निंदिया रानी नित नई सुबह से मिलवाती प्रतिदिन निशा को प्रातः से जोड़ती यात्रा थकावट से शुरू करती फिर ताज़गी की तीर ठहरती निंदिया रानी हमें सुलाती कभी बीते कल से मिलाती तो कभी आगामी पल से जोड़ती भविष्य का संकेत है देती कभी हैरानी का तोहफा है देती निंदिया रानी हमें सुलाती नित रात्रि ऊर्जा का संचयन है करती आगामी दिन तरो ताज़गी से भरती असम्भव को भी संभव कर दिखाती तो कभी मनचाही डगर दिखाती निंदिया रानी हमें सुलाती विश्राम की परिधि से घिरी सच्चाई और कल्पना से घिरी इसके आगे सब है शून्य शून्य में भी कभी पहुंचाती निंदिया रानी हमें सुलाती कहानी की डोर से विचारों के छोर से गुजरती हुई भोर से सवेरे के छोर पर निद्रा रानी हमें पहुंचाती सांसों की रफ्तार को थामती सपनो की सैर कराती निद्रा रानी हमें सुलाती लकