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Abundance
#ट्रैन बचपन से एक ही जिद थी खिड़की के साइड बैठना है ट्रैन में दूसरी ट्रैन बगल पटरी पर वो ना जाये मेरी ट्रैन से पहले सफर पर झालमुड़ी वाला क्यूँ नहीं आता मेरी बोगी में हाय रे चिंता 😏😏 मेरे बचपन की 😇😇😊😊😏😏 ©MALLIKA
Neeraj Upadhyay 9548637485
पटरी पर लेट कर फोन पर बात करती रही,और ट्रैन निकल गई ऊपर से। #ट्रैन
read moreSantosh Sagar
आज मैं आपको खुशहाली वाली बात बताता हूं, गौर से सुनियेगा दिवाली वाली राज बताता हूं !! मैं खुश होता हूं देख के हरी, पिली और लाल बत्तियों को, घर की यादें और आपका साथ ऐसे ही मैं दिवाली मनाता हूँ !! हमें ख़ुशी होती हैं, जब आप दिवाली मनाते हो, हम पहुंचाते हैं आपको और आप घर जाते हैं ! हमारी दिवाली ऐसे ही मनती रहेगी हर साल, हम लोको पायलट सिग्नल देख दिवाली मनाते हैं !! :- संतोष 'साग़र' #दीपावली #ट्रैन #love Dreamy Shahjahan(Youtuber) 💖Precious Kudi~Taruna Sharma💖 Deep lonley wiidout uh Chanchal Tomar OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) Nojoto isk
sanjay khar
love Story read captions मेरी किताब 7 मैं कल फिर गाना गुनगुनाते हुए जा रहा था । और अचानक दिवार पे नजर पड़ी वहां वही लिखा हुआ था । किसी दिन आओगे तुम तो याद जरूर आयेगी इस नाम से, वो दिवार खण्डहर हो गयी थी, और उसकी परत लटक रही थी, मगर शायद मेरा वो इन्तजार कर रही हो मैंने करीब से देखा और उसका और मेरा नाम पढ़ा और छू ही था की वो सिमन्ट गीर गयी, और उसके साथ हमारा नाम भी, मैं बहुत दिनों तक उस लड़की को उस शहर में खोजता रहा । सोसीयल साईट पे सब जगह देखा पर वो नहीं मिली, ना उसका कोई पता मिला । मैं काफी दिनों तक रहा उसके शहर में और
मेरी किताब 7 मैं कल फिर गाना गुनगुनाते हुए जा रहा था । और अचानक दिवार पे नजर पड़ी वहां वही लिखा हुआ था । किसी दिन आओगे तुम तो याद जरूर आयेगी इस नाम से, वो दिवार खण्डहर हो गयी थी, और उसकी परत लटक रही थी, मगर शायद मेरा वो इन्तजार कर रही हो मैंने करीब से देखा और उसका और मेरा नाम पढ़ा और छू ही था की वो सिमन्ट गीर गयी, और उसके साथ हमारा नाम भी, मैं बहुत दिनों तक उस लड़की को उस शहर में खोजता रहा । सोसीयल साईट पे सब जगह देखा पर वो नहीं मिली, ना उसका कोई पता मिला । मैं काफी दिनों तक रहा उसके शहर में और
read moreHariom Suryawanshi
मैं उसके सामने ,वो मेरे सामने मेरी नज़र उस पर पड़ती, वो मुस्कुरा कर मुह फेर लेती। उसकी नज़र मुझ पर पड़ती ,मैं शर्मा कर मुह फेर लेता। वो भी मुझ से कुछ पूछ लेना चाहती थी ,मैं भी उससे कुछ जान लेना चाहता था घड़ी की सुई टिक-टिक करती आगे बढ़ी, और हमारी नज़रे -नज़रे की बाते जुबा में उतरी। मैंने भी उससे पूछा उसने भी मुझसे पूछा ,"नाम क्या है तुम्हारा"। पहिये ट्रैन को उसकी मंजिल की ओर ले जा रहे थे, और हमारी बाते हमे एक -दूसरे के करीब। समा फिर बदला ,ट्रैन का पहिया रुका हमारी मंजिल का स्टेशन एक ही था दोनो ने ट्रेन का साथ छोड़ा, एक -दूसरे का हाथ थामा मैं उससे कुछ कह देना चाहता था ,वो मुझसे कुछ सुन लेना चाहती थी मैन वक्त लिया और "चाय" offer किया उसने मुस्कुराया और offer स्वीकार किया दोनो के बीच लगभग 600 seconds के सन्नाटे के बाद मैन pocket से wallet निकाला और सारी कहानी बदल गई to be continued....... ट्रैन वाला प्यार part 2
