White ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है कभी मिलकर नहीं होना जुदा है मेरे मासूम दिल की यह दुआ है तुम्हारे प्यार में पीछे पड़ा है करो अब माफ़ भी जिद पर अड़ा है ज़माना इस तरह दुश्मन हुआ यह सभी को लग रही मेरी ख़ता है जहाँ की आदतें बदली नहीं हैं मेरा दिल इसलिए पीछे मुडा है तुम्हीं बढ़कर हमारा हाथ थामों ज़माना तो छुडाने पे तुला है निभायेगी वही क़समें वफ़ा की वही दिल की हमारे अब दवा है न माँगूं प्यार की मैं भीख उनसे हाँ मेरे साथ भी मेरा खुदा है प्रखर की ज़िन्दगी का फैसला भी उन्हीं की मर्ज़ी पर आकर रुका है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल मुहब्बत हो गई तो क्या बुरा है मुहब्बत ही ज़मानें में ख़ुदा है