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manoj solanki boddhy
#शिक्षक_दिवस किसके #जन्मदिन को #मनाना_चाहिए #तर्क_संगत जवाब दीजिए ? आज मै #ब्राह्मण जात का ''सर्वपल्ली राधाकृष्णन'' और #मूलनिवासी बहुजन ''राष्ट्रपिता #ज्योतिराव फुले'' दोनो के ''एजुकेशन'' के लिए किये गए कार्यो को बताउंगा। फिर फैसला आपलोग ही करना की किसका जन्मदिन ''राष्ट्र गुरु'' / टीचर दिवस के रूप में मनाना चाहिए , 1)ब्राह्मण जात सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पैदा होने के 40 साल पहले से ही ''राष्ट्रपिता #ज्योतिराव_फुले'' ने #आधुनिक भारत में एजुकेशन के फिल्ड में क्रांति सुरु कर दी थी (सबूत = ''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' का जन्म 11 अप्रैल 1827 में हुआ और उन्होंने #क्रांति की सुरुवात 1848 को कर ही दिया जबकि विदेशी ब्राह्मण जात ''सर्वपल्ली_राधाकृष्णन'' का जन्म 5 sep 1888 को हुआ मतलब फुले की क्रांति के 40 साल बाद )! 2)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' ने 1848 से शुरू कर 4 साल के अन्दर ही करीब 20 स्कूल खोल डाले ,जब की ब्राह्मण सर्वपल्ली ने एक भी स्कूल नहीं खोला ! 3)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने #पिछड़ी जाति के लोगो को बिना पैसे लिए #एजुकेशन दिया ,जब की ब्राह्मण जात सर्वपल्ली ने जिंदगी भर पैसे की #लालच में लोगो को पढ़ाया ! 4)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' ने खुद की जेब से पैसे खर्च कर लोगो को education दी ,जबकि ब्राह्मण जात सर्वपल्ली ने एजुकेशन देने के नाम पर खूब पैसा कमाया ! 5)गाव देहातो में ''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' ने 20 स्कूल खोले ,जब की ब्राह्मण जात सर्वपल्ली गाँव में स्कूल खोलने गया ही नहीं 6)सबको #बैज्ञानिक सोच वाली #एजुकेशन ''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने दिया ,जब की ब्राह्मण सर्वपल्ली ने ''ब्राह्मण धर्म'' (हिन्दू धर्म) की गैर बराबरी और अंधविश्वास वाली एजुकेशन का कट्टर समर्थक था ! 7)''बालविवाह'' का विरोध और ''विधवा विवाह'' को बढ़ावा दिया "'राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने जबकि ब्राह्मण जात सर्वपल्ली बाल विवाह का समर्थक था ,और विधवा विवाह का विरोधी ! 8)#महिलाओं के लिए #पहला_स्कूल अगस्त 1848 को ''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने खोला जब की ब्राह्मण जात सर्वपल्ली स्त्री एजुकेशन का #विरोधी था 9)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने अपनी पत्नी को सबसे पकले एजुकेशन दी ,ब्राह्मण जात सर्वपल्ली ने अपनी औरत को ही अनपढ़ बनाए रख्खा ! 10)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' ने अपना गुरु ''छत्रपति शिवाजी महाराज'' को माना ,ब्राह्मण सर्वपल्ली ने अपना गुरु ब्राह्मण भगौड़ा ''सावरकर'' को माना ! 11)''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने ''गुलामगिरी'' नमक ग्रन्थ लिख पिछड़ी जातियों को गुलामी का एहसास कराया ,जब की ब्राह्मण सर्वपल्ली ने ब्राह्मण धर्म का कट्टर समर्थन कर #बहुजनो के #दिमाग की नसबंदी कर उनके दिमाग को बाँझ बनाया ! 