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Penman
मैं तेरे परिवेश में सुरक्षित हूं, मां मैं तेरी दुआओं के साथ रहता हूं। ©Tarun RAJPUt #परिवेश
Shikha Mishra
आज मेरे देश में महंगाई दिन-रात बढ़ती है मेरे देश में संचालक सोये रहते है सफ़ेद ड्रेस में. हर इंसान जीना चाहता है, छल, कपट, और द्वेष में. भ्रस्टाचारी मिलता है हर रंग के भेष में. शैतान घूमते रहते है साधुओं की ड्रेस में फिर भी कानून चुप है लाचारी के इस देश में इंसानियत बस चंद सांसें गिन रही इस परिवेश में. मूल्य नीति, संस्कार पहले ही दम तोड़ चुके पश्चिम के आगोश में कितना मुश्किल है लेकिन सच है ये कहना आज भी चुप्पी साधे हुए है लोग मेरे देश में. 😜😜😝😝 #yqbaba #YQDidi #daily_challenge #आज_मेरे_देश_में #महंगाई #दिन #देश #सफ़ेद #इंसान #छल #कपट #द्वेष#भ्रस्टाचार #रंग #शैतान #साधु #कानून #लाचार #इंसानियत #परिवेश #मूल्य #नीति #संस्कार #मुश्किल
Preeti Karn
इन्द्रधनुष सदृश सतरंगी नहीं परञ्च रंग जाते मनोभाव मनोहारी ! परिवेश की आभा से अभिसिंचित। सहजता से सोखकर मृदुल मोहक समरस अवशोषित रूप रस गंध एकात्म होकर भावों से नूतन उद्गम के द्वार खोलकर बहा देती अजस्र धारा माधुर्य अभिशप्त हरसिंगार के शब्द फूल झड़ झड़ कर बिखरते और कुम्हला जाते। संवरण तात्कालिक क्षणिक बोधमात्र..... विलीन हो जाता अस्तित्व दिशा दिगंत की अनंत गहराइयों में.. व्याप्त रहती भीनी सुगंध स्मृति अवशेष.... प्रीति #अनकही #मनोभाव #परिवेश #रचना #yqhindi#yqhindiquotes
Preeti Karn
आबो हवा बदल रही है घर अब घर नहीं लगता। चमकते फर्श दीवारें बड़े मगरूर दिखते हैं मुनासिब है मकां कहना के घर अब घर नहीं लगता। न रोटी मां के हाथों की न वो आवाज़ आती है चले आओ के रोटी की खुशबू अब बुलाती है अमीरी में फकीरी है वो आलम अब नहीं लगता के घर अब घर नहीं लगता। बडे मशरूफ हैं सारे कोई बातें नहीं करता सभी की अपनी ही धुन है किसी की कोई नहीं सुनता। तकाजे वक्त के हैं सब के घर अब घर नहीं लगता। सभी की उलझनें अपनी सुनाने की न चाहत है जमाने वो अलग से थे दिलों में बादशाहत थी सुकून अहसास होता था कोई गम बांट लेता था अकेलापन सताता है के घर अब घर नहीं लगता। प्रीति #बदलाव#परिवेश #व्यस्तता # लाचारी Yqdidi Rachita
Milan Sinha
"मैं खामोश हूं" मैं खामोश रहूं , मैं सब कुछ सहूं। मैं अन्याय को नजरंदाज करूं। क्यों की मैं सिधा और सभ्य हूं दुसरो कि पीड़ा से मैं बेसुध रहूं। जब तब मुझ पर कोई आंच ना आए तब तक मैं क्यों जागूं । मैं खामोश रहूं मैं सब कुछ सहूं । क्यों की मैं सिधा और सभ्य हूं। ©Milan Sinha आज के सामाजिक परिवेश पर एक छोटी सी कोशिश की है । उम्मीद है पसंद आयेगी। #समाज #परिवेश #परिवर्तन #life #society #morality #respect #ZeroDiscrimination
Sudeep Keshri✍️✍️
तेरे जैसा यार कहाँ, सोचो... न रहे तारों में चमक, न रहे सूरज में किरण, न रहे चंदा में चांदनी, न हो नदियों में पानी, न बचे हवाओं में महक, न रहे झील,झरने,पहाड़,परिंदे... कैसा होगा संसार ?? चारों तरफ वीरान ही वीरान... तो बंद करो अत्याचार... लगाओ अल्प विराम... चलो करे नई शुरुआत... लगाएं पेड़ पौधे अनेक... बनाए सुंदर परिवेश। सोचो न... रहे तारों में #चमक, न रहे #सूरज में #किरण, न रहे चंदा में #चांदनी, न हो #नदियों में पानी, न बचे हवाओं में #महक, न रहे झील,झरने,पहाड़,परिंदे...
सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
दूरी का कुछ क्लेश नहीं है, कुछ भी कहना शेष नहीं है.! प्रेम से तुम्हें विदा करना है, मन में कोई आवेश नहीं है..! उजड़े मन के प्रतिमानों में, जीवन का अवशेष नहीं है..! स्वतंत्र तुम्हारी इच्छाओं से, मुझको कोई द्वेष नहीं है..! विरक्ति मेरी चिर स्थायी है, यह परिवर्तित भेष नहीं है..! झंझावात अगर है जीवन, मेरा ये परिवेश नहीं है..! सिद्धार्थ मिश्र #NojotoQuote कुछ भी कहना शेष नहीं है #दूरी #कुछ_भी #कहना #शेष_नही_है #प्रेम #आवेश #परिवेश
Sourav Jha
*एक लड़ाई अपनी भी* सत्य की कटुता को व्यक्तिगत लड़ाई के माध्यम से जितना आज हम सभी का मानो एक फितरत सी बन गयी है। आज का भारत का विश्वसनीयता। जहा पुरे में फैला हुआ है। वही आज भी हम अपने ही देश की विश्वसनीयता को एक दूसरे पर अनैतिक लांछन लगा कर मिटाने में लगे हुए। कहा गया वो सोने की चिड़िया , सब जानते है परंतु कैसे बनेगा फिर से सोने की चिड़िया ये कोई नहीं जानना चाहता । अपितु कहा जाये तो मनुष्य जाती केवल और केवल अपने औऱ अपनों में सिमट के रहना चाहता है । जबकि उन्हें भी यह ज्ञात है ,की शत्रुता भी अपने ही ल
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