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Best सुशील Shayari, Status, Quotes, Stories

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सुसि ग़ाफ़िल

हवा का झोंका जब भी लगता है तुम्हारी जुल्फों की याद आती है तुम्हारी जुल्फों वो तोता हो गई है जो मेरे घर के दरवाजे पर लटका आते जाते हैं

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हवा का झोंका 
जब भी लगता है 
तुम्हारी जुल्फों की याद आती है 

तुम्हारी जुल्फें वो तोता हो गई है 
जो मेरे घर के दरवाजे पर लटका

जो आते जाते हैं 
तो चुमता है मेरा माथा ...  हवा का झोंका 
जब भी लगता है 
तुम्हारी जुल्फों की याद आती है 

तुम्हारी जुल्फों वो तोता हो गई है 
जो मेरे घर के दरवाजे पर लटका

आते जाते हैं

सुसि ग़ाफ़िल

मेरे #भीतर की #बातें कौन जानेगा , मेरा भीतर तो है #मृतकों का #टीला | #सुशील #ग़ाफ़िल

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मेरे  भीतर की बातें कौन जानेगा  , 
मेरा भीतर तो है मृतकों का टीला | मेरे  #भीतर की #बातें कौन जानेगा  , 
मेरा भीतर तो है #मृतकों का #टीला |

#सुशील #ग़ाफ़िल

सुसि ग़ाफ़िल

#दिलजले #यात्राओं में कभी सोते नहीं , वो ढूंढते रहते हैं #मरहम #खिड़की से बाहर | #सुशील #ग़ाफ़िल

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दिलजले  यात्राओं  में  कभी  सोते  नहीं , 
वो ढूंढते रहते हैं मरहम खिड़की से बाहर | #दिलजले  #यात्राओं  में  कभी  सोते  नहीं , 
वो ढूंढते रहते हैं #मरहम #खिड़की से बाहर |

#सुशील #ग़ाफ़िल

सुसि ग़ाफ़िल

सुनो! मेरी आंखों की जलन से समझो धरती में पानी की गहराई और बढ़ गई है | #सुशील #ग़ाफ़िल

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सुनो! 

        मेरी आंखों की जलन से समझो 
        धरती में पानी की गहराई और बढ़ गई है |

सुशील ग़ाफ़िल 🍁 सुनो! 

        मेरी आंखों की जलन से समझो 
        धरती में पानी की गहराई और बढ़ गई है |

#सुशील #ग़ाफ़िल

सुसि ग़ाफ़िल

जिस मकान में पिता जी सोते हैं , उस घर की छत मजबूत होती है ! #सुशील_ग़ाफ़िल #सुशील #ग़ाफ़िल

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जिस मकान में पिता जी सोते हैं , 
उस घर की छत मजबूत होती है ! 
 जिस मकान में पिता जी सोते हैं , 
उस घर की छत मजबूत होती है ! 

#सुशील_ग़ाफ़िल 

#सुशील   #ग़ाफ़िल

सुसि ग़ाफ़िल

पिता के हिस्से में आई नहीं छांव हमेशा ही रहे उसके धूप में पांव! बोल उसके सख्त और दिल नर्म रूके ना कभी करता जाए कर्म! गोद में बैठा कर जो बड़ा बनाता बड़ा होने के बाद पर्दा सिखाता है!

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पिता के हिस्से में आई नहीं छांव 
हमेशा ही रहे  उसके धूप में पांव! 

बोल उसके सख्त और दिल नर्म
रूके ना कभी  करता जाए कर्म! 

गोद में बैठा कर जो बड़ा बनाता
बड़ा होने के बाद पर्दा सिखाता है! 

खुद खेल में हार कर भी वो अपनी
संतान  को  जीतना  सिखाता  है ! 

मैले कपड़े पहन कर खुद अपने 
बच्चों की ख्वाहिशें पूरी करवाता है! 

गुजर जाते है पिता जिनके बचपन 
में माँ ही उसका पिता कहलाता है! 

कर्ज का बोझ  सिर  पर  उठाकर
चुपचाप देर  रात  बाद सो जाता है! 

