हमको भी वो मिले, मोहब्बत बेहिसाब करके;
जज्बात तुझको क्या मिला खुद को खराब करके !
जीत जाते गर वो तेरी हर्फ़-ए-गजल रही होती;
तुम तो हारे सिर्फ अपनी जिन्दगी किताब करके !!
उसी कुर्बत ने तेरी चादरे नीलाम कर डाली;
दामन को छिपाया जिनके खुद को नकाब करके!! #शायरी#कृष्णेत#krishnet