हा उनसे जुद़ा होकर मैं ख़ुद बिख़रा जरूर था, पर इसका मतलब यह नहीं कि मैं तुट गया था। हुई थी दो पल के लिएं नफ़रत ख़ुद से मुझे पर, मैंने पाया ख़ुद को कि मैं किसके काबिल था। याद़ है मुझे वो लम़्हा जब उनका साथ मेरा था, मैंने अनजानें में ही उनको बहुत तड़पाया था। आज़ जाकर समझ आया कि वो मेरी गलती थी, कि हुएं हम उनसे ऐसे जुद़ा जब उनके साथ होना था। — % & कुछ़ लम्हे मेरा ख़ुद के साथ बिताने भी जरुरी था, गुनाह किया तो मेरा उनसे बिछड़ना भी जरुरी था। नहीं मालूम था कि वो मेरे इतने कऱीब आ गएं थे, कि अब उनसे नज़रे मिला पाना भी मुमकिन ना था। बहुत यादें थी हमारी जो मुझे पल पल सताती है, पर क्या करता मैं जब मेरा ख़ुद पर ही काबू ना था। जो होता है वो अच्छे के लिएं ही होता है ऐसा कहीं लिखा था,