12)किसानो को जगाने के लिए ''#राष्ट्रपिता_ज्योतिराव फुले'' ने किताबे लिखी जैसे ''किसान का कोड़ा'', आज से 150 साल पहले 'कृषि विद्यालय' की बात की, जब की ब्राह्मण सर्वपल्ली ने जीतनी भी किताबे लिखी सब की सब ब्राह्मण धर्म को महिमामंडित करने को लिखी ! 13) सभी को एजुकेशन मुफ्त और सख्ख्ती से दिया जाय इसके लिए ''हंटर कमिसन'' (उस समय का भारतीय एजुकेशन आयोग) के आगे अपनी मांग ''राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले'' ने रख्खी ,जब की ब्राह्मण सर्वपल्ली #बहुजनो को #एजुकेशन देने का विरोधी था 14)लोगो ने ''#राष्ट्रपिता_ज्योतिराव फुले'' को ''#राष्ट्रपिता'' की #उपाधि दी ,ब्राह्मण सरकार ने ब्राह्मण सर्वपल्ली की चोरी की थीसिस पर उन्हें डॉ की उपाधि दी ! 15) '#राष्ट्रपिता_ज्योतिराव फुले'' ने ब्राह्मणों को विदेशी कहा ब्राह्मण सर्वपल्ली ने भी खुद को विदेशी आर्य ब्राह्मण कहा (बस केवल एक जगह दोनों सामान थे ) https://www.facebook.com/groups/592086901429285/?ref=share # चक दिवस महात्मा ज्योतिबा फुले
# चक दिवस महात्मा ज्योतिबा फुले
read moreNojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
महादेवी वर्मा #Kalamse #happybirthday कलम से कड़ी के अगली कलमकार हैं- महादेवी वर्मा जन्मदिवस-26 मार्च, 1907 महादेवी वर्मा, हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है। 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिए 'पद्म भूषण' की उपाधि और 1969 में 'विक्रम विश्वविद्यालय' ने उन्हें डी.लिट. की उपाधि से अलंकृत किया। इससे पूर्व महादेवी वर्मा को 'नीरज
read morevibhanshu bhashkar
मुझे 'प्रेम' हैं, उन, जलती बेटियों ,बिकती रोटियों, सड़ती लाशो , गलती माँसो, रोते किसानो,मरते जवानो, या यों कहें.... इस पूरे 'राष्ट्र' से... शायद तभी ,'दर्द' होता है... इनके विनाश पर... और लिखता हूं ... विनाश कर्ताओ के विरुद्ध जिससे तुम 'हमें' उपाधि देते हो..... सरकार ,धर्म , देश या, समाज विरोधी का... तुम्हारे दिए,ये सभी उपाधि सहर्ष स्वीकार करता हु ... और, शपथ लेता हु.... आगे भी लिखता रहुगा.... प्रलय के, अंतिम क्षणों तक, तुम्हारे उपाधियों के 'फिक्र,' किये बगैर..... -©कुमार दुष्यंत #NojotoQuote #shapath
Rahul Mishra
सरल भाषा में कहा जाए तो हर अपराध के दो पहलू सदैव होते हैं. पहला अपराधी और दूसरा पीड़ित !! आप पीड़ित को न्याय तब तक नहीं दिलवा सकते जब तक अपराधी को सज़ा ना हो जाए. जब जब पीड़ित के बारे में बात होगी तब तब अपराधी के बारे में भी बात की जाएगी. क्या यह मुमकिन है कि हम काले हिरण पे चर्चा करें और सलमान ख़ान का ज़िक्र तक ना हो? क्या ये मुमकिन है कि 9/11 की बात हो और ओसामा बिन लादेन को अनदेखा कर दिया जाए? मगर आज आप चाहते हैं कि हम अपराधियों की बात ना करें. आप चाहते हैं कि कठुआ की बात ना की जाए क्योंकि बलात्कारियों को बचाने के लिए निकला झुंड आपकी राजनैतिक विचारधारा का है. आप चाहते