश में

वो हिन्दू थी या वो मुसलमान थी,
हैवानियत से परे वो एक नन्हीं जान थी
छोड़ो हमें क्या करना ,ये बहस जारी है,
यहाँ किसी से कुछ न होगा,हर कोई सत्ता का पुजारी है
सरहदें तो बचा ली हमनें पड़ोस के आतंकवाद से,
घर जलने से बचा न पाए ,बढ़ते जातिवाद से
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे सब लगाएंगे,
हिन्दू की बचानी है या मुस्लिम की, ये नेता बताएँगे,
हर आदमी भ्रष्ट है, बड़े बनने की रेस में,
मुद्दों की कमी नहीं है हमारे देश में,
देखिये हैवानियत घूम रही है किस किस वेश में
 #nojoto #asifa #justice #rapecase #unnao


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