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चारपाई ****** एक दिन बड़े भाव से बोली मेरी चारपाई भ

चारपाई
******
एक दिन बड़े भाव से
बोली मेरी चारपाई
भोजन थोड़ा कम करो
मैं टूट परूँगी भाई।

मैंने पांव पसारा बोला
माँ लेती है मेरी बलाई
तुम ही थोड़ी चौरा हो लो
क्यों देती है ये दुहाई?

थोड़ा चूं-चाँ करके बोली
 दुस्सासन बोल मुझे वो तौली
भारी हो तुम टन भर ऐसे
बंद करो ये भाषण बोली।

एक तो तेरे काम मैं आऊं
भीतर से खटमल कटबाउं
सेहत मेरी बिगड़ गई है
बृद्धा सी मैं लटक गई हूँ

तझको कोई ध्यान नही है
सिवा पेट सम्मान नहीं है
तीन मन हो खाना खाते
लटक मुझी में हो सो जाते।

आने दो तेरी घरवाली
वो होगी जो नखरे वाली
देखेगी मुझको नफरत से
तब होगी मेरी रखवाली।

मैं भी जरा तुनक के बोला
खून मेरा थोड़ा था खौला
कल ही तुझको बेच मैं आता
पलंग लगा फिर मैं सो जाता।

चारपाई का मान घटा फिर
सेवा का अरमान घटा फिर
करवट लेते ही चर्राई
धम्म से गिरा वो मोटा भाई।

बोली कमर न होगी सीधी
वैद्य बुलाओ, करो कोई विधि
तुमने जो अपमान किया है
मैंने भी दम साध लिया है

चारपाई ने सुसाइड कर ली
चारो पांव बिखड़ के चल दी
मैं निगोड़ा हांफ रहा था
दर्द के उसको भांप रहा था

उस रात मैं सो ना पाया
पौवे से लिपट चिल्लाया
ताऊ जी दौड़े से आए
देख खटिया दो लात जमाए।


दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #alone #चारपाई  #हास्य #हिंदी
चारपाई
******
एक दिन बड़े भाव से
बोली मेरी चारपाई
भोजन थोड़ा कम करो
मैं टूट परूँगी भाई।

मैंने पांव पसारा बोला
माँ लेती है मेरी बलाई
तुम ही थोड़ी चौरा हो लो
क्यों देती है ये दुहाई?

थोड़ा चूं-चाँ करके बोली
 दुस्सासन बोल मुझे वो तौली
भारी हो तुम टन भर ऐसे
बंद करो ये भाषण बोली।

एक तो तेरे काम मैं आऊं
भीतर से खटमल कटबाउं
सेहत मेरी बिगड़ गई है
बृद्धा सी मैं लटक गई हूँ

तझको कोई ध्यान नही है
सिवा पेट सम्मान नहीं है
तीन मन हो खाना खाते
लटक मुझी में हो सो जाते।

आने दो तेरी घरवाली
वो होगी जो नखरे वाली
देखेगी मुझको नफरत से
तब होगी मेरी रखवाली।

मैं भी जरा तुनक के बोला
खून मेरा थोड़ा था खौला
कल ही तुझको बेच मैं आता
पलंग लगा फिर मैं सो जाता।

चारपाई का मान घटा फिर
सेवा का अरमान घटा फिर
करवट लेते ही चर्राई
धम्म से गिरा वो मोटा भाई।

बोली कमर न होगी सीधी
वैद्य बुलाओ, करो कोई विधि
तुमने जो अपमान किया है
मैंने भी दम साध लिया है

चारपाई ने सुसाइड कर ली
चारो पांव बिखड़ के चल दी
मैं निगोड़ा हांफ रहा था
दर्द के उसको भांप रहा था

उस रात मैं सो ना पाया
पौवे से लिपट चिल्लाया
ताऊ जी दौड़े से आए
देख खटिया दो लात जमाए।


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