हैं कि उन्नाव की बात ना की जाए क्योंकि यहाँ बलात्कारी ही आपकी चहेती पार्टी का है? आप को यह समझना होगा कि आप धीरे धीरे अपनी ही बहन बेटियों के लिए खराब माहौल बना रहे है. आपका चहेता नेता कल को आपकी चहेती बेटी के साथ भी दुष्कर्म कर सकता है. किसी औरत को देख कर "टंच माल" कहने वाला आपका नेता कल को आपकी बहन को भी इसी तरह से संबोधित कर सकता है. "लड़के हैं !! ग़लतियाँ हो जाती है" बोलते हुए आपका दूसरा चहेता नेता आपकी बेटी के साथ भी वही ग़लती कर सकता है. इसलिए यह ज़रूरी हो गया है कि बुराई का विरोध किया जाए. अगर बुराई आपके धर्म में है, तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपके घर में है तो उसका विरोध कीजिए. अगर बुराई आपकी पसंदीदा पार्टी में है तो उसका भी विरोध कीजिए. पार्टी या किसी नेता के प्रति भक्ति भाव त्याग कर अपने विवेक से काम लें और ग़लत को ग़लत कहने का साहस करें. मैं जानता हूँ कि विचारधारा की लड़ाई में सही ग़लत तय करना कठिन होता है मगर जो आपको साफ साफ ग़लत नज़र आ रहा है कम से कम उसका तो विरोध कर ही सकते हैं? आपने शंभूनाथ रैगर को अपना हीरो मान लिया? क्यों? क्योंकि उसके द्वारा की गयी नीच हरकत आपकी विचारधारा से मेल खाती थी. आपने गोडसे को "महात्मा" की उपाधि दे दी क्योंकि उसके द्वारा की गयी हत्या आपकी विचारधारा को सही प्रतीत हुई. हर अपराधी किसी एक विचारधारा के हिसाब से हीरो बनाया जा सकता है. बिन लादेन भी कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होगा. पूरी दुनिया उसकी कितनी भी खिलाफत कर ले मगर कुछ लोग ऐसे ज़रूर मिलेंगे जो बिन लादेन को हीरो मानते हैं और मानते रहेंगे. हमारे ही देश में कुछ लोगों की नज़रों में याक़ूब मेमन किसी हीरो से कम नहीं था क्योंकि उन लोगों की विचारधारा के हिसाब से याक़ूब ने जो किया वह सही था. अफ़ज़ल गुरु का समर्थन करने वाले बहुत से लोग हैं इस देश में क्योंकि अफ़ज़ल गुरु द्वारा किए गये अपराध उनकी विचारधारा की नज़र में सही थे. सलमान ख़ान पे दर्जनों अपराधिक केस क्यों ना चल रहें हो मगर "भाईजान के फ़ैन" उसको कभी ग़लत नहीं मानेंगे !! समय आ गया है जब आप अपनी पसंद और अपनी विचारधारा को किनारे रख कर सही और ग़लत में अंतर समझने का प्रयास करें. आप थोड़ी देर के लिए "भक्त", "वामपंथी", "खांग्रेस्सी" या "आपिये" वाले लेबल से खुद को बाहर निकालिए और ईमानदारी से अपराधियों का विरोध कीजिए. अगर किसी मुस्लिम द्वारा हिंदू लड़की का बलात्कार हो जाए तो वहाँ भी आप विचारधारा छोड़ कर हमेशा अपराधी का विरोध कीजिए चाहे वह आपकी चहेती पार्टी का या आपके अपने धर्म का क्यों ना हो. और यकीन मानों ऐसा करना ज़रूरी है. वरना जिस तरह कुछ लोगों के लिए गोडसे और कुछ लोगों के लिए लादेन जैसे लोग महात्मा बन गये हैं, वह दिन दूर नहीं जब कुलदीप सेंगर जैसे लोग भी महात्मा की उपाधि लेकर घूमेंगे और आप खुद से कभी नज़र नहीं मिला पाएँगे क्योंकि जब समय था तब आपने अपने पोलिटिकल एजेंडा के तहत उसका विरोध नहीं किया #justiceforasifa
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