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Pervaz Dhiman

#सर्दियों में जिस #सूरज का #इंतज़ार होता है , उसी सूरज का #गर्मियों में #तिरस्कार भी होता है. #अतः आपकी #कीमत तब होगी , जब आपकी #जरूरत होगी । #Sunrise

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सर्दियों में जिस सूरज का इंतज़ार होता है,
उसी सूरज का गर्मियों में तिरस्कार भी होता है।
अतः आपकी कीमत तब होगी,
जब आपकी जरूरत होगी ।

©Pervaz Dhiman #सर्दियों में जिस #सूरज का #इंतज़ार होता है , उसी सूरज का #गर्मियों में #तिरस्कार भी होता है.
#अतः आपकी #कीमत तब होगी , जब आपकी #जरूरत होगी ।

#Sunrise

P K Mishra

रणनीति vs Bharat sarkar

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#Questions:
क्या #Corona से निपटने के लिए  #भारत_सरकार का तरीका सही नहीं है?
#Ans.
10 मार्च को देश के माननीय #प्रधानमंत्री जी ने #होली कार्यक्रम में शामिल न होने की बात #ट्वीटर के माध्यम से कही । अन्य देशों में #कोरोना के बढ़ते प्रकोपों से यह स्पष्ट था कि #भारत_सरकार को भी जल्द ही #लॉकडाउन का निर्णय लेना पड़ेगा । 10 मार्च से 24 मार्च कुल 15 दिन का #समय_था_सरकार_के_पास कि वह #मजदूर सहित सभी #नागरिकों को अपने #गृह_ग्राम/#जिला/#राज्य जाने की हिदायत दे देता जो जाना चाहते थे वो आराम से चले जाते ओर सरकार को #फ्री सेवा भी नहीं देना पड़ता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। ओर आज का जो #स्थिति हे देश में, #मजदूर #गरीब_परिवार और तमाम #असहाय_लोगों का ये इस बात की #पुष्टि करता है की #भारत_सरकार ने बिना कोई समाधान किए, बिना किसी रणनीति के #lockdown. कर दिए ओर #गरीब लोगों को #सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया। सरकारी घोसना तो #अरबों_खारबों का किया गया हे लेकिन #गरीबों कि इस्थिती क्या है ये सभी लोग जानते हे। ओर #चमचे लोग तारीफों के पुल बांधने में लगे हे।
#अतः इस बात की पुष्टि होती हे की  भारत सरकार का कार्य सही नहीं हे।
#Note. में #मोदी_विरोधी नहीं हूं। लेकिन सच लिखने से मुझे कोई नहीं रोक सकता।

#पुरुषोत्तम_मिश्रा
एक भारतीय नागरिक रणनीति vs Bharat sarkar

Sôñù Shármä

चरित्र आप एक संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति हैं। जीवन की कठनाइयों का आप पर अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा प्रभाव पड़ता है परिणामस्वरूप आप जीवन के कुछ सुखद पल खो देते हैं। दूसरों द्वार कही गयीं बातों को आप दिल पर ले लेते हैं। अतः कुछ एसी बातें है जो आपको दुःख देती हैं परन्तु उस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये।आपके कार्य करने का तरीका शान्तिपूर्ण है,परिणामस्वरूप आप अपने सहकर्मियों की नजर में मजबूत इच्छाशक्ति एवं दृढ-निश्चयी वाले व्यक्ति प्रतीत होते हैं। आपकी यह प्रवृत्ति आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने

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 चरित्र

आप एक संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति हैं। जीवन की कठनाइयों का आप पर अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा प्रभाव पड़ता है परिणामस्वरूप आप जीवन के कुछ सुखद पल खो देते हैं। दूसरों द्वार कही गयीं बातों को आप दिल पर ले लेते हैं। अतः कुछ एसी बातें है जो आपको दुःख देती हैं परन्तु उस पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये।आपके कार्य करने का तरीका शान्तिपूर्ण है,परिणामस्वरूप आप अपने सहकर्मियों की नजर में मजबूत इच्छाशक्ति एवं दृढ-निश्चयी वाले व्यक्ति प्रतीत होते हैं। आपकी यह प्रवृत्ति आपको अपना लक्ष्य प्राप्त करने

Birjesh Singh

good morning

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एक अती सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। 

उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है। जिसके दोनों ही हाथ नहीं है।

 महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई। 

उस 'सुंदर' महिला ने एयरहोस्टेस से बोला "मै इस सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पाऊँगी।

 क्योंकि साथ की सीट पर जो व्यक्ति बैठा हुआ है उसके दोनों हाथ नहीं हैं।

" उस सुन्दर महिला ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया। 

असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, "मैम क्या मुझे कारण बता सकती है..?"

'सुंदर' महिला ने जवाब दिया "मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी।"

दिखने में पढी लिखी और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला की यह बात सुनकर एयरहोस्टेस अचंभित हो गई। 

महिला ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि "मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती। अतः मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए।"

एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई, पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी। 

एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि "मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है, किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है।

 अतः मैं विमान के कप्तान से बात करती हूँ। कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें।" ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई। 

कुछ समय बाद लोटने के बाद उसने महिला को बताया, "मैडम! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है |

 इस पूरे विमान में, केवल एक सीट खाली है और वह प्रथम श्रेणी में है। मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया। एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है।"

'सुंदर' महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई, किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती... 

एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा 

"सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे..? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा कर के परेशान हों।

यह बात सुनकर सभी यात्रियों ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया। वह अति सुन्दर दिखने वाली महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।

तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, 

"मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ। और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे। 

सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी, तब मैं सोच रहा था। की मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और अपने हाथ खोये..? 

लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों के लिए अपने दोनों हाथ खोये।"

और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।

'सुंदर' महिला पूरी तरह से अपमानित होकर सर झुकाए सीट पर बैठ गई।

अगर विचारों में उदारता नहीं है तो ऐसी सुंदरता का कोई मूल्य नहीं है।

मैरे पास ये कहानी आई थी। 

मैंने इसे पढ़ा तो हृदय को छू गई इसलिये पोस्ट कर रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों भी बहुत पसंद आएगी। 

🇮🇳🇮🇳🙏🏻जय हिन्द🙏🇮🇳🇮🇳 good morning

Gokul Tapadiya

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गणपती क्यों बिठाते हैं ?
हम सभी हर साल गणपती की स्थापना करते हैं, 
साधारण भाषा में गणपती को बैठाते हैं।
लेकिन क्यों? किसी को मालूम है क्या ??
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है।
लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था। अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना 
की और गणपती जी से महाभारत लिखने की प्रार्थना की।
गणपती जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस 
कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, लेकिन उन्हें पानी पीना भी वर्जित था।
अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर 
मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की।
मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, 
इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा।
महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और 
अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ।
वेदव्यास ने देखा कि, गणपती का शारीरिक तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है 
और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है, 
तो वेदव्यास ने उन्हें पानी में डाल दिया।
इन दस दिनों में वेदव्यास ने गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए।
तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी।
🌺गणपती बाप्पा मोरया🌸

anil kumar y625163

शनि के नाम से ही हर व्यक्ति डरने लगता है। शनि की दशा एक बार शुरू हो जाए तो साढ़ेसात साल बाद ही पीछा छोड़ती है। लेकिन हनुमान भक्तों को शनि से डरने की तनिक भी जरूरत नहीं। शनि ने हनुमान को भी डराना चाहा लेकिन मुंह की खानी पड़ी आइए जानें कैसे... महान पराक्रमी हनुमान अमर हैं। पवन पुत्र हनुमान रघुकुल के कुमारों के कहने से प्रतिदिन अपनी आत्मकथा का कोई भाग सुनाया करते थे। उन्होंने कहा कि मैं एक बार संध्या समय अपने आराध्य श्री राम का स्मरण करने लगा तो उसी समय ग्रहों में पाप ग्रह, मंद गति सूर्य पुत्र श

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शनि के नाम से ही हर व्यक्ति डरने लगता है। शनि की दशा एक बार शुरू हो जाए तो साढ़ेसात साल बाद ही पीछा छोड़ती है। लेकिन हनुमान भक्तों को शनि से डरने की तनिक भी जरूरत नहीं। शनि ने हनुमान को भी डराना चाहा लेकिन मुंह की खानी पड़ी आइए जानें कैसे... 
महान पराक्रमी हनुमान अमर हैं। पवन पुत्र हनुमान रघुकुल के कुमारों के कहने से प्रतिदिन अपनी आत्मकथा का कोई भाग सुनाया करते थे। 

उन्होंने कहा कि मैं एक बार संध्या समय अपने आराध्य श्री राम का स्मरण करने लगा तो उसी समय ग्रहों में पाप ग्रह, मंद गति सूर्य पुत्र श

Kamal Verma

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स्वंय से दूर हो तुम भी, स्वंय से दूर है हम भी, बहुत मशहूर हो तुम भी, बहुत मशहूर है हम भी ,बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी, अतः मजबूर हो तुम भी ,अतः मजबूर है हम भी|

डॉ जे सी सोनी

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 14 - सात्विकी श्रद्धा 'मैं एक प्रार्थना करने आया हूँ।' जिन्हें लोग 'सरकार' 'अन्नदाता' कहते थकते नहीं थे, वे नरेश स्वयं आये थे एक कंगाल ब्राह्मण की झोंपड़ी पर। उन्हें भी - जिनकी आज्ञा ही उनके राज्य में कानून थी और जिनकी इच्छा किसी को भी उजाड़-बसा सकती थी, उन्हें उस मुट्ठीभर हड्डी के दुर्बल ब्राह्मण से अपनी बात कहने में भय लगता था। 'क्या कहना है तुम्हें?' न सरकार, न अन्नदाता - वह ब्राह्मण इस प्रकार बोल रहा था जैसे नरेश वह है और जो नरेश उस

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
14 - सात्विकी श्रद्धा

'मैं एक प्रार्थना करने आया हूँ।' जिन्हें लोग 'सरकार'  'अन्नदाता' कहते थकते नहीं थे, वे नरेश स्वयं आये थे एक कंगाल ब्राह्मण की झोंपड़ी पर। उन्हें भी - जिनकी आज्ञा ही उनके राज्य में कानून थी और जिनकी इच्छा किसी को भी उजाड़-बसा सकती थी, उन्हें उस मुट्ठीभर हड्डी के दुर्बल ब्राह्मण से अपनी बात कहने में भय लगता था। 

'क्या कहना है तुम्हें?' न सरकार, न अन्नदाता - वह ब्राह्मण इस प्रकार बोल रहा था जैसे नरेश वह है और जो नरेश उस

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स्वयं से दूर हो तुम भी स्वयं से दूर है हम भी।
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी ।
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