तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं
तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं
तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं
थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं
हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये
अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें
मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे
थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे #Poetry