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Anshul srivastava
White हर उस रास्ते पे तब तक चलूंगा जब तक मुझे मेरी मंजिल मिल नही जाती ।। ©Anshul srivastava #sad_shayari #मंजिले #रास्ते #quteshyari #RJANSH
#sad_shayari #मंजिले #रास्ते #quteshyari #RJANSH
read morePankaj Kanswa
#कौन_कहता है कामयाबी #किस्मत तय करती है, इरादों में #दम हो तो #मंजिले भी #झुका_करती है।। ❤️❤️❤️ ©Pankaj Kanswa #mohabbat
Suchita Pandey
ना किसी से कोई ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़। मेरी अपनी मंजिलें हैं, मेरी अपनी दौड़।। #मंजिले #मंज़िलेंऔररास्ते #suchitapandey #yqinspiration #yqquotes #suchitapandey ना किसी से कोई ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़। मेरी अपनी मंजिलें हैं, मेरी अपनी दौड़।। #सुचितापाण्डेय
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read moreRabindra Kumar Ram
" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम Pic: self " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम
Pic: self " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बीच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम
read moreRabindra Kumar Ram
" बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बिच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम " बात कुछ ठहरी सी हैं जो कि गुमसुम गुमनाम हैं , ये मंजिले इश्क की कौन सी हैं वेशक तो साथ है तेरे साथ नहीं आ सकते , कर कोई फ़ैसला इस तहरीर पे मैं भी तु भी है , काश कि हमारे बिच के फासले कुछ कम कर सके ." --- रबिन्द्र राम #गुमसुम #गुमनाम #मंजिले #इश्क
Rabindra Kumar Ram
" चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये , मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये , बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं , ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." --- रबिन्द्र राम " चलों आज फिर कुछ बात कर ली जाये , मुहब्बत के आरज़ू में उसकी तिसनगी का कुछ जिक्र किया जाये , बेजारियो का एहसास कहीं ज़िन्दगी तो कहीं मैत सौंप रही हैं , ऐसे में हम कौन सी मंजिले इश्क की ताविर करें ." --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #आरज़ू #तिसनगी #जिक्र
Rabindra Kumar Ram
" चलो कुछ शुरुआत करते हैं , मंजिले इश्क की काफिर कब तक रखेंगे , जो तुम आये तो ठहर जाओ मेरे पास में , यु चाहत के जुस्तजू में मैं - तुम मुशाफिर कब तक रहेंगे ." --- रबिन्द्र राम " चलो कुछ शुरुआत करते हैं , मंजिले इश्क की काफिर कब तक रखेंगे , जो तुम आये तो ठहर जाओ मेरे पास में , यु चाहत के जुस्तजू में मैं - तुम मुशाफिर कब तक रहेंगे ." --- रबिन्द्र राम #शुरुआत #मंजिले
Rabindra Kumar Ram
" मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं , रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे , कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को , ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं , रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे , कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को , ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " मंजिले इश्क की तामिर किये बैठे हैं , रोज़ तेरे ख्यालों से होना है रु-ब-रू मुझे , कुछ बात हो तो जाहिर कर मुझसे तेरी ख्वाहिशें को , ऐसे में हर रोज़ तुझे किस-किस अंदाज में प्यार करु. " --- रबिन्द्र राम
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" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाहता हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंज़िलें ये इश्क़ की ये कौन सा क़ाफ़िला है जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम
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" लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " लिख के मैं कुछ याद मिटाना चाह रहा हूं , क्या दर्द जो मैं इस तरह छुपाना चाहता हूं , मंजिले ये इश्क की ये कैन सी काफिला हैं जो मैं इस तरह कहा पहुंच के लैट जाना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम
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