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"परीक्षा की घड़ी" समस्या आन पड़ी है, मुसीबत की घड़

"परीक्षा की घड़ी"
समस्या आन पड़ी है, मुसीबत की घड़ी है।
जान आफत में पड़ी है, चारों ओर से घिरे खड़ी है।

परीक्षा जीवन की एक कड़ी है, समझो तो इसे बहुत बड़ी है।
मेहनत के आगे सदा नरम पड़ी है, हौसलों के आगे कब अड़ी है।

जैसे जाला बुनती मकड़ी है, शिकार को बड़ी ही चालाकी से जकड़ती है।
वह उलझता ही जाता है, परेशानियों में हर पल घिरता ही जाता है।

जिस प्रकार समुद्र की लहरों से किनारे नहीं डरा करते,
इस प्रकार उद्यमी पुरुष समस्याओं से डरा नहीं करते।

माना कि तूफानों में कश्तियां डोल जाती है,
परंतु मांझी को आगे बढ़ने से लहरें रोक नहीं पाती हैं।

©Shishpal Chauhan
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