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Shalini Nigam
"हादसा" वो भी "हसीन" ..ख्याल.. अच्छा है, "कोयले" को "कालिख" से परहेज ..मजाक.. अच्छा है ! ©Shalini Nigam #हादसा #हसीन #कालिख #मजाक #Love #Life #Nojoto #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine
R K Mishra " सूर्य "
तुम तो कच्चा सौदागर निकले अपना जीवन लुटाकर निकले देख अपने उजड़े हुए घर को जाने क्या क्या गवाकर निकले तुम तो कच्चा....... सेखी बघारते हो सिर्फ़ घर में अपने हाथों सब जलाकर निकले संस्कार नीलाम हुआ जिसके लिए उसकी अर्थी को सजाकर निकले तुम तो कच्चा....... क्यों रो रहे हैं ये मां बाप खूनी आंसू फुंसी को फोड़ा बनाकर निकले आग लगा था तो धुआं क्यों नहीं देखा "सूर्य" आज कालिख लगाकर निकले तुम तो कच्चा....... ©R K Mishra " सूर्य " #कालिख Sethi Ji Rama Goswami poonam atrey Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'
#कालिख Sethi Ji Rama Goswami poonam atrey Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'
read moreकवि मनोज कुमार मंजू
कालिख में हीरा मिलता है कोशिश करके देखो तो छट जायेंगे शूल राह के मंजिल को तुम खोजो तो ©कवि मनोज कुमार मंजू #कालिख #हीरा #शूल #मंजिल #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #Trip
Diwan G
कालिख नहीं थी चेहरे पे, कि हम कैसे पहचानते। काला दिल है सीने में उनके, आंखिर हम कैसे जानते। ©Diwan G #कालिख #काला #दिल #हम #दिवानजी
जीtendra
कालिख शराफत की ऐसी पुती है दामन पर, जिंदगी जीना भी लोगों ने दूभर कर दिया... #कालिख #शराफत #जिंदगी #जीना #लोगों #दूभर #दामन #दामन_दागदार
PANDIT SURENDER DOGRA
उसने मेरे मुंह पे मल दी कालिख जमाने की हम जिसके साथ निभाते रहे बारहा नेकी ये दुनिया का दस्तूर है #नेकी #कालिख #जमाने
shreya upadhayaya
तेरे कहे हुए शब्द वो स्याही हैं जो लिखने की कलम के लिए नही पोतने की कालिख के हकदार हैं पर ऐसे तोहफे के लिए हम नाशुक्रगुजार हैं कड़वे सच के लिए माफी🙏 पर आपने ही पूछा मैंने ऐसा क्या कहा? ©shreya upadhayaya #कालिख sonali sajeev gaTTubaba Irfan Saeed Writer IshQ परस्त {Official} Anshu writer
#कालिख sonali sajeev gaTTubaba Irfan Saeed Writer IshQ परस्त {Official} Anshu writer
read moreअभिजित त्रिपाठी
जो भी उसको देख ले जीभर, सच में पागल हो जाता है। उसकी आँखों को छू करके, कालिख काजल हो जाता है। ©अभिजित त्रिपाठी #कालिख #काजल #पागल #इश्क #मोहब्बत #प्यार
राजेश गुप्ता'बादल'
राजनीति के कुछ हथकंडे जीते तो कुछ हारे हैं। काजल की काली कोठरी मैं हाथ सभी के काले हैं। फिसलना हिस्से था जनता के इधर नहीं तो उधर सही, दूध का धुला कोई नहीं सब मोटी चमड़ी बाले हैं। #राजनीति #चुनाव #दिल्ली #चुनाव_परिणाम #हथकंडे #कालिख
रजनीश "स्वच्छंद"
सपने लिखूं या सच लिख दूँ।। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। इक्षा लिखूं या लिखूं समीक्षा,, प्रश्न उठा क्या यक्ष लिख दूँ। मैं विरह वेदना क्लेश लिखूं, मैं पाप पुण्य या द्वेष लिखूं। भूत लिखूं या लिखूं भविष्य, आरम्भ अंत या शेष लिखूं। छद्मवर्णीय जग लिख दूँ, या निजमन पशु-भेष लिखूं। संचित सांस्कृत्य लेख लिखूं, या इसका बचा अवशेष लिखूं। राजनीत की दिशा लिखूं, या दशा दिनकर-समकक्ष लिख दूँ। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। प्रसव वेदना नार की पीड़ा, मृत्यु-क्षण या बाल की क्रीड़ा। दुग्धरहित छाती ममता की, कष्टनिवारन और समता की। औषधिरहित विज्ञान लिखूं, या थोथा कोई ज्ञान लिखूं। जीवन को कोई तंत्र लिखूं, या मृत्यु को गणना यंत्र लिखूं। कालिख पोत जो कोठर बैठा, तमद्वार खोल प्रत्यक्ष लिख दूँ। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। श्वेत वस्त्र सब धार रहे, मन की कालिख हैं झाड़ रहे। मैं मति लिखूं या गति लिखूं, या दैवरूपा को सती लिखूं। रवि संग बन राम मैं जगता हूँ, बन मारीच निज को फिर ठगता हूँ। अब युक्ति रही उपयुक्त नहीं, है कलम भी दाग से मुक्त नहीं। भाव कहाँ निष्पक्ष हुए, कैसे हो संजय सा दक्ष लिख दूँ। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। ©रजनीश "स्वछंद" सपने लिखूं या सच लिख दूँ।। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। इक्षा लिखूं या लिखूं समीक्षा,, प्रश्न उठा क्या यक्ष लिख दूँ। मैं विरह वेदना क्लेश लिखूं,
सपने लिखूं या सच लिख दूँ।। सपने लिखूं या सच लिख दूँ, बोलो किसका मैं पक्ष लिख दूँ। इक्षा लिखूं या लिखूं समीक्षा,, प्रश्न उठा क्या यक्ष लिख दूँ। मैं विरह वेदना क्लेश लिखूं,
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