#OpenPoetry बेअदब न हो बधाई न जीत सा अहसास हो, दिलों को जोड़ने से देश होगा,बस एक कागजी फरमान न हो,अपनेपन का हो सन्देश न व्यंग न उपहास हो। हम हिमालय की गोद में चोटी से लेकर घाटी तक,हम ठहरे हुए समुन्द्र से नदी सतत बहती जाती तक, हम हल जोतते कन्धों से गोलियां खाती छाती तक, हम एक रेखा से बंधे, बटे हुए भांति भांति तक। ताकत के वहम मे बह न जाये ये भारत की भावना, जो अपने हैं नही वो लाजमी दुश्मन नही, लकीरों को मिटा सकें जो मन से कुछ इस तरह प्रयास हो।। हम आज तक हैं खड़े, आगे बढ़े जब के सब हैं गिर चुके हम लड़े नही हैं लोभ वस या जमीं की चाह में, साथ जो चले थे वो थक कर गिर चुके हैंर राह में अपना गवां सब दूसरों की चाह में,बस ये भावना आगे बढ़े के लालच न हो सन्यास हो। #370 #कश्मीर #भाईचारा