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Juhi Grover
शुभकामना की कीमत बहुत बढ़ जाती है, असफलता का सामना बारम्बार होता रहे। #कीमत #बहुत #सामना #असफलता #बारम्बार #शुभकामना #yqhindi #bestyqhindiquotes
@thewriterVDS
तुम चाहो तो मुझे प्यार करो तुम चाहो तो इजहार करो तकरार करो बारम्बार करो तुम गुस्सा करो मुझसे मिन्नतें कई हज़ार कराओ फिर भी चाहो, तुम गुस्सा करो पर भरोसा रख ये तकरार बारम्बार गुस्सा कई हज़ार भले ही हों मैं तुम्हें मनाना नहीं छोडूंगा प्यार करना, इजहार करना नहीं छोडूंगा ये भरोसा रख । #भरोसा #भरोसारख #प्यार #इजहार #बारम्बार #तकरार #मिन्नतें YourQuote Didi Vaibhav Dev Singh
Jay Krishan Kumar
वो जो तुतलाती जबान में भी अपनी सी लगती है , वो जो बचपन की हसीं मुस्कान सी लगती है , माँ को माँ कहना जिससे हमने सीखा , हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है ।2। असंख्य भाषाओं में से जो सबसे सरल और मधुरिम सी लगती है , साथ लिए चलती सबको , सबकी जो प्रिय मीत सी लगती है , ममता का जो सर्वोत्तम प्रयाय बनी , हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2। समस्त कोलाहलों के बीच जो सबसे न्यारी सी लगती है , मृगमारीचिका बीच जो पनघट प्यारी सी लगती है , मधुरषित हैं शब्द कलश जिनके , हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है । 2। प्यारी तान जिसकी मुरलीधर की बांसुरी सी लगती है , प्रेम प्रकृति जिसकी राम -वैदेही मिलन वाटिका सी लगती है , पल्लवित है जो कल्पतरू सा चीर-निरंतर , हिंदी रूपी उस मातृभाषा को बारम्बार नमन है। 2। हिंदी रूपी मातृभाषा को बहुत बहुत नमन है ...
हिंदी रूपी मातृभाषा को बहुत बहुत नमन है ...
read moreआयुष पंचोली
"दशावतार" जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
जब जब धर्म की होंने लगती हैं हानि, धरती पर बढने लगते हैं, अधर्मी मनुष्य और अभिमानी । रोती हैं जब यह धरती माता खून के आँसू, गोओ का रूदन जब चित्कार मचाता हैं। तब हरने को पीड़ा इनकी, काल उतर कर युग परिवर्तन करने आता हैं। तब तब अवतरित होकर निराकार का परम अंश, धरकर कितने ही विविध रूप अपनी सर्वोच्च सत्ता की महानता का एहसास सबको कराता हैं।
read moreRinkle
घायल पड़ा शेर है, फिर भी जज़्बा कमाल का है जेल में सड़ी गली रोटियाँ है फिर भी आज़ादी की बिंगुल बजा रहा है पानी को तरसा है पर खून में उफ़ान है ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है। फांसी के फंदे पे लटक रहा है, फिर भी मुस्कुरा रहा है इंक़लाम जिंदाबाद के नारे लगा रहा है हर नुक्कड़ पे देशभक्ति की ज्वाला जला रहा है ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है। कलम हो चुका घर का खून, फिर भी माँ न रोयी है उजड़ी नहीं है कोख़ मेरी वो तो धरती माँ को भायी है आँखों में आंसूं नहीं वीरता की बज रही झंकार है ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है। आओ शहीदों को श्रदांजलि अर्पित करते है और ऐसी वीर माताओ को वंदन करते है महक उठी मिटी, धरती यह बलिदान की है ऐसे शहीदों को हम देशवासियो का नमन बारम्बार है। #स्वतंत्र दिवस कविता #poem on Independence day
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