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पवन सिंह
अगर संबंध #थोडे समय के लिए रखना है तो #मीठे बनिए, और #लंबे समय तक रखना है तो #स्पष्ट बनिए। ©पवन सिंह
Heeralal Rajbhar
Niharika jha
💞 हमारे #दिल 💞💕में रहने वाले #जरा---------दिल की बात #समझ लो ना हम #थोडे से #जिद्दी 😘😘है #माना-----------की तुमसे लडते और झगडते-------ह 😕😕लेकिन ये #बिलकुल----सच है तुमसे #बेपनाह #मोहब्बत---------करते---------है ©Niharika jha #freebird
_quots_28
#कोई और इल्जाम है तो... #वो भी देते जाओं... #हम तो पहले से ही बुरे थे... #थोडे और सही... _quots_28
pratima patil
ती.. हरवले आहे आज तिचे मन कोणास ठाऊक काय आहे त्याच कारण ना चेहऱ्यावर भाव ना विचारांचा ठाव कशाचा झालाय नेमका हृदयावर घाव मधूनच पडतोय नेत्राचा कटाक्ष अजाणतेपणी देतोय कशाची तरी साक्ष भरकटलेल्या मनाला लागलेली ही आस श्वासाश्वासात दडलेला हा नवीनच ध्यास देतोय कुणाच्या तरी असण्याचा आभास भावनेच्या सागराला लागलेली ही ओढ शोधतेय कुणाच्या अस्तित्वाचे गुढ संपणार तरी कधी ही विचारांची गुंतागुंत की तो अफाट सागर विसरलाय स्वतः चाच अंत मनी हीच अभिलाषा सुटावे कधी तरी हे कोडे बहरावा विचारांचा वसंत ऋतू असाच आणि जगावे हे आयुष्य ह्याच विचारांसह रोज थोडे थोडे आता समीप आलीय ती चांदणी निशा जेव्हा दिसेल ती मनातली धूसर प्रतिमा.. - प्रतिमा
Sumedh Hyalinge
थोडे थोडे म्हणता सगळेच वाहून गेले.. दार उघडून पाहता रक्तळलेले हृदय हसत हसत मेले.. this is my first post hope u like it #Marathi_poem #poem #sad #love
this is my first post hope u like it Marathi_poem poem sad love
read moreShashikant Koli
शोर भी था और खामोशी भी गुड भी था और मिरची भी ख्वाब भी थे और सच्चाई भी बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे सडकोंंपर थी भीड बेवजह खाली कोई गली ना थी आँँखे टकराई चुपकेसे लेकिन खुलके मिली ना थी ये भी था और वो भी था बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुमको देखू या बारिश को या मै भी चूप हो जाऊ? आन्खोसे तारीफे सुनके थोडासा मै इतराऊँँ? उलझन मे थी फसी हुई बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुम तो बात नाही छेडोगे जान गयी हूँँ इतना मै दिलको अपने ऐसे तैसे समझाऊँँगी कितना मैं खामोशी को सुन लुँँगी और आँँखोसे पढ लुँँगी कभी कभी बस... तुमको छेडूंंगी क्यूँँ इतने चुपचाप से थे ....
Shashikant Koli
शोर भी था और खामोशी भी गुड भी था और मिरची भी ख्वाब भी थे और सच्चाई भी बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे सडकोंंपर थी भीड बेवजह खाली कोई गली ना थी आँँखे टकराई चुपकेसे लेकिन खुलके मिली ना थी ये भी था और वो भी था बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुमको देखू या बारिश को या मै भी चूप हो जाऊ? आन्खोसे तारीफे सुनके थोडासा मै इतराऊँँ? उलझन मे थी फसी हुई बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुम तो बात नाही छेडोगे जान गयी हूँँ इतना मै दिलको अपने ऐसे तैसे समझाऊँँगी कितना मैं खामोशी को सुन लुँँगी और आँँखोसे पढ लुँँगी कभी कभी बस... तुमको छेडूंंगी क्यूँँ इतने चुपचाप से थे ....
Shashikant Koli
शोर भी था और खामोशी भी गुड भी था और मिरची भी ख्वाब भी थे और सच्चाई भी बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे सडकोंंपर थी भीड बेवजह खाली कोई गली ना थी आँँखे टकराई चुपकेसे लेकिन खुलके मिली ना थी ये भी था और वो भी था बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुमको देखू या बारिश को या मै भी चूप हो जाऊ? आन्खोसे तारीफे सुनके थोडासा मै इतराऊँँ? उलझन मे थी फसी हुई बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे तुम तो बात नाही छेडोगे जान गयी हूँँ इतना मै दिलको अपने ऐसे तैसे समझाऊँँगी कितना मैं खामोशी को सुन लुँँगी और आँँखोसे पढ लुँँगी कभी कभी बस... तुमको छेडूंंगी क्यूँँ इतने चुपचाप से थे ....
Shashikant Koli
मै थी ..तुम थे बारिश थी और भीगे भीगे गाने भी थे.. थोडे थोडे किस्से थे और हलकेसे ताने भी थे.. बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे.. एक ही प्याली चाय भी थी घुंट घुंट की बात भी थी हवा हमारे साथ भी थी सामने था सब धुंदला धुंदला बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे.. बादल हाथोंंमें ले ले कर खिडकी ने भी देखा था हरेभरे पेडोंंने झुककर पलभर ये ही सोचा था हलकी हलकी आहेेंं थी बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे हाथोंं मे थे हात जरासे बातोंं मे थी बात जरा भिगी भिगी दोपहरी मे नरमी भी थी साथ जरा हसते हसते आँँख भर आई बस.. तुम थोडे चुपचाप से थे