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Ghumnam Gautam

मौत-सी हर किसी को मिल जाए
ज़ीस्त कब यूँ उदार होती है!

©Ghumnam Gautam #Chhuan #उदार #ghumnamgautam #मौत
#ज़ीस्त #किसी

#Rahul

#उदार तारे 🙆‍♂️ #नींद 😁

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कई दिनों से बड़ी उदास सी गुजर रही है मेरी राते,
और कमबख्त नींद मेरी आंखों का पता भूल गई है,

अब तुम ही बताओ मेरे मर्ज की दवा मैं
जाकर किस वैद से लाऊ..

©#Rahul #उदार तारे 🙆‍♂️
#नींद 😁

Rakesh Kumar Das

#उदार व्यक्ति

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अपने लिए हो सकते हैं 
आप समझदार,
हमें बेवकूफ़ ना समझें हम हैं
 व्यक्ति उदार ।

©Rakesh Kumar Das #उदार व्यक्ति

गौरव दीक्षित(लव)

आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है ! बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,

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आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! 
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! 
तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,
सैतालिस से पाकिस्तानी, अब तक  उनको मार रहे !
#हिंगलाज में लुटी #सुतायें, #मानवता शर्मिंदा है,
इन देशों में केवल कुछ, प्रतिशत हिन्दू ही जिंदा हैं !
संसद में यह बिल आया है, हम इसके आभारी हैं,
हर हिंदू की रक्षा अब, हिंदुस्तान की जिम्मेदारी है ! 
क्योंकि इनकी आस्थाओं के, गंगाधर हैं भारत में,
आशुतोष अवघरदानी, है शिव प्रलयंकर भारत में।
योगेश्वर की पुण्यभूमि, देवों की अगणित माला है,
#मर्यादा_पुरुषोत्तम का, मन्दिर भी बनने वाला है !
हिंगलाज से वैष्णव देवी तक जाने के सपने हैं,
नानक, गौतम, महावीर के बेटे भी तो अपने हैं !
इनकी पीड़ा चीख चीख कर दुनिया भर से कहती है,
ये उस देश के #वासी हैं जिस देश मे #गंगा बहती है !
लेकिन बहती गंगा में, कुछ हाथ भी धोने वाले हैं,
#संशोधन पर #छाती_माथा पीट के रोने वाले हैं !
उन्हें बता दो जो अपने, हम मात्र उन्हें अपनायेंगे,
अब उनके अतिरिक्त देश में, और न पालें जायेंगे !
हम #चंदन के निकट कभी, #विषबेल नहीं बोने देंगे,
#शरणागत के  #स्वागत में, #घुसपैठ  नहीं होने देंगे !
जब जी चाहे  #घुस आये, #दरबार  बनाकर रखा है,
भारत को अपनी खाला का, घर-बार बनाकर रखा है !
जब भारत का ही गरीब, जीवन जीता कंगाली में,
तब कैसे #रोटी  दे - दें हम, रोहिंग्या की थाली में !
सब कुछ मुफ्त लुटा दें ऐसा, इक बाज़ार नहीं हैं हम,
हम #उदार हैं लेकिन सबके,#पालनहार नहीं हैं हम !
#धनकुबेर या #अन्नपूर्णा के  #अवतार नहीं है #हम, !
#दुनिया के हर #घुसपैठियों के  #ठेकेदार नहीं है हम !!
गौरव दीक्षित ✍️✍️ आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! 
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! 

तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,

गौरव दीक्षित(लव)

आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया बंटवारा है ! बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,

