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अर्पिता
कब तक दिखावे वाली जिंदगी जिओगे, कभी तो असल जिंदगी से वाकिफ़ होओ, खुले आसमाँ में पीपल के नीचे बैठो थोड़ी देर, कभी तो उन पत्तों की सरसराहट भरी बातें सुनों, कभी तो अपने घर की बोरवेल से दूर हेण्डपम्प से हाथ मिलाओ, अरे हाथ क्या,हम तो लुमट भी लेते हैं कभी कभी, अपने बचपन को याद करके, स्टील के लोटा गिलास को छोड़ कभी तो अपने दोनों हाथों को इकट्ठा कर पानी की मिठास का आनंद लो, सड़के क्या बन गयी है, वो तो ठीक है, पर अपनी गाड़ी को विराम देकर, अपने पैरों को थोड़ा कष्ट दो, थोड़ा बाहर टहलने तो निकलो, आसपास के एहसास को छुओ तो सही, कब तक दिखावे वाली ज़िन्दगी जीते रहोगें, कभी तो असल जिंदगी से वाक़िफ़ होओ.... ©अर्पिता #वाकिफ़
Juhi Grover
सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था, कि खुद भी खुद से शायद पराया होता जा रहा था। हो चुका था दूर वो अपनी ही इन्सानियत के रंग से, इन्सान हो कर भी इन्सान से दुश्मनी निभा कर के, जानवर का रंग उस पर खूब यों चढ़ता जा रहा था, कि जानवर से भी वो गया गुज़रा होता जा रहा था। कैसे कोई वाकिफ़ हो उस वक़्त की दुर्दशा के रंग से, जब इन्सान ही खुद सना हो यों इन्सान के ही रंग से, दौड़ में पैसों की क्यों अब ये अन्धा होता जा रहा है, कि क्यों खुद का ही वो क़त्ल होते देखता जा रहा है? क्यों निकलना नहीं चाहता बाहर इस अन्धी दौड़ से, क्यों इन्सानियत को ज़ख्मी कर अपने ही स्वार्थ से, क्यों धर्मान्धता की ओर स्वार्थवश बढ़ता जा रहा है, क्यों बिन सोचे समझे पुतला बन चलता जा रहा है? सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था,
सना हुआ था इस तरह वो अपने ही खून के रंग में, सुर्ख लाल सा उसका तन-मन सपनों की लाशों से, बस दिन-ब-दिन अपना ही ईमान खोये जा रहा था, कि अपनों को ही अब पराया समझता जा रहा था। रंग रहा था खूब खुद को अब वो शोहरत के रंग में, अपनों सपनों के शोर से परे अजनबी महफ़िलों में, ज़िन्दगी को अपनी बेजान होते देखता जा रहा था,
read morePankaj Singh Chawla
बहुत ख़ामोशी से सब झांक कर चले जाते है, करता है कोई इन्तज़ार तुम्हारा बेसब्री से, इस बात से वाकिफ़ होकर भी अनजान बन जाते है।। #ख़ामोशी #इंतज़ार #वाकिफ़ #अनजान #yqbqbq # yqdidi #yqpowrimo #pchawla16
#ख़ामोशी #इंतज़ार #वाकिफ़ #अनजान #yqbqbq # yqdidi #yqpowrimo #pchawla16
read morePankaj Singh Chawla
जिसे देने वाला कभी नही समझ सकता, सहने वाला ही समझ सकता है, गर सहा है कभी दर्द तो मेरे दर्द से वाकिफ़ होकर देख, हज़ारों जख्म है दफ़न तेरी महोब्बत में करीब होकर देख, मैंने देखा है तुझको मुस्कुराते हुए अकेले में, तू क्या जाने दर्द किसी का कभी तन्हाई से वाकिफ़ होकर देख। #दर्दकीभाषा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #pchawla16 #दर्द #वाकिफ़
#दर्दकीभाषा #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #pchawla16 #दर्द #वाकिफ़
read moreतुषार"आदित्य"
खलीफ़ाओ से लड़ने कीशों को ले गए। इंसान की फितरत से वाकिफ़ थे राम। खलीफ़ाओ से लड़ने कीशों को ले गए। इंसान की फितरत से वाकिफ़ थे राम। #राम #ख़लीफ़ाओं #कीशों #इंसान #फितरत #वाकिफ़ #थे Pic-: navbharttimes
Palsi(पल सी)
वाकिफ़ तो हुआ मैं तेरे एहसास-ए-ख़याल से पर अफ़सोस तब तक बहोत देर हो चुकी थी। मैं डूब चूका था... और कोई तिनका भी न था सहारे के लिए। वाकिफ़ तो हुआ मैं तेरे एहसास-ए-ख़याल से पर अफ़सोस तब तक बहोत देर हो चुकी थी। मैं डूब चूका था... और कोई तिनका भी न था सहारे के लिए। #वाकिफ़ #एहसास-ए-ख़याल #अफ़सोस #तिनका #yqbaba #yqdidi #tpmd #yopowrimo #palsi
Sonia Thakur
वाकिफ़ तो हुआ मैं तेरे एहसास-ए-ख़याल से पर अफ़सोस तब तक बहोत देर हो चुकी थी। मैं डूब चूका था... और कोई तिनका भी न था सहारे के लिए। वाकिफ़ तो हुआ मैं तेरे एहसास-ए-ख़याल से पर अफ़सोस तब तक बहोत देर हो चुकी थी। मैं डूब चूका था... और कोई तिनका भी न था सहारे के लिए। #वाकिफ़ #एहसास-ए-ख़याल #अफ़सोस #तिनका #yqbaba #yqdidi #tpmd #yopowrimo #palsi
krishnadasi
अब हालात ये है कि......... अपनों को ही....... अपने हालातों से वाकिफ़ कराना पड़ता है...... क्योंकि बातें मिलने से ज्यादा फ़ोन पर होती है......... ©krishnadasi #वाकिफ़ #SAD
Dineshvaishnav901
तेरी 'चाहत' के जादू से तू खुद नही वाकिफ़.., महाकाल.. ये उसे भी "जीना" सीखा देती है., जिसे जीने का शौक न हो..!!✍ दिनेश वैष्णव 901 💞 🌹जय श्री महाकाल जी🌹 ©Dineshvaishnav901 तेरी 'चाहत' के #जादू से तू खुद नही #वाकिफ़.., महाकाल.. ये उसे भी "जीना" सीखा देती है., जिसे #जीने का #शौक न हो..!!💞 🌹जय श्री महाकाल जी🌹 #rayofhope
तेरी 'चाहत' के #जादू से तू खुद नही #वाकिफ़.., महाकाल.. ये उसे भी "जीना" सीखा देती है., जिसे #जीने का #शौक न हो..!!💞 🌹जय श्री महाकाल जी🌹 #rayofhope
read moreabhisri095
Broken उसके जवाब से वाकिफ़ हूँ मैं तू मेरी जिद्द देख फिर भी सवाल पूछुंगा.... वो करेंगी बेइज़्ज़त फिर से मुझे मैं फिर भी उसका हाल पूछुंगा.... ©abhisri095 #वाकिफ़