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Amit Rawat
उसकी याद में खयाली पुलाव बनाते जा रहा हूँ, शायरी के लफ्ज कविता में लिखते जा रहा हूँ । स्वाद में इसके डूब कर मैं खोते ही जा रहा हूँ, दूर से ही उस की बाहों में घिरते जा रहा हूँ ।। ©Amit Rawat #उसकी #याद #खयाली #पुलाव #कविता #शायरी #लफ्ज़ #गीत #Nojoto #Instagram
Jay Trivedi
इस रात की तन्हाई में नजाने क्यों ये मायूसी सी छायी हैं, पलके जुकाये में सोया हूँ पर कम्बख्त ये नींद नही आयी हैं। गुनगुनाती रहती हैं यूँ तो हज़ारो पंक्तिया इस चंचल मन में, पर ज़ेहन में जो बात हैं वो फिरभी कलम तक नहीं आयी हैं। लगता हैं कुछ स्पर्धा सी चल रही हो ये मेरे दिमाग में, मगर आज भी ये नींद मेरे खयालो से जीत नही पायी हैं। हर मेरी करवट के साथ एक नया सा खयाल आ जाता हैं, जैसे मेरे इस मन पर अनजान खयालो ने कुंडली जमाई हैं। मुख़्तसर सी हो गयी हो इन दिनों रातो की ये नींद मेरी और पूरी रात जैसे "रुद्र" मेरी बेखयाली में खयाली हैं। - जय त्रिवेदी ("रुद्र") #खयाली
Shahir Shankar Shinde
ज़िन्दगी भी अब सवाली हो गई मौत तो बस खयाली हो गई सोचते थे सो जाएंगे एक दिन तेरा आँचल ओढ़कर मगर दुपट्टे की शक्ल भी अब निराली हो गई जिक्र होता है जहन में तेरी आँखों का बूंदे ये आंख की तेरे होंठों की लाली हो गई अंगूठी जो फिसली उंगली से तेरे कानों की बाली हो गई याद आती है वो तेरी तस्वीर वाली चुनरी अब मेरे होंठों की प्याली हो गई याद आयी जो तेरी आज जी भर के एक और बोतल खाली हो गई ज़िन्दगी भी अब सवाली हो गई मौत तो बस खयाली हो गई शाहिर शंकर शिंदे
Mansoor Dehlvi
ज़िन्दगी के पहलू :- ज़िन्दगी जीते है , दो पहलुओ में , एक है हक़ीक़ी तोह दूसरा है समाजी ज़िन्दगी में, हक़ीक़ी ज़िन्दगी एक पहलू में , पर मैं जीता हूँ अब समाजी ज़िन्दगी में , जीने का तरीका भूल गया हूँ मैं , समाजी ज़िन्दगी में सिमट गया हूं मैं, नही है कोई ज़िंदा इस समाजी ज़िन्दगी में , कोई यहां आता है तोह कोई है खोता हैं इस ज़िन्दगी में ये है एक दलदल , ये एक जूआला , कोई आकर नही निकल तोह कोई यही डूब जाता । मैं आया था समाजी ज़िन्दगी में , जहां खयाली है सबकुछ हक़ीक़ी कुछ भी नही । खयाली था सबकुछ यहां , हक़ीक़ी कुछ भी नही , मिले बे हिसाब साथी यहां, पर मजाज़ी कुछ भी नही , हुआ करती थी हक़ीक़ी ज़िन्दगी , जहां ख़याली कुछ भी नही , जीने का वो भी एक मज़ा था जहां , जहां होता था हक़ीक़ी पैग़ाम , ख़याली कुछ भी नही । हुआ करती थी जिंदगी , जब थे रूबरू एक दूसरे है, मिली थी जीने वो ज़िन्दगी , जहां ख़याली कुछ भी नही । बदनसीब ही कहो या कहो एक दिल-ए-तसल्ली , जीने नही मिली वो ज़िन्दगी , जहां हक़ीक़ी सब कुछ और ख़याली कुछ भी नही । #NojotoQuote Actual Life Vs. Social life #haqiqiZindagi #samaajiZindagi #zindagi #nojoto #nojotohindi
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