Nojoto: Largest Storytelling Platform

Best मंजिले Shayari, Status, Quotes, Stories

Find the Best मंजिले Shayari, Status, Quotes from top creators only on Gokahani App. Also find trending photos & videos aboutमंजिले उन्ही को मिलती है जिनके, मंजिले उन्ही को मिलती है, मंजिले रुसवा है lyrics, रुसवा है मंजिले, मंजिले रुसवा है,

  • 53 Followers
  • 100 Stories

Anshul srivastava

White हर उस रास्ते पे तब तक 
चलूंगा जब  तक मुझे
मेरी मंजिल मिल नही
जाती ।।

©Anshul srivastava #sad_shayari #मंजिले #रास्ते #quteshyari #RJANSH

Pankaj Kanswa

#mohabbat

read more
#कौन_कहता है कामयाबी #किस्मत तय करती है,
इरादों में #दम हो तो #मंजिले भी #झुका_करती है।।
❤️❤️❤️

©Pankaj Kanswa #mohabbat

Suchita Pandey

#मंजिले #मंज़िलेंऔररास्ते #suchitapandey #yqinspiration #yqquotes #suchitapandey ना किसी से कोई ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़। मेरी अपनी मंजिलें हैं, मेरी अपनी दौड़।। #सुचितापाण्डेय

read more
ना किसी से कोई ईर्ष्या,
ना किसी से कोई होड़। 

मेरी अपनी मंजिलें हैं, 
मेरी अपनी दौड़।।  #मंजिले #मंज़िलेंऔररास्ते #suchitapandey #yqinspiration 
#yqquotes #suchitapandey 
ना किसी से कोई ईर्ष्या,
ना किसी से कोई होड़। 

मेरी अपनी मंजिलें हैं, 
मेरी अपनी दौड़।। 
#सुचितापाण्डेय

Rabindra Kumar Ram

Pic: self " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम

read more
" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम Pic: self 

" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बिच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम #गुमसुम #गुमनाम #मंजिले #इश्क

read more
" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बिच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , 
ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते ,
कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है ,
काश कि हमारे बिच के फासले कुछ कम कर सके  ." 

                          --- रबिन्द्र राम 

 #गुमसुम #गुमनाम #मंजिले #इश्क

Rabindra Kumar Ram

" चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये , मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये , बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं , ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #आरज़ू #तिसनगी #जिक्र

read more
" चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये ,
मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये ,
बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं ,
ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." 

                                   --- रबिन्द्र राम " चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये ,
मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये ,
बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं ,
ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." 

                                   --- रबिन्द्र राम 

#मुहब्बत #आरज़ू #तिसनगी #जिक्र

Rabindra Kumar Ram

" चलो कुछ शुरुआत करते हैं , मंजिले इश्क की काफिर कब तक रखेंगे , जो तुम आये तो ठहर जाओ मेरे पास में , यु चाहत के जुस्तजू में मैं - तुम मुशाफिर कब तक रहेंगे ." ‌ --- रबिन्द्र राम #शुरुआत #मंजिले

read more
"  चलो कुछ शुरुआत करते हैं , 
मंजिले इश्क की काफिर कब तक रखेंगे , 
जो तुम आये तो ठहर जाओ मेरे पास में ,
यु चाहत के जुस्तजू में मैं - तुम मुशाफिर कब तक रहेंगे ." 

 ‌                                          --- रबिन्द्र राम "  चलो कुछ शुरुआत करते हैं , 
मंजिले इश्क की काफिर कब तक रखेंगे , 
जो तुम आये तो ठहर जाओ मेरे पास में ,
यु चाहत के जुस्तजू में मैं - तुम मुशाफिर कब तक रहेंगे ." 

 ‌                                          --- रबिन्द्र राम 

#शुरुआत #मंजिले

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं , रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे , कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को , ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " --- रबिन्द्र राम

read more
" मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं ,
रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे ,
कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को ,
ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " 

                                 --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com

" मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं ,
रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे ,
कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को ,
ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " 

                                 --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम

read more
" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं ,
क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं ,
 मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है
जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." 

                                    --- रबिन्द्र राम  Pic : pexels.com 

" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं ,
क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं ,
मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है
जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." 

                                    --- रबिन्द्र राम

Rabindra Kumar Ram

Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम

read more
" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं ,
क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं ,
मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं 
जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." 

                                    --- रबिन्द्र राम  Pic : pexels.com 

" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं ,
क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं ,
मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं 
जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." 

                                    --- रबिन्द्र राम
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile