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writ.ersneha
पतंग का त्योहार,मकर संक्रांति की बहार, ऊंचाई में उड़ी पतंग,आसमान में रंगबिरंगे रंग। अपनी खुशी में भूल मत जाना, उन पक्षियों की गुहार, जिनकी जिंदगी की डोर,आप की पतंग की डोर, जो एक साथ जुड़ी कुछ ऐसी है,की वो डर के जैसी है। पतंग ऐसे उड़ाओ की पक्षी की जान ना जाए, पक्षी भी अपनी उड़ान से खुशी मनाए।✍️ ©writ.ersneha #पतंगे
Gajaनन्द
जितनी पतंगें आज आसमां में उड़ रही हैं उतनी हमारे जमाने में तितलियां उड़ा करती थी Gajaनंद ©Gajaनन्द happy sakranti #Happiness #patang #DJ #Song #Time #14Janaury #VAIRAL #vairalvideo #पतंगे #रंग
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read moreShikha Pari
क्या आपने कभी सोचा है आसमान में उड़ती पतंगों के बीच में कोई भेदभाव क्यों नहीं होता उनकी भी तो आपस की लड़ाई होती है ना कौन ज्यादा ऊंचा उड़ सकता है कौन किस से ज्यादा ऊंचा है ऊपर आसमान में रंग बिरंगी पतंगे अपनी अपनी खूबसूरती को देखकर इतराती भी कितना है और इतराए भी क्यों ना वह सभी खूबसूरत होती हैं और नीले आकाश में उड़ती हुई कितनी सुंदर लगती हैं लेकिन वह फिर भी एक दूसरे से जलती नहीं वह फिर भी एक दूसरे से लड़की नहीं वह फिर भी एक दूसरे के साथ उड़ती हैं ऊंची उड़ती है और उड़ती जाती है काश हर इंसान भी ऐसा हो जाए साथ रहे कोई भेदभाव ना करें और अपनी अपनी खूबसूरती के साथ सब खुशी से रहें और एक दूसरे को खूब ऊंचा उठते हुए देखते ही जाए कितनी सुंदर लगेगी न ये दुनिया ? ©ShikhaPari #पतंग #पतंगबाजी #पतंगे #दुनिया
Dhirendra Pandey
उंगलियों से अब डोरें कहा संभलती है पतंगें भी हर किसी से नही संभलती है -क्षणिक #पतंगे #उंगलियां #खिचड़ी #मकरसंक्रांति
#पतंगे #उंगलियां #खिचड़ी #मकरसंक्रांति
read moreFIROZ KHAN ALFAAZ
जिनकी हिफ़ाज़त में इंसान लगे रहते हैं, बेशक वो ख़ुदा महज़ पत्थर के हैं ! -1 चलो फ़िर से घर पे कोई महफ़िल हो, सबके बहाने से उनको भी बुलाया जाए ! -2 तू सैलाब सा बहता है मेरी रग-रग में, मैं ठहरा समंदर सा, तू मौज की रवानी है ! -3 अपनी कलम पे बंदिश मैं लगा नहीं सकता, मैं अपने बे-ज़बां होने से डर जाता हूँ ! -4 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -5 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर ,प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0~9231/2017 जिनकी हिफ़ाज़त में इंसान लगे रहते हैं, बेशक वो ख़ुदा महज़ पत्थर के हैं ! -1 चलो फ़िर से घर पे कोई महफ़िल हो, सबके बहाने से उनको भी बुलाया जाए ! -2 तू सैलाब सा बहता है मेरी रग-रग में, मैं ठहरा समंदर सा, तू मौज की रवानी है ! -3
जिनकी हिफ़ाज़त में इंसान लगे रहते हैं, बेशक वो ख़ुदा महज़ पत्थर के हैं ! -1 चलो फ़िर से घर पे कोई महफ़िल हो, सबके बहाने से उनको भी बुलाया जाए ! -2 तू सैलाब सा बहता है मेरी रग-रग में, मैं ठहरा समंदर सा, तू मौज की रवानी है ! -3
