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'मनु' poetry -ek-khayaal

Suchita Pandey

#उम्र_के_साथ #yqquotes #शक़ #पड़ाव #suchitapandey #yqthoughts एक उम्र वो थी जब, जादू पर यकीन था। एक उम्र ये हैं जब, हकीकत पर शक़ है। #सुचितापाण्डेय

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एक उम्र वो थी जब, 
जादू पर यकीन था।
एक उम्र ये हैं जब, 
हकीकत पर शक़ है। #उम्र_के_साथ #yqquotes
#शक़ #पड़ाव #suchitapandey
   #yqthoughts 
एक उम्र वो थी जब, 
जादू पर यकीन था।
एक उम्र ये हैं जब, 
हकीकत पर शक़ है।
#सुचितापाण्डेय

Saurabh Girach

ना गुरुर रख, ना फ़रेब रख,
न ईर्ष्या रख, न अशांति रख,
रख केवल और केवल,
प्यार मन में और मुस्कान चेहरे पर ।
कुछ पलों की जिंदगी है,अच्छे से गुजार लो,
आखिरी पड़ाव में मिट्टी में तो मिलना ही है ।। #मिट्टी #पड़ाव #अच्छा #बुरा #yqdidi #YQBaba challenge #complete
#जगसार

Pankaj Singh Chawla

समझा नही मैं खुद को एक अरसा होने को है,
ज़िंदगी का एक और पड़ाव पूरा होने को है,
कभी कवि बनने की सोच कलम उठाने लगता हूँ,
कभी उसी कलम से छवियों को कागज़ में उतारने लगता हूँ,
कभी अपनी ही कलाकारी कर रंगों से खेलने लगता हूँ,
कभी कलम को रख डिजिटल जमाने संग चलने लगता हूँ,
समझ नही पाता मैं कब क्या करने लगता हूँ,
जिंदगी बीत न जाए यूँ ही इक अर्ज़ी आज लगता हूँ,
ज़िंदगी तू ही बता मैं करना क्या चाहता हूँ
समझा नही मैं खुद को....।। #समझा #जिंदगी #कलम #पड़ाव #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo #pchawla16

गुरु GS

Abundance

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Tamanna Faridi

#पड़ाव नही मंजिल अभी दूर है

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Prachi Gupta

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सोंधी सी खुशबू उसकी,

वो गीली मिट्टी चाक पर
घुमते हुए इतरा रही थी
गोल गोल घूमता हुआ चाक
ओर उसपे घूमते हुए कुम्हार के हाथ

साहब वो अकेली थीu
बस उसे थोड़े प्यार की जररूत थी
घूमते हुए हाथ, उसे बस सही साथ कि जरूरत थी

गोल गोल हाथ घूमे
मिट्टी बन मटकी इतराती हुई झूमे
फिर कुम्हार ने उस सांचे को आंच पर भी तपाया
थोड़ा सा कष्ट हुआ उसे, लेकिन 
उसी ने उसको मजबूत अंदर से था बनाया
कुम्हार ने मटकी को अपने हाथ से था सजाया
तब जाकर वो सुंदर रूप उसे था कहि दे पाया

गोल गोल घूमता हुआ चाक
ओर उसपे घूमते हुए कुम्हार के हाथ
उसने रख उसकी असाव
तय कराया उसने मिट्टी से मटकी तक पड़ाव
इस पड़ाव में उसका बढ़ गया था भाव
इस सफर के बाद , 
शुरू हुई उसकी एक लंबी असफार
जोकि लंबी बहुत थी
इस असफार मे उसके 
साहब भी बहुत थे
इस सुंदर रूप को चाहने 
वाले बढ़ गए जो बहुत थे
कुम्हार ने कभी इसे दिया 
तो दिया कभी उसे
सुंदर रूप का चक्कर था
गुरुर उसका पूरे टक्कर का था
इस चक्कर मे गुरुर
 उसका बढ़ गया था
आराइश थी कुम्हार की
लेकिन गुरुर में सब वो अपने भूल गया था
इधर उधर के चक्कर में
अपने ही झूठे सुरूर में
गिर कर उसके साथ उसका 
गुरुर भी टूट गया था
इस चक्कर मे वो किसी का ना हो पाया
हो चकनाचूर मिटा लिया था उसने अपना ही साया
फिर वो बिगड़ा रूप किसी को ना भाया....

Neelesh Shukla

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यूँ बिन तुम्हारे उम्र ढल तो रही है ,
न जाने कब पड़ाव आ जाये ,
आरजू इतनी सी है उस पड़ाव में तेरी जुल्फों की छाँव आ जाए।।
©नीलेश शुक्ल योगी

Monu Kumar Baitha

#OpenPoetry आज सुबह-सुबह जब मैंने Nojoto App(Poem, Shayeri,quotes etc. for New Writers) खोला तो एक नोटिफिकेशन आया जिसमें एक सवाल था कि-: प्यार क्या है? फिर सोचते-सोचते "प्यार" शब्द को परिभाषित करने में लग गया। वैसे तो 'प्यार' को परिभाषित नहीं किया जा सकता है,यह तो अनन्त है।फिर भी अलग-अलग नजरिये और उम्र के पड़ाव से 'प्यार' को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है। बचपन में माँ-बाप के लार-दुलार से लेकर दादा-दादी,चाचा-चाची,नाना-नानी,भाई-बहन से जो स्नेह मिलता आया है वो प्यार है।कभी कुछ गलती करने प

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#OpenPoetry प्यार क्या है ?





नीचे कैप्शन में व्याख्या है। #OpenPoetry 
आज सुबह-सुबह जब मैंने Nojoto App(Poem, Shayeri,quotes etc. for New Writers)  खोला तो एक नोटिफिकेशन आया जिसमें एक सवाल था कि-: प्यार क्या है?
फिर सोचते-सोचते "प्यार" शब्द को परिभाषित करने में लग गया।
वैसे तो 'प्यार' को परिभाषित नहीं किया जा सकता है,यह तो अनन्त है।फिर भी अलग-अलग नजरिये और उम्र के पड़ाव से 'प्यार' को कुछ इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है।
बचपन में माँ-बाप के लार-दुलार से लेकर दादा-दादी,चाचा-चाची,नाना-नानी,भाई-बहन से जो स्नेह मिलता आया है वो प्यार है।कभी कुछ गलती करने प
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