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Dr. Vishal Singh Vatslya
मैं रंगो में रंगा, रंग बिरंगा हूँ कुछ सवरा सा, कुछ बेरंगा हूँ .... सीमाओं में बंधना मंजूर नहीं मुझे उन्मुक्त गगन में उड़ू , वो आजाद परिंदा हूँ .... काव्य आत्मा, साहित्य जान और संगीत पहचान है मेरी मैं नन्द लाल की भूमि से ब्रज भूमि का वासिंदा हूँ ... 24/365 #365days365quotes #solutionofproblem #रंग #आजाद #ब्रज #yourquotedidi
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read moreVarsha Sharma
"मेरो वृदांवन" ❤️ मेरो वृदांवन ❤️❤️❤️ हाँ! मुझे वृन्दावन जाना है उस माटी में मिल जाना है उम्र भर के लिए, ए कान्हा! मुझे अब वहीं बस जाना है ए कान्हा मोरे...!
मेरो वृदांवन ❤️❤️❤️ हाँ! मुझे वृन्दावन जाना है उस माटी में मिल जाना है उम्र भर के लिए, ए कान्हा! मुझे अब वहीं बस जाना है ए कान्हा मोरे...!
read moreशुभ'म
करताल-झाल-चौताल बजाए, गाए कबिरा-लगाए अबिरा, सखि ऊ किशन-सजन कब लौटिहं रे ?? ई मन मुस्कात-ऊ गगन हरिसात, उईं उनकै रूप मन में मचावे उत्पात, सखि ऊ किशन-सजन कब लौटिहं रे ?? गईल-गईल कए माघ गईल, बीतल भईल ऐसस कईयों फाग, सखि ऊ किशन-सजन कब लौटिहं रे ?? जन बरसान में बरसावे आँखी से पानी, मथुरा में नाही खेले,वृन्दावनओं मे देखले बानी सखि ऊ किशन-सजन कब लौटिहं रे ?? ©Sp"रूपचन्द्र"✍ #गोपी, #अवधी ,#ब्रज ,#भोजपुरी #holi2021
Guru
श्री राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक हे मन, इस भौतिक संसार की सभी इच्छाओं को त्यागते हुए श्री राधा राधा का निरंतर जप करो। ब्रज की गलियों में विचरण करो और वृंदावन धाम में निवास करो। वृंदावन में निवास करो और रसिक भक्तों की संगति करो, प्रेम के मार्ग को पूरी निष्ठा से स्वीकार करो, और विष के समान संसारी विषयों का त्याग करते हुए अमृत का पान करो। श्री लाल बीर कहते हैं, "असीम आनन्द प्राप्त करो, बस श्री राधा नाम का अपने ह्रदय से विश्वासपूर्वक जप करो!" श्री #राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर #वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ #श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक
श्री #राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर #वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ #श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक
read moreहिमपुत्री किरन पुरोहित
मोहन! इक बिनती सुनो राधा के बिना तुम्हारा सबकुछ आधा रह जावेगा, ठहरन का बिचार तो करो | #Krishna #radha #radhakrishn #kiranpurohit #kalamse #HareKrishna #ब्रज #मोहन
मोहन! इक बिनती सुनो राधा के बिना तुम्हारा सबकुछ आधा रह जावेगा, ठहरन का बिचार तो करो | #Krishna #Radha #radhakrishn #kiranpurohit #Kalamse #harekrishna #ब्रज #मोहन
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 53 - श्याम भी असमर्थ आज फिर भद्र रूठ गया है। कन्हाई इसकी सुनता नहीं - इतना विलम्ब हो गया, इसके अरूण कोमल अधर सूखने लगे, उदर नीचा हो गया, यह क्षुधातुर है और भद्र की बात ही नहीं सूनता। ऐसा खेल में लगा है कि इसे अपने श्रान्त होने, क्षुधातुर होने का ध्यान नहीं। भद्र कहता है - 'अब चल, सब भोजन करें।' 'तू भूखा है? तुझे अभी से क्षुधा लगी है?' श्याम उलटे ही पूछता है - 'तू छीका नहीं लाया तो सुबल का छीका खा ले।' यह भी कोई बात हुई। भद्र अपनी क्षुधा के कारण कन्हाई को क्रीड़ा-विरमित होने को क
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 50 - ये असुर अभी कल तेजस्वी रोष में आ गया था। वह दाऊ का हाथ पकडकर मचल पड़ा था - 'तू उठ और लकुट लेकर मेरे साथ चल! मैं सब असुरों को - सब राक्षसों को और उनके मामा कंस को भी मार दूंगा।' नन्हे तेजस्वी को क्या पता कि कंस कौन है। वह राक्षसों का मामा है या स्वयं दाऊ का ही मामा है। कंस बुरा है; क्योंकि वह ब्रज में बार-बार घिनौने असुर भेजता है, इसलिए तेजस्वी उसे मार देना चाहता था। उसे कल दाऊ ने समझा-बहलाकर खेल में लगा लिया। लेकिन तेजस्वी की बात देवप्रस्थ के मन में जम गयी लगती है। अब यह आज
read moreAnil Siwach
।।श्री हरिः।। 48 - गौ-गणना आज गोपाष्टमी है। ब्रज में आज गौ-पूजा होती है। श्रीब्रजराज आज कन्हाई की वर्षगांठ के समान ही भद्र की वर्षगाँठ पूरे उत्साह से मनाते हैं और यह सब होता है मध्यान्ह तक। सब हो चुका है। अब तो सूर्यास्त से पूर्व गौ-गणना होनी है। सम्पूर्ण ब्रज आज सुसज्ज है। प्रत्येक वीथी और चतुरष्क सिञ्चित, उपलिप्त, नाना रंगों के मण्डलों से सुचित्रित है। स्थान-स्थान पर मुक्तालड़िओं से शोभित वितान तने हैं। स्थान-स्थान पर जलपूरित पूजित प्रदीप एवं आम्रपल्लव-सज्जित कलश रखे हैं। प्रत्येक द्वार कदली
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