मेरे दुखो का मेरी पीड़ाओं का मूल स्त्रोत ये मेरा मन ही हैँ क्योंकि इसके केंद्र पर अहंकार का तत्व हैँ और परिद्धी पर वासनासो का जाल हैँ दुख सृजित करने केलिएइस मन को बड़े आयोजन करने पड़ते हैँ दैत्याकार मंसूबो के पहाड़ो पर चढ़ना पड़ता हैँ वासना की अँधेरी गलियों से होकर गुजरना पड़ता हैँ क्रोध और प्रलोभनो की कर्कश ध्वनियो को आत्मसात करना पड़ता हैँ i दुखो का मूल स्त्रोत........