मौन की निनाद.. निकली थी एक शिक्षिका बनने.. बच्चों को और खुद को जानने.. मौन पहले भले ही भाते हों मुझे, पर अब अब, मैं निनाद हूं, किसी संगीतालय के बाधयंत्र की नहीं, और न ही ____ गायिका/गायक के कंठ की; अपितु अपने अंतःकरण की। पहुंची परीक्षालय इम्तिहान हेतु.. जहां दरवाजे से लटकता बड़े अक्षरों में लिखा मिला_ __please,keep quiet! ढाई घंटे का समय मिला, तक़रीबन दो घंटे तक जूझती रही प्रश्न_पत्रों से। अब और मौन रहा न जा रहा। ढूंढी मैने.. मौन में ही आधुनकिता की निनाद.. टक् _टक्_ट्क सी.. तक़रीबन १००से अधिक शिक्षार्थियों के कोमल हाथों से चलाए जा रहे कम्प्यूटर keyboard की गुनगुनाहट भरी निनाद.. shampoo की बुलबुले सी... चाय की सुस्की सी... काफ़ी जतन से ढूंढी थी, खुद मौन रहकर, मौन के बीच से ये प्यारी सी निनाद मैंने। फिर गुजारी पूरी वक्त मैंने.. इसी मौन भरी सुरीली निनादों के बीच..... _Meri lekhni ©Beauty Kumari #hindikavita #hindilitreture #पंक्तियां #Identity