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Best मन्त्र Shayari, Status, Quotes, Stories

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बेजुबान शायर shivkumar

#vishnubhagwan #विष्णु #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की #महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।।

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अनुभव पंडित जी

अनुभव पंडित जी

Ganesh joshi

Santosh 'Raman' Pathak

#HappyBirthdaySouravGanguly उत्तम की उम्मीद रक्खो, 
बुरे के लिए ख़ुद को तैयार रक्खो
शायद यही जीवन का मूल मंत्र है

©Santosh Pathak #सीख
#गांगुली से
#मन्त्र

#HappyBirthdaySouravGanguly

Jugal Vyas

Jugal Vyas

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 9 - देखे सकल देव 'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ। 'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
9 - देखे सकल देव

'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कुमार ने महर्षि भृगु की सेवा में रहकर। महाआथर्वण का वह शिष्य स्वभाव से वीतराग, अत्यन्त तितिक्षु था। उसे गार्हस्थ्य के प्रति अपने चित्त में कोई आकर्षण प्रतीत नहीं हुआ।

'वत्स! तुम स्वयं देखकर निर्णय करो!' आज का युग नहीं था। शिष्य गुरुदेव के समीप गया और उसके कान में एक मन्त्र पढ दिया गया। वह अपने गुरुदेव के सम्प्रदाय मे दीक्षित हो गया। यह कौन सोचे कि उस जीव का भ

Anil Siwach

।।श्री हरिः।। 33 - यह अर्चक कभी कोई ऋषि-मुनि वन में भी आ जाते हैं। वैसे नन्द भवन में तो ये आते ही रहते हैं। बाबा, मैया इन लोगों की बडी श्रद्धा से पूजा करते हैं। कन्हाई सम्भवतः यही देख-देखकर ऋषियों की अर्चा करना सीख गया है। कोई ऋषि वन में आ जायें तो यह चपल सहसा गम्भीर हो जाता है। सभी गोपकुमार श्रद्धालु हैं। ऋषि-मुनियों को प्रणाम करने में उनकी सेवा-पूजा करने में सब उत्साह रखते हैं; किंतु यह काम कन्हाई से जैसा उत्तम बनता है, दूसरों से तो नहीं बनता। इसलिये ऐसे समय यह स्वयं अग्रणी बन जाता है। दाऊ द

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।।श्री हरिः।।
33 - यह अर्चक

कभी कोई ऋषि-मुनि वन में भी आ जाते हैं। वैसे नन्द भवन में तो ये आते ही रहते हैं। बाबा, मैया इन लोगों की बडी श्रद्धा से पूजा करते हैं। कन्हाई सम्भवतः यही देख-देखकर ऋषियों की अर्चा करना सीख गया है।

कोई ऋषि वन में आ जायें तो यह चपल सहसा गम्भीर हो जाता है। सभी गोपकुमार श्रद्धालु हैं। ऋषि-मुनियों को प्रणाम करने में उनकी सेवा-पूजा करने में सब उत्साह रखते हैं; किंतु यह काम कन्हाई से जैसा उत्तम बनता है, दूसरों से तो नहीं बनता। इसलिये ऐसे समय यह स्वयं अग्रणी बन जाता है। दाऊ द

RAJ SINGH ✔️

----प्रेम और विवाह ----- सारे रस्म घूंघट में हो रहे थे। जयमाला के वक़्त हल्का सा नाक और होंठ ही तो दिख पाया था। गहनों ने पूरा ढक रखा था और रही-सही कसर उस झीनी सी सितारों वाली चुन्नी ने पूरी कर दी थी। "एक झलक दिख ही जाती तो क्या चला जाता। फोन पर कितनी बार कहा था कि, घूंघट मत करना मगर इन्हें तो हमारी कम और घूँघट की ज्यादा पड़ी है" पंडित के साथ मन्त्र बुदबुदाते हुए, मन में "राज" सोच रहा था। कुढ़न तो इतनी मच रही थी, मगर क्या करता रस्में तो निभानी थी तो निभाए जा रहा था। लेकिन मन में तय कर लिया था इसका

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----प्रेम और विवाह -----

सारे रस्म घूंघट में हो रहे थे। जयमाला के वक़्त हल्का सा नाक और होंठ ही तो दिख पाया था। गहनों ने पूरा ढक रखा था और रही-सही कसर उस झीनी सी सितारों वाली चुन्नी ने पूरी कर दी थी। "एक झलक दिख ही जाती तो क्या चला जाता। फोन पर कितनी बार कहा था कि, घूंघट मत करना मगर इन्हें तो हमारी कम और घूँघट की ज्यादा पड़ी है" पंडित के साथ मन्त्र बुदबुदाते हुए, मन में "राज" सोच रहा था।

कुढ़न तो इतनी मच रही थी, मगर क्या करता रस्में तो निभानी थी तो निभाए जा रहा था। लेकिन मन में तय कर लिया था इसका
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