मां रूठ कर कभी चली जाए बाहर
अपने हाथों से बना खाना खिलाता है! 

सुशील कर्जदार रहेगा पिता का क्योंकि 
उसके आशीर्वाद से जमाना मुस्कुराता है!  पिता के हिस्से में आई नहीं छांव 
हमेशा ही रहे  उसके धूप में पांव! 

बोल उसके सख्त और दिल नर्म
रूके ना कभी  करता जाए कर्म! 

गोद में बैठा कर जो बड़ा बनाता
बड़ा होने के बाद पर्दा सिखाता है!

सुसि ग़ाफ़िल

किवाड़ जो बंद होते हैं लंबे अरसे से, यकीनन उनमें प्यार बहुत होता है!

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किवाड़ .... 

जो बंद होते हैं 
लंबे  अरसे  से , 

यकीनन उनमें 
प्यार बहुत होता है!  किवाड़ 

जो बंद होते हैं 
लंबे  अरसे  से, 

यकीनन उनमें 
प्यार बहुत होता है!

सुसि ग़ाफ़िल

मैं नशे में हूं..... तुम एतबार का ताला बंद कर दो, बंद कर दो खिड़कियां दरवाजे घर का उजाला बंद कर दो!

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मैं नशे में हूं..... 

तुम एतबार का
ताला बंद कर दो, 

बंद कर दो 
खिड़कियां दरवाजे 
घर का उजाला बंद कर दो! 

दीया जलाओ 
नजर मिलाओ
आंखों से बात करो मुस्कुराओ, 

चांद दिखेगा चेहरा तेरा 
अपने मुंह का ताला बंद कर दो!  मैं नशे में हूं..... 

तुम एतबार का
ताला बंद कर दो, 

बंद कर दो 
खिड़कियां दरवाजे 
घर का उजाला बंद कर दो!

सुसि ग़ाफ़िल

तुम पेड़ नहीं वरदान हो ... जब भी बारिश होती है कुछ ना कुछ नया बनता है नया पैदा होता है जैसे हमने देखा है बरसात होते ही मेंढक ज्यादा दिखने लगते हैं मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है जगह जगह पेड़ पौधे घास उगने लग जाती है! वैसे ही हुआ मेरे आंगन में भी एक छोटा सा पौधा उगा वह बड़ा होता रहा लगातार मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उस पर जब भी मुझे बड़ा दिखता मैं उसको काट देता था अगर हाथ से उखाड़ने की कोशिश करता था वह जड़ से उखड़ नहीं पाता था बीच में से टूट जाता था और फिर मैं उसको नजरअंदाज करके एक तरफ फेंक दिय

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शीर्षक  :-

तुम पेड़ नहीं वरदान हो... 
 तुम पेड़ नहीं वरदान हो ... 

जब भी बारिश होती है कुछ ना कुछ नया बनता है नया पैदा होता है जैसे हमने देखा है बरसात होते ही मेंढक ज्यादा दिखने लगते हैं मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है जगह जगह पेड़ पौधे घास उगने लग जाती है! वैसे ही हुआ मेरे आंगन में भी एक छोटा सा पौधा उगा वह बड़ा होता रहा लगातार मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया उस पर जब भी मुझे बड़ा दिखता मैं उसको काट देता था अगर हाथ से उखाड़ने की कोशिश करता था वह जड़ से उखड़ नहीं पाता था बीच में से टूट जाता था और फिर मैं उसको नजरअंदाज करके एक तरफ फेंक दिय

सुसि ग़ाफ़िल

मैं पुरुष हूँ... धरती और स्त्री दोनों का जन्म से मृत्यु तक कर्जदार रहूँगा ! #सुशील_ग़ाफ़िल #सुशील #ग़ाफ़िल

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मैं पुरुष हूँ... 

धरती और स्त्री 
दोनों का जन्म से 
मृत्यु तक कर्जदार रहूँगा ! 
 मैं पुरुष हूँ... 

धरती और स्त्री 
दोनों का जन्म से 
मृत्यु तक कर्जदार रहूँगा ! 

#सुशील_ग़ाफ़िल
#सुशील #ग़ाफ़िल
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