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Mukesh Poonia
जो व्यक्ति सीधी और साफ बात करता हैं उनकी वाणी तीव्र और कठोर हो सकती हैं... लेकिन वो किसी को धोखा नहीं देता...!! . ©Mukesh Poonia #Missing जो #व्यक्ति #सीधी और #साफ बात करता हैं उनकी #वाणी #तीव्र और कठोर हो सकती हैं.. लेकिन वो किसी को #धोखा नहीं देता...!!
Shalini Kashyap V
बड़ा से बड़ा युद्ध जीतने के लिए भुजाओं में वल के साथ साथ तीव्र बुद्धि का भी होना परम आवश्यक है क्यों की कई वार जिसे भुजाएं न हरा पाए उसे दिमाग हरा देता है ©Shalini Kashyap V #तीव्र बुद्धि #Agnipath
Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
पुछिए!क्या पुछना है आपको! मै बस आपसे चंद सवाल करुंगी!जिसके जबाब पुरा देश सुनना चाहता है! ठीक है,आप जो भी सवाल करेंगी,मै समुचीत उत्तर देने का प्रयाश करुंगा!राजीव निर्णायक स्वर मे बोला! राजीव का इतना बोलना था कि कैमरे की फोकश उस पर हो गई!आपने कितनी पढाई की है राजीव बाबु! सुचिता का पहला प्रश्न था! बी काँम,मगध युनिवर्सिटी से! आगे भी पढाई जारी है? हां मै पी एच डी के लिए अप्लाई कर चुका हूं! पर सुनने मे आया है कि आपको शीट नही मिली!इस लिए पुरे सिस्टम को हीं सवालो के कटघङे
read moreMadanmohan Thakur (मैत्रेय)
फिर दोनो घंटो बैठे युंही अलक मलक की बातें करते रहे!यह प्यार है हीं ऐसी चीज,जो इसान को शब्दो की रचणा करना सीखला देता है!समय की शीमा खत्म हो जाती है,लेकिन खत्म नही होता है,तो प्रेमी हृदय मे समाया हुआ शब्द! जो होठो से भी वयां होता है!आँखो से भी वयां होता है!जो भी हो,मोहब्बत है,बहुत जानदार चीज! दिल्ली का पाश इलाका!भारतीय जनतांत्रीक गटबंधन का मुख्यालय!रात के दस बज चुके थे!पुरा हीं मुख्यालय रौशनी से नहाया हुआ थ
read moreAnil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 5 - भक्ति-मूल-विश्वास 'पानी!' कुल दस गज दूर था पानी उनके यहाँ से; किंतु दुरी तो शरीर की शक्ति, पहुँचने के साधनपर निर्भर है। दस कोस भी दस पद जैसे होते हैं स्वस्थ सबल व्यक्ति को और आज के सुगम वायुयान के लिये तो दस योजन भी दस पद ही हैं; किंतु रुग्ण, असमर्थ के लिए दस पद भी दस योजन बन जाते हैं - 'यह तो सबका प्रतिदिन का अनुभव है। 'पानी!' तीव्र ज्वराक्रान्त वह तपस्वी - क्या हुआ जो उससे दस गज दूर ही पर्वतीय जल-स्त्रोत है। वह तो आज अपने आसन से उठन
read moreParmod Kuchhal
तुम्हे वो बचपन का झूला याद है पेड़ की मजबूत भुझाओं पर दोनों तरफ रस्सी डालकर तुम झूला करती थी और मैं तुम्हें जोर-जोर से झूलाता था जितनी तीव्र तुम आसमान की ओर जाती उससे ज्यादा तीव्र तुम मेरी ओर आती थी जानती हो उसमें खास बात क्या थी वो पेड़ जिस की मजबूत भुजाओं पर वो झूला था वो हमारा "विश्वास" था वो रस्सी जो तुमने दोनों हाथों से थामी थी वो तुम्हारा चंचल "मन" था और वो तुम्हारी आसमान छूने की चाहत तुम्हारी मंजिल जिसकी ओर बढ़ते समय तुम अत्यंत खुश हो जाती थी लेकिन हर बार आकाश छू कर लौट आना वो तुम्हारा "प्रेम" था #NojotoQuote #nojoto #nojotolove #writer
Anil Siwach
|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 ||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो मह
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 15 - नहीं करेगा 'तू लाठी चलाना सीख ले।' वरूथप ने कहा। ब्रजराजकुमार को ही लाठी चलाना न आवे, यह कोई अच्छी बात है? गोपबालक को मल्लयुद्ध और लाठी चलाने में निपुण होना ही चाहिये। 'सिखायेगा तू?' कन्हाई प्रस्तुत हो गया है। इसका वेत्र-लकुट इस काम का नहीं है तो क्या हो गया। वरूथप ने ही इसे भद्रका लकुट ले लेने को कह दिया। भद्र, वरूथप, विशाल गोपकुमारों में सबसे अच्छी लाठी चलाते हैं। वैसे तो नन्हा तोक भी अब वेत्र-लकुट घुमाने लगा है; किन्तु कन्हाई इस आवश्यक कला की शिक्षा के लिये प्रस्तुत ही न
read moreAnil Siwach
||श्री हरिः|| 6 - भगवत्प्राप्ति 'मनुष्य जीवन मिला ही भगवान को पाने के लिए है। संसार भोग तो दूसरी योनियों में भी मिल सकते हैं। मनुष्य में भोगों को भोगने की उतनी शक्ति नहीं, जितनी दूसरे प्राणियों में है।' वक्ता की वाणी में शक्ति थी। उनकी बातें शास्त्रसंगत थी, तर्कसम्मत थी और सबसे बड़ी बात यह थी कि उनका व्यक्तित्व ऐसा था जो उनके प्रत्येक शब्द को सजीव बनाये दे रहा था। 'भगवान को पाना है - इसी जीवन में पाना है।भगवत्प्राप्ति हो गई तो जीवन सफल हुआ और न हुई तो महान हानि हुई।' प्रवचन समाप्त हुआ। लोगों
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