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Best झूले Shayari, Status, Quotes, Stories

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Anuj Pal

#झूले में झूले बाबू

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paras Dlonelystar

Ramkishor Azad

#Leave #झूले #जिंदगी #हवा #सांस #सुंदर #Di #Shayar #viral loV€fOR€v€R MANSI PATEL Fathimunnisa S Dayal "दीप, Goswami.. poonam2_2 insta id poonam2_2 Niaa_choubey

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Raja Kiran

हमनें आपको देखा..✍🏻राजा किरण💌 मेरी_कलम_से✍️😄 #चन्ना#तारे#कुदरत#नजारे#फूल#झूले#स्कूल#कॉलेज#घर

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चन्नां में भी देखा, तारों में भी देखा
हमनें तो आपको कुदरत के हर-एक नजारों में भी देखा।
•
सूरतों में भी देखा, प्रभू की मूरतों में भी देखा
हमनें तो आपको हमारी हर-एक जरूरतों में भी देखा।
•
फूलों में भी देखा, झूलों में भी देखा
हमनें तो आपको जीवन के हर-एक मूलों में भी देखा।
••
मगर दिखा ही नहीं कोई आप सा हसीन हमको यहां 
अरे हमनें तो आपको घर, कॉलेज और स्कूलों में भी देखा।
💌राजा किरण💌

©Raja Kiran हमनें आपको देखा..✍🏻राजा किरण💌
#मेरी_कलम_से✍️😄
#चन्ना#तारे#कुदरत#नजारे#फूल#झूले#स्कूल#कॉलेज#घर

Gumnam Shayar Mahboob

 पेड़ों पर झूले और दादी कि कहानियों में था
जीने का असली मज़ा तो इन्हीं नादानियों में था #पेड़ों #झूले #दादी #कहानीमें 
#मज़ा #नादानीयां 
#गुमनाम_शायर_महबूब 
#gumnam_shayar_mahboob

Miss poojanshi

वो बचपन भी क्या समय था
पेड़ो पर भी अपना घर था
लंबे लंबे झूले थे और
झूलो में सारा जहान था
सपनों में आसमान था और
आसमानी ही हम बच्चों का अंदाज़ था।

©Miss poojanshi #Childhood #झूले

Dr Manju Juneja

कैद कर लेते खूबसूरती को काश और काश थोड़ा और वक़्त मिल जाता 
कैद कर लेते खूबसूरती को 
ये भोर में पंछियों का चहचहाना 
 मेरे गांव का बरगद का पेड़ 
पास में  कुआं औरतों का 
सर पे मटकों को उठाना
झुंड बना कर सहेलियों से बतियाना 
 वो गांव में एक खण्डर पुराना 
खूब कैद की मैंने यादे पुरानी 
 वो छतों पर रखी चारपाई 
वो चूल्हा मेरी नानी की निशानी 
वो खेत वो बाड़े सब कैद कर लिए मैंने 
पर कैद करनी रह गई अभी भी यादे पुरानी 
वो पेड़ो पे झूला  खुला आसमाँ 
  बस इतना ही कैद कर पाई 
लौट आना था वापिस हमको शहर 
हॉर्न पर हॉर्न दिए जा रहै मामा 
 काश थोड़ा वक्त और होता तो 
कैद कर लेते लम्हे ये सारे

©Dr Manju Juneja #AdhureVakya#कैदकरलेते#यादे #गांव #झूले #चूल्हा #पूराना #आसमाँ#खण्डर #बरगद

WORDS OF VIVEK KUMAR SHUKLA

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चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को ..... 
ढूंढ़ते हैं... दुबक कर बैठे, 
फ़ूलों के गोद में तितलियों को....., 
चुनते हैं... जिनका नाम नहीं जानते,
क्यारी से, पसंदीदा उन कलियों को।
चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को ..... 

चखते हैं... बिन छौंके  -बघारे , 
माँ के हाथों के बने सुगंधित दलियों को....., 
खाते हैं... जले हाथों संग बने, 
तवें पर ही जले, फूले उन जीवनवृत्तियों को। 
चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को .....

झूलते हैं... झूले से लटके,
बरगद के मोटी तनों से झूले सोरियों को.....,
कूदते हैं... घुटनों के समानांतर,
जमीन पर मिले, आमों के टहनियों को।
चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को .....

घूमते हैं... खलिहानों से आते,
गाँव की ओर, सांपीया घुमावदार पगडंडियों को.....,
खेलते हैं... वही पुराने खेलों को और,
मिलते हैं, बचपन के उन सारे साथियों को।
चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को .....

भरते हैं... औंधे मुह रखे,
पनघट से, खाली हुए सुराहीयों को.....,
सुनते हैं... जीवन को जीने,
कि कला सिखाते, दादी-नानी की कहानियों को।
चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को .....

चल ना... वापस घूम आते हैं यादों की गलियों को .....

✍️विवेक कुमार शुक्ला ✍️

Mann Joshi

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कुछ अनजाने मे

लापरवाही बेशक़ हुई होंगी हमसे
लापरवाह हम रहे नही
गलतियों के झूले में झूले कई
गलत हम हरगिज़ रहे नही
नासमझी होती है हजार पल पल
नासमझ से कभी हम नही
रास्ते खोये है अभी भी हमसे
रास्तो में खोने का डर नही
जीते तो जमाने से हर बार है
हारे तो बस ,खुद से ही है

Dr Ashish Vats

तीज.. जब मैं कवि नहीं था तब की कविता.. Poetry may be immature, feelings aren't.. तीज के महत्व का अंदाज़ा इसी से लगाया सकता है कि हम त्योहार को तीज - त्योहार बोलते हैं। लेकिन तेज़ी से बढ़ते आधुनिकीकरण, अत्याधिक व्यस्तता,, घटते हुए पेड़, हरियाली, प्राकृतिक सौंदर्य और आपसी भाईचारे व संस्कृति के विघटन ने इस त्यौहार और इस जैसे कई रिवाजों को हाशिए पर ला दिया है! teej nojoto hariyaliteez nojotohindi poetry shayari love bachpan nature customs festival celebration drvats pyaar mohabbat dosti openpoetry विचार कविता कहानी कला संस्कृति प्रकृति त्योहार तीज सावन Internet Jockey Satyaprem Monika Singh (Nick) Suyashi Vinit Shivani Singh

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कितना कुछ तो अभी बदला है 
सिर्फ  10-15 सालों में,
झूले पड़े दिखते थे 
सभी पेड़ों की डालों में..

छूट गए रिवाज सब अपने, 
पीछे रह गई रीत ,
कहां है पेड़, जो डलें झूले, 
किसे आते हैं गीत..

शायद मेरा ये लिखना भी 
उपहास बन जाए ,
कुछ दिन में ये सब भी,
इतिहास बन जाए..

आगे बढ़ना तो वही है,
जो पीछे कुछ भी नहीं खोता,
बिना जड़ों के तो पेड़ का ,
कोई अस्तित्व ही नहीं होता...
                          ©drVats तीज.. जब मैं कवि नहीं था तब की कविता.. Poetry may be immature, feelings aren't.. 
तीज के महत्व का अंदाज़ा इसी से लगाया  सकता है कि हम त्योहार को तीज - त्योहार बोलते हैं। लेकिन तेज़ी से बढ़ते आधुनिकीकरण, अत्याधिक व्यस्तता,, घटते हुए पेड़, हरियाली, प्राकृतिक सौंदर्य और आपसी भाईचारे व संस्कृति के विघटन ने इस त्यौहार और इस जैसे कई रिवाजों को हाशिए पर ला दिया है!
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