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Varsha Sharma

तुम्हारा ये नास्तिक होना, कदापि गलत नहीं है... जानाँ ! जो इंसान जानना चाहता है इस संसार की हकीकत को, जो खुद से तलाशना चाहता है उस विधाता को, इस जीवन की सच्चाई को... जो आसानी से विश्वास नहीं कर पाता, लोगों

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आस्तिकता व नास्तिकता के बीच, "तुम और मैं" तुम्हारा ये नास्तिक होना,
कदापि गलत नहीं है... जानाँ !
जो इंसान जानना चाहता है इस
संसार की हकीकत को, जो खुद
से तलाशना चाहता है उस
विधाता को, इस जीवन की 
सच्चाई को... जो आसानी से
विश्वास नहीं कर पाता, लोगों

Varsha Sharma

तुम्हारा ये नास्तिक होना, कदापि गलत नहीं है... जानाँ ! जो इंसान जानना चाहता है इस संसार की हकीकत को, जो खुद से तलाशना चाहता है उस विधाता को, इस जीवन की सच्चाई को... जो आसानी से विश्वास नहीं कर पाता, लोगों

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आस्तिकता व नास्तिकता के बीच, "तुम और मैं" तुम्हारा ये नास्तिक होना,
कदापि गलत नहीं है... जानाँ !
जो इंसान जानना चाहता है इस
संसार की हकीकत को, जो खुद
से तलाशना चाहता है उस
विधाता को, इस जीवन की 
सच्चाई को... जो आसानी से
विश्वास नहीं कर पाता, लोगों

संजीव चाहर

#आस्तिकता #आस्तिक #नास्तिक #वास्तविक #ZeroDiscrimination komal sindhe Tanu pal banjaranheartbeat Pallavi Srivastava Namrata Tripathi

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किसी ने कहा कि 
"कभी आप आस्तिकों जैसे बोलते-लिखते हो",
"कभी आप नास्तिकों जैसा व्यवहार करते हो", 
समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों करते हो...?
मैंने कहा *संजू* कि "हमेशा वास्तविक बने रहने के लिए किसी एक विचारधारा में बंधे रहना मेरे लिए पूर्णतया उचित नहीं"!!🕉️🙏🏻🤔🙄👀🔱🙏🏻

©संजू ध्यानी #आस्तिकता #आस्तिक #नास्तिक #वास्तविक 
#ZeroDiscrimination  komal sindhe Tanu pal banjaranheartbeat Pallavi Srivastava  Namrata Tripathi

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 4 - आस्तिक 'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था। 'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
4 - आस्तिक

'भगवान भी दुर्बल की पुकार नहीं सुनते!' नेत्रों से झर-झर आँसू गिर रहे थे। हिचकियाँ बंध गयी थी। वह साधु के चरणों पर मस्तक रखकर फूट-फूट कर रो रहा था।
'भगवान् सुनते तो है; लेकिन हम उन्हें पुकारते कहाँ हैं।' साधु ने स्नेहभरे स्वर में कहा। विपत्ति में भी भगवान को हम स्मरण नहीं कर पाते, पुकार नहीं पाते, कितना पतन है हमारे हृदय का।'

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
11 - जिज्ञासु

'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।'

आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 11 - जिज्ञासु 'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।' आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि वह एक स्वस्थ-सबल पुरुष रहा है। डाक्टर को

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|| श्री हरि: ||
11 - जिज्ञासु

'प्रकृति भी भूल करती है।' अपने आप डाक्टर हडसन कह रहे थे। उन्होंने साबुन से हाथ धोये और आपरेशन-ड्रेस बदलने लगे। 'जड़ नहीं जड़ तो कभी भूल नहीं करता। उसमें भूल करने की योग्यता ही कहां होती है। मशीन तो निश्चित ही कार्य करेगी।'

आज जिस शव का डाक्टर ने आपरेशन किया था, उसने एक नयी समस्या खड़ी कर दी। बात यह थी कि जिस किसी का भी वह शव हो इतना तो निश्चित ही था कि उसने अपनी लगभग साठ वर्ष की आयु पूर्ण की है और उसका शरीर सिद्ध करता है कि वह एक स्वस्थ-सबल पुरुष रहा है। डाक्टर को


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