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shilpi lohar
ढूंढ़ती थी जिसे हमेशा से, हक़ीक़त में वो तो कभी था ही नहीं , अगर कुछ था तो वो हमारा वहम , सिर्फ एक वहम .....जो नाजाने कब से हमारे जहान में था, ©shilpi lohar #dhundh #ढूंढ़ते #waham
Shashank Rastogi
उन्हें ढूंढते ढूंढ़ते, समुंदर के इस पार चले आए पर शायद खुद को, उसी पार भूल आए #ढूंढते #ढूंढ़ते #समुन्दर #पार #दिल #इश्क़
Miss Fantastic
इस दुनिया में आया कैसा ये अज़ीब वियोग हैं कैसे फ़साऊँ उस लड़की को ढूंढ़ते यहीं प्रयोग हैं ............................................................. इस #दुनिया में आया कैसा ये #अज़ीब #वियोग हैं कैसे #फ़साऊँ उस #लड़की को #ढूंढ़ते यहीं #प्रयोग हैं ...............................................................
Namrta Dwivedi
उस #चाय के #एक_घूंट मेे ही थी और हम #जिंदगी को कहां_कहां #ढूंढ़ते रहे!! #_____goodmorningfriends☕☕ #life #love #shayri #quote
shayar_dillwala
हम थे जो उनसे बात करने की वजह ढूंढ़ते रहे। और अब पता चला की हम उनके लिए बेवजह थे। हम थे जो उनसे #बात करने की #वजह #ढूंढ़ते रहे। और अब पता चला की हम उनके लिए #बेवजह थे।
Prabhakar Tiwari✌
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे किरदार का फैसला । तेरा वजूद मिट जाएगा मेरी हकीकत ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
Rashi
बरसों बाद रात के अंधेरे में अल्फ़ाज़ ढूंढ़ते है आ "राशि" रात की खामोशी में तेरी आवाज़ ढूंढ़ते हैं आ फिर से ज़िंदा करें तेरे कलम की महक को आ फिर पुरानी डायरी में सूखे फूलों के राज ढूढते हैं चल ढूढते है फिर वही बचपन वो लड़कपन तेरी कलम का किस कविता से हुआ था आगाज़ ढूंढ़ते हैं चल ढूढते है वो पुराने दिन वो बेफिक्री वो "राशि" की आजाद परिंदे सी परवाज़ ढूढते हैं पा जाए शायद कुछ चुनिंदा खुशियों भरे पल गुज़रे हुए कल में हंसने की वजह आज ढूंढ़ते हैं #geet
Rashi
बरसों बाद रात के अंधेरे में अल्फ़ाज़ ढूंढ़ते है आ "राशि" रात की खामोशी में तेरी आवाज़ ढूंढ़ते हैं आ फिर से ज़िंदा करें तेरे कलम की महक को आ फिर पुरानी डायरी में सूखे फूलों के राज ढूढते हैं चल ढूढते है फिर वही बचपन वो लड़कपन तेरी कलम का किस कविता से हुआ था आगाज़ ढूंढ़ते हैं चल ढूढते है वो पुराने दिन वो बेफिक्री वो "राशि" की आजाद परिंदे सी परवाज़ ढूढते हैं पा जाए शायद कुछ चुनिंदा खुशियों भरे पल गुज़रे हुए कल में हंसने की वजह आज ढूंढ़ते हैं #geet
JP Lines
ख़त जो लिखा मैनें इंसानियत के पते पर! डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते! #MeraShehar
77u
ख़त जो जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर, डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते #MeraShehar