ट्रैन वाला प्यार part 2
read moreHariom Suryawanshi
सूरज आग उगलता हुआ सर के ऊपर था। ट्रैन के चलने का मुझे भी इंतज़ार था ,उसे भी इंतज़ार था। वो नाक में गुस्सा और चहरे में मासूमियत लिए ट्रैन के पहियों के घूमने की राह देखती अचनाक समा बदला ट्रैन का पहिया घुमा ,उसके चेहरे पे मुस्कुराहट उसकी नज़र मुझ पर ,मेरी नज़र उस पर उसकी नज़रो का तो पता नही ,मगर मेरी नज़रे उसके मुस्कुराते चहरे पर थम सी गई और सुरु हुई एक अनोखी कहानी to be continued...... ट्रैन वाला प्यार
ट्रैन वाला प्यार
read moremangla varma
love sms status messages वो बिरान पड़े स्टेशन कभी गौर किया है कौन आता होगा वहाँ जहां मैन कभी किसी ट्रैन को रुकते नही देखा होते हैं वहाँ बस दो चार आवारा कुत्ते और एक स्टेशन मास्टर हरी झंडी दिखता खुद को ये समझाता की इस वीराने में वो किस लिए खड़ा है यहां कभी नही कोई आता जहां आज मैं भी उसी मोड़ पे हूँ उसी वीरान वाले स्टेशन के एक छोर पे हूँ पहले जिन्हें मैं आवारा समझता था वो कुत्ते बड़े ही वफादार हैं और वो स्टेशन मास्टर साहब भी बड़े समझदार है मेरे अकेलेपन को भांप गए मेरी ट्रैन आने तक साथ मेरे साथ आ गए ये वीरान से पड़े स्टेशन कभी कोई नही आता जंहा छिपाये बैठे हैं कई राज अपने भीतर सुनाते हैं कहानियां उन खामोशियों की जिन्हें सुनने के लिए कोई नही आता वहां मिल के अच्छा लगा इन वीरान स्टेशनों से शहरों की भीड़ से दूर अपनी संन्नाटे की कहानी लिए खामोश से ये वीरान स्टेशन #NojotoQuote #अकेलापन #तन्हाई #बिरानी #अधूरापन #ज़िन्दगी
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
"बिन फेरे हम तेरे " बस आज अपना डर लिख रहा हूँ या यूँ कहूँ कि तुम्हें लिख रहा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये था कि कुछ पढ़ लिख के बन जाऊँ पढ़ तो गया पर कुछ खास न बन सका,,,,,,,,,,,,, खास इसलिए बनना था के तुम आम सी नहीं लगती हो मुझे ,,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये रहता था बचपन में के स्कूल तुमसे पहले पहुँच जाऊँ ताकि तुम्हें आते हुए देख सकूँ के ऐसे ही आयेगी इक दिन ज़िन्दगी मेरे घर,,,,,,,,,, पर इस डर ने डरा दिया के मेरे मिट्टी की दीवालों वाले घर में शीशे की ज़िन्दगी कब तक सलामत रहेगी अपनी ही ज़िन्दगी को पिजड़े में कैद थोड़ा रखूंगा ,,,,,,,,,,,,, इस डर के साथ आगे पढ़ने बाहर गया था कि इक दिन मेरी आम से भी आम ज़िन्दगी तेरा मेरा हाथ भर थाम लेने से खास हो जायेगी ,,,,,,,,,,,,,,,,, डर ने मुझे बहुत दौड़ाया, दौड़ने के बाद भी कभी रेस खत्म नहीं हुई आज तक दौड़ रहा हूँ बस दौड़े जा रहा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,, उस दिन भी दौड़ ही रहा था तेरे शहर में इस डर से के ट्रैन न छूट जाए के सामने से ज़िन्दगी आती हुई दिखी मैं थम गया के अब नहीं डरना जाने दो ट्रैन को ये है वो ज़िन्दगी जो अब तक मैंनें जी ही नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,, ©️✍️ सतिन्दर #NojotoQuote बिन फेरे हम तेरे -2 "बिन फेरे हम तेरे " बस आज अपना डर लिख रहा हूँ या यूँ कहूँ कि तुम्हें लिख रहा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये था कि कुछ पढ़ लिख के बन जाऊँ पढ़ तो गया पर कुछ खास न बन सका,,,,,,,,,,,,, खास इसलिए बनना था के तुम आम सी नहीं लगती हो मुझे ,,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये रहता था बचपन में के स्कूल तुमसे पहले पहुँच जाऊँ ताकि तुम्हें आते हुए देख सकूँ के ऐसे ही आयेगी इक दिन ज़िन्दगी मेरे घर,,,,,,,,,,
बिन फेरे हम तेरे -2 "बिन फेरे हम तेरे " बस आज अपना डर लिख रहा हूँ या यूँ कहूँ कि तुम्हें लिख रहा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये था कि कुछ पढ़ लिख के बन जाऊँ पढ़ तो गया पर कुछ खास न बन सका,,,,,,,,,,,,, खास इसलिए बनना था के तुम आम सी नहीं लगती हो मुझे ,,,,,,,,,,,,,,,,, डर ये रहता था बचपन में के स्कूल तुमसे पहले पहुँच जाऊँ ताकि तुम्हें आते हुए देख सकूँ के ऐसे ही आयेगी इक दिन ज़िन्दगी मेरे घर,,,,,,,,,,
read morePratyush Saxena
जिंदगी , रेल की एक दौड़ । आज ट्रैन में सफर करते करते एक ख्याल आया । ये रेल का सफर भी कुछ जिंदगी जैसा ही होता न । कोई जनरल में है , कोई स्लीपर में है , तो कोई ऐ सी में , जैसे हम सब मुश्किल , आसान और आरामपरस्ती का जीवन जीते । जिंदगी भर जनरल वाले की कोशिश स्लीपर में चले , स्लीपर वाले की ऐ सी में , और ऐ सी वाले की प्लेन में । देखो अच्छा , टिकट भी कितना कुछ बताता , कनफर्म्ड टिकट भी बचपन से लेके किशोरावस्था की तरह होता , बेफ़िक्री वाला , जहाँ चाहो घूमो , इधर उधर देखो , और शादीशुदा जीवन आर ऐ सी की तरह , थोड़ा तकलीफदेय , पर हमसफ़र के साथ कट ही जाता है । चलो , ये सब सोचते सोचते ट्रैन चल दी है , सफर तो चलता ही रहेगा Zindagi Rail ki Tarah #PS #Nojoto #NojotoHindi #Lekh
Zindagi Rail ki Tarah #PS #nojotohindi #Lekh
read moreKunal Raj
"कॉलेज एडमिशन का सफर" मेरा इंजीनियरिंग में सेलेक्शन हुआ घर से 200km दूर लखनऊ में, अपने पिता के साथ एडमिशन के लिए जाना और कॉलेज के नए सफर के लिए शरुआत करना सब कुछ नया नया सा लग रहा था।ट्रैन में थोड़ी देर बाद मैंने notice किया कि एक लड़की काफी देर से मुझे देख रही थी ये देखते ही मेरे पसीने छूट गए , भाई हम तो पढ़े भी boys school के जो थे लेकिन पहली पहली बार सब कुछ नया लगता है बिजली सी कौंध जाती है। हम लोग नज़र चुरा के एक दूसरे को देख ही रहे थे की वो हस पड़ी क्योंकि बगल वाले अंकल ने अपना गीला नेकर वही सुखाने को फैला दिया। uncle की इस देसी middle class comedy ने उसकी पहली मुस्कान दिखाई। हम लखनऊ पहुच गए लेकिन ट्रैन छोड़ने का मन नही था मानो सफर यही ख़तम।जब हम कॉलेज पहुचे तो देखा वो भी उसी कॉलेज में दाखिला लेने आयी है। वहां एक सफर खत्म तो हुआ पर नए सफर की दस्तक देकर।इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि "लखनऊ आज भी बेहतरीन है।" kunal 'राज' "लखनऊ आज भी बेहतरीन है"#hindi #tourism#worldtourismday#इमामबाड़ा#चिकन👍 #
"लखनऊ आज भी बेहतरीन है"#Hindi #tourism#worldtourismday#इमामबाड़ाचिकन👍 #
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