कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे, मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे, लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते, मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से।— % & कई शाम-ऐ गुजार दी एक इंतज़ार के पीछे, मेरी मुकरा अपनी हर बात से नीचे, लम्हा-दर-लम्हा दिल से कहीं कई तहमते, मैं बिखरा भी अपनी ही वजह से। #alexcollections #alexcollection #alex