इशारों पे यहां क़दमों की आहट होती है, और इंसानों को चुप्पी की आदत होती है, हरकते यहां पे उंगलियों की मोहताज होती है, हम कठपुतलियों में ये बात आम होती है। एक हुकुम के गुलाम हम पुतले ही मिलते है, हमारे कदम दूसरों के निशान पे चलते है, हाथ बांध के खड़े क़दमों पे शाम होता है, खता किसी की पर जुबानों पे हमारा ही नाम होता है, हम कठपुतलियों ये बात आम होता है। जुबान छीन लिए है मुझसे मेरे चिल्लाने को, तरस गया है दिल छुट्टी के बहाने को, रोते काठो का यहां कोई हिसाब नहीं होता है, रुला के खेलने वालों का मन सुकून से सोता है, हम कठपुतलियों का अपना जुनून ही छोटा है। यहां काठ भी खुद को सबसे मजबूत समझते है, जो कमजोर है अक्सर वहीं ज्यादा तनते है, परिस्थितियों में खुद को साबित करना एक कला है, पर साबित करने को परिस्थितियां बनाना सही कहां है, अंधी कदमों पे चलना हम कठपुतलियों का जहां है। कठपुतली देखते ही आपके मन में क्या विचार आता है। कठपुतली एक लेखक के मन को कैसे उद्वेलित करती है। लिखें YQ DIDI के साथ। #कठपुतली #collab #yqdidi ... YourQuote Baba के सीक्रेट न्यूज़लेटर को सब्सक्राइब करने के लिए bio में दिए लिंक पर क्लिक करें। #YourQuoteAndMine