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Brajesh Kumar Bebak

दहेज़ की समस्या हमने खुद खड़ी की है #दहेज #सरकारीनौकरी #बाबू #सरकारीमास्टर #सचिव

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Yuva Shakti Sewa Sangathan

स्वतंत्रता, इतनी आसान नहीं थी। इस स्वतंत्रता की कीमत का अंदाजा शायद हम आप मिलकर भी नहीं लगा सकते हैं। जिस समय देश के ज्यादातर लोग स्वयं को और अपने परिवार के भविष्य को सुनहरा बनाने में व्यस्त थे उसी समय कुछ दीवाने देश की स्वतंत्रता के लिए खुद के प्राणों की आहुति दे रहे थे। उन्हें खुद से ज्यादा आने वाली पीढ़ी की स्वतंत्रता और उनके सुनहरे भविष्य की चिंता थी। न जाने कितने क्रांतिकारियों ने माँ भारती के सम्मान के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति स्वाधीनता संग्राम के महायज्ञ में दे दी। उन महान क्र

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 स्वतंत्रता, इतनी आसान नहीं थी। इस स्वतंत्रता की कीमत का अंदाजा शायद हम आप मिलकर भी नहीं लगा सकते हैं।
जिस समय देश के ज्यादातर लोग स्वयं को और अपने परिवार के भविष्य को सुनहरा बनाने में व्यस्त थे उसी समय कुछ दीवाने देश की स्वतंत्रता के लिए खुद के प्राणों की आहुति दे रहे थे। उन्हें खुद से ज्यादा आने वाली पीढ़ी की स्वतंत्रता और उनके सुनहरे भविष्य की चिंता थी। न जाने कितने क्रांतिकारियों ने माँ भारती के सम्मान के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति स्वाधीनता संग्राम के महायज्ञ में दे दी। उन महान क्र

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 16 – भाग्य-भोग 'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
16 – भाग्य-भोग

'भगवन! इस जीव का भाग्य-विधान?' कभी-कभी जीवों के कर्मसंस्कार ऐसे जटिल होते हैं कि उनके भाग्य का निर्णय करना चित्रगुप्त के लिये भी कठिन हो जाता है। अब यही एक जीव मर्त्यलोक से आया है। इतने उलझन भरे इसके कर्म है - नरक में, स्वर्ग में अथवा किसी योनि-विशेष में कहाँ इसे भेजा जाय, समझ में नहीं आता। देहत्याग के समय की इसकी अन्तिम वासना भी (जो कि आगामी प्रारब्ध की मूल निर्णायिका होती है) कोई सहायता नहीं देती। वह वासना भी केवल देह की स्

Sukhdev Yadav

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ग्राम पंचायत सगोड़ी 
सचिव एंव सहा. सचिव
की ओर से
आप सभी को दीपावली की हर्दय दिल से बहुत बहुत बधाई एंव शुभ कामनाए #gif


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