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Nidhi Varshney

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Arpit Mishra

जब नाव जल में छोड दी 
तूफान में ही मोड़ दी 
दे दी चुनौती सिंधु को 
फिर धार क्या मंझधार क्या 

कह मृत्यु को वरदान ही 
मरना लिया जब ठान ही 
जब आ गये रणभूमि में 
फिर जीत क्या फिर हार क्या 

जब छोड़ दी सुख की कामना 
आरंभ कर दी साधना 
सघर्ष पथ पर बढ़ चले 
फिर फूल क्या अंगार क्या 

संसार का पी, पी गरल 
जब कर लिया मन को सरल 
भगवान शंकर हो गए 
फिर राख क्या श्रंगार क्या




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©Arpit Mishra हरिवंश राय बच्चन

हरिवंश राय बच्चन #Poetry

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Arpit Mishra

चाँदनी छत पे चल रही होगी, 
अब अकेली टहल रही होगी।

फिर मेरा जिक्र आ गया होगा, 
वो बरफ़-सी पिघल रही होगी।

कल का सपना बहुत सुहाना था,
 ये उदासी न कल रही होगी।

सोचता हूँ कि बंद कमरे में, 
एक शमआ-सी जल रही होगी।

शहर की भीड़-भाड़ से बचकर, 
तू गली से निकल रही होगी।

आज बुनियाद थरथराती है, 
वो दुआ फूल-फल रही होगी।

तेरे गहनों-सी खनखनाती थी,
बाज़रे की फ़सल रही होगी।

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया,
उनमें मेरी ग़ज़ल रही होगी।







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©Arpit Mishra दुष्यंत कुमार

दुष्यंत कुमार #Shayari

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Arpit Mishra

प्रासादों के कनकाभ शिखर,
होते कबूतरों के ही घर,
महलों में गरुड़ ना होता है,
कंचन पर कभी न सोता है।


रहता वह कहीं पहाड़ों में,
शैलों की फटी दरारों में।


उड़ते जो झंझावतों में,
पीते जो वारि प्रपातो में,
सारा आकाश अयन जिनका,
विषधर भुजंग भोजन जिनका,


वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं,
धरती का हृदय जुड़ाते हैं.











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©Arpit Mishra Rashmirathi

Rashmirathi #Poetry

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Abhishek tripathi#chgr@c

एक दफा हमारी याद नहीं आई बाहों में
 तब भीं लिए थे भर...

 हम खुश है देख लो अब रोशनी से भर दिया है 
 हमने अपना घर...

©Abhishek tripathi#chgr@c #standout
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ಸುನೀತಾಲಕ್ಷ್ಮೀ (ಯುವ ಕವಯಿತ್ರಿ)

ನಮಗೆ ಶಕ್ತಿಯಾಗಿದ್ದವರೇ
ನಮ್ಮ ಶತ್ರುಗಳಾದಾಗ
ಕನಸು - ಕಂಟಕ..
ಮನಸು - ಮಾರ್ಮಿಕ...
ಬದುಕು - ಭಯಾನಕ....!!

©ಸುನೀತಾಲಕ್ಷ್ಮೀ (ಯುವ ಕವಯಿತ್ರಿ)
  #standout
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Arpit Mishra

भोर बेला ,नदी तट की घंटियों का नाद।
चोट खा कर जग उठा सोया हुआ अवसाद।
नहीं, मुझ को नहीं अपने दर्द का अभिमान---
मानता हूँ मैं पराजय है तुम्हारी याद।








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©Arpit Mishra अज्ञेय

अज्ञेय #Poetry

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Arpit Mishra

मैं शून्य पे सवार हूँ
बेअदब सा मैं खुमार हूँ
अब मुश्किलों से क्या डरूं
मैं खुद कहर हज़ार हूँ

मैं शून्य पे सवार हूँ
मैं शून्य पे सवार हूँ

उंच-नीच से परे
मजाल आँख में भरे
मैं लड़ रहा हूँ रात से
मशाल हाथ में लिए
न सूर्य मेरे साथ है
तो क्या नयी ये बात है
वो शाम होता ढल गया
वो रात से था डर गया

मैं जुगनुओं का यार हूँ
मैं शून्य पे सवार हूँ






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©Arpit Mishra
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Arpit Mishra

शून्य हृदय में प्रेम-जलद-माला कब फिर घिर आवेगी?
वर्षा इन आँखों से होगी, कब हरियाली छावेगी?
लम्बी विश्व कथा में सुख की निद्रा-सी इन आँखों में-
सरस मधुर छवि शान्त तुम्हारी कब आकर बस जावेगी?










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©Arpit Mishra jayshankar prasad

jayshankar prasad #Love

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Arpit Mishra

चारुचंद्र की चंचल किरणें, 
खेल रहीं हैं जल थल में, 
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है 
अवनि और अम्बरतल में। 
पुलक प्रकट करती है धरती, 
हरित तृणों की नोकों से, 
मानों झूम रहे हैं तरु भी, 
मन्द पवन के झोंकों से ॥







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©Arpit Mishra #standout
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Radhika S

कभी कभी अपनो की
खुशी के लिए इंसान को 
उन फैसलों के आगे भी 
झुकना पड़ता है 
जिसमें उसकी मर्जी 
नहीं मजबूरी होती है। 



🌞🌼GOOD MORNING🌼🌞


💯🥀🕊

©Radhe Krishna
  #standout
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