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क्या मेरे गाँव सा सुकून वहां मिलता है? आप ही बताइए, आप तो शहर के हैं ! -1 वो भी इंसान था जिसने फ़तह की दुनिया, तू भी इंसान है, ज़िद करके सिकंदर हो जा ! -2 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -3 सब दुआ तावीज़ जब बेअसर हो गए, अपने डर से टकराए तो हम निडर हो गए !!! -4 कभी खंडर सा वीराँ है, कभी जंगल बयाबाँ है, कभी जन्नत, कभी मरघट, कभी मेला मेरा मन है ! -5 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर , प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0~9231/2017 क्या मेरे गाँव सा सुकून वहां मिलता है? आप ही बताइए, आप तो शहर के हैं ! -1 वो भी इंसान था जिसने फ़तह की दुनिया, तू भी इंसान है, ज़िद करके सिकंदर हो जा ! -2 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -3
क्या मेरे गाँव सा सुकून वहां मिलता है? आप ही बताइए, आप तो शहर के हैं ! -1 वो भी इंसान था जिसने फ़तह की दुनिया, तू भी इंसान है, ज़िद करके सिकंदर हो जा ! -2 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -3
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देखा जो परिंदों को, तो याद आ गया, वो शाम का ढलना, वो लौट के घर जाना ! - 1 आईना भी नज़र से गिरा देगा 'अल्फ़ाज़', कभी अपनी नज़र से गिर कर के देखिये ! - 2 रोये हम इस क़दर कि आँसू भी न बचे जब, अपने लहू को अश्क़ बना करके रो लिए ! - 3 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! - 4 बदलती सूरतें देखीं, बदलती सीरतें देखीं, यक़ीन करता हूँ अब भी मैं, कहाँ बदला मेरा मन है ! - 5 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर , प्रोपर औरंगाबाद बिहार देखा जो परिंदों को, तो याद आ गया, वो शाम का ढलना, वो लौट के घर जाना ! - 1 आईना भी नज़र से गिरा देगा 'अल्फ़ाज़', कभी अपनी नज़र से गिर कर के देखिये ! - 2 रोये हम इस क़दर कि आँसू भी न बचे जब, अपने लहू को अश्क़ बना करके रो लिए ! - 3
देखा जो परिंदों को, तो याद आ गया, वो शाम का ढलना, वो लौट के घर जाना ! - 1 आईना भी नज़र से गिरा देगा 'अल्फ़ाज़', कभी अपनी नज़र से गिर कर के देखिये ! - 2 रोये हम इस क़दर कि आँसू भी न बचे जब, अपने लहू को अश्क़ बना करके रो लिए ! - 3
read more❤ रोहित सिंह राठौर❤
#OpenPoetry गीत गाकर हमने लिखा मोहब्बत का फ़साना। मेरा दिल दुखाया अब किसी का ना दिल दुखाना। कट जाती मोहब्बत की पतंगे नफरतों के धागों से अक्सर। नफरतों के धागों से मोहब्बत की पतंगे अब तुम कभी ना उड़ाना॥ गीत गजलो का सुनकर लोग वाह वाह करते है। उन्हे क्या खबर टूटा हो दिल जब अपना फिर येसे ही सुर और ताल निकलते है॥ टूटी इश्क की कहानी थोड़ा दर्द और आंखो मे पानी। सब की यही परेशानी जब दे जाती बेवफा दर्द की निशानी॥ राठौर Kavita Rani Sanjay Kumar Madhu Kaur
Kavita Rani Sanjay Kumar Madhu Kaur
read moreAdarsh Barabankvi Adarsh Gulsia
ज़िंदगी और मौत की लड़ती पतंगे हर घड़ी , पर कटेंगी ज़िन्दगी की सब पतंगे देखना। आदर्श बाराबंकवी