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आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! 
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! 
तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,
सैतालिस से पाकिस्तानी, अब तक  उनको मार रहे !
#हिंगलाज में लुटी #सुतायें, #मानवता शर्मिंदा है,
इन देशों में केवल कुछ, प्रतिशत हिन्दू ही जिंदा हैं !
संसद में यह बिल आया है, हम इसके आभारी हैं,
हर हिंदू की रक्षा अब, हिंदुस्तान की जिम्मेदारी है ! 
क्योंकि इनकी आस्थाओं के, गंगाधर हैं भारत में,
आशुतोष अवघरदानी, है शिव प्रलयंकर भारत में।
योगेश्वर की पुण्यभूमि, देवों की अगणित माला है,
#मर्यादा_पुरुषोत्तम का, मन्दिर भी बनने वाला है !
हिंगलाज से वैष्णव देवी तक जाने के सपने हैं,
नानक, गौतम, महावीर के बेटे भी तो अपने हैं !
इनकी पीड़ा चीख चीख कर दुनिया भर से कहती है,
ये उस देश के #वासी हैं जिस देश मे #गंगा बहती है !
लेकिन बहती गंगा में, कुछ हाथ भी धोने वाले हैं,
#संशोधन पर #छाती_माथा पीट के रोने वाले हैं !
उन्हें बता दो जो अपने, हम मात्र उन्हें अपनायेंगे,
अब उनके अतिरिक्त देश में, और न पालें जायेंगे !
हम #चंदन के निकट कभी, #विषबेल नहीं बोने देंगे,
#शरणागत के  #स्वागत में, #घुसपैठ  नहीं होने देंगे !
जब जी चाहे  #घुस आये, #दरबार  बनाकर रखा है,
भारत को अपनी खाला का, घर-बार बनाकर रखा है !
जब भारत का ही गरीब, जीवन जीता कंगाली में,
तब कैसे #रोटी  दे - दें हम, रोहिंग्या की थाली में !
सब कुछ मुफ्त लुटा दें ऐसा, इक बाज़ार नहीं हैं हम,
हम #उदार हैं लेकिन सबके,#पालनहार नहीं हैं हम !
#धनकुबेर या #अन्नपूर्णा के  #अवतार नहीं है #हम, !
#दुनिया के हर #घुसपैठियों के  #ठेकेदार नहीं है हम !!
गौरव दीक्षित ✍️✍️ आजादी हमको मिली नहीं, हमने पाया  बंटवारा  है ! 
बंटवारा भी हुआ धार्मिक, अब ये जग जाने सारा है !! 

तेईस प्रतिशत सनातनी, जो #सिंधु के उस पार रहे,

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 10 - नाम का मोह 'मुझे कोई आराधना बताइये! कोई भी अनुष्ठान बता दीजिये। मैं कठिन-से-कठिन अनुष्ठान भी कर लूंगा। महेश आज एक संत के पैर पकड़कर बैठ गया था। आस-पास के लोग कहते हैं कि मुनीश्वर महाराज सिद्ध संत हैं। वे जिसे जो बात कह देते हैं, वही हो जाती है। किसी को वे सीधे तो आशीर्वाद देते नहीं, कोई पूजा कोई पाठ, कोई अनुष्ठान बता देते हैं। लेकिन जिसे वे कुछ बता देते हैं, वह ठीक-ठीक उनकी आज्ञा का पालन करे तो उसका काम हो जाता है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
10 - नाम का मोह

'मुझे कोई आराधना बताइये! कोई भी अनुष्ठान बता दीजिये। मैं कठिन-से-कठिन अनुष्ठान भी कर लूंगा। महेश आज एक संत के पैर पकड़कर बैठ गया था।

आस-पास के लोग कहते हैं कि मुनीश्वर महाराज सिद्ध संत हैं। वे जिसे जो बात कह देते हैं, वही हो जाती है। किसी को वे सीधे तो आशीर्वाद देते नहीं, कोई पूजा कोई पाठ, कोई अनुष्ठान बता देते हैं। लेकिन जिसे वे कुछ बता देते हैं, वह ठीक-ठीक उनकी आज्ञा का पालन करे तो उसका काम हो जाता है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 4 - आस्तिक 'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था। 'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
4 - आस्तिक

'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था।
'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

Fateh Chauhan

कौन आपको गुस्सा दिलाता है? जब भी हमें गुस्सा आता है, हम यह पूरे स्पष्ट रूप से जान रहे होते हैं, कि हमें गुस्सा किसकी वजह से आया है। क्या सचमुच हमारी सोच सही होती है? जब भी हमें गुस्सा आता है, हम यह पूरे स्पष्ट रूप से जान रहे होते हैं, कि हमें गुस्सा किसकी वजह से आया है। क्या सचमुच हमारी सोच सही होती है? कोई पेड़ या पौधा, भौंरा या कीड़ा... दूसरों को मारने की साजिश में नहीं लगा रहता। वे अपने अंदर तनाव नहीं पालते। इसलिए वे अपनी प्रकृति के अनुसार पूर्ण रूप से काम करते हैं।

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 कौन आपको गुस्सा दिलाता है?

जब भी हमें गुस्सा आता है, हम यह पूरे स्पष्ट रूप से जान रहे होते हैं, कि हमें गुस्सा किसकी वजह से आया है। क्या सचमुच हमारी सोच सही होती है?

जब भी हमें गुस्सा आता है, हम यह पूरे स्पष्ट रूप से जान रहे होते हैं, कि हमें गुस्सा किसकी वजह से आया है। क्या सचमुच हमारी सोच सही होती है? 

कोई पेड़ या पौधा, भौंरा या कीड़ा... दूसरों को मारने की साजिश में नहीं लगा रहता। वे अपने अंदर तनाव नहीं पालते। इसलिए वे अपनी प्रकृति के अनुसार पूर्ण रूप से काम करते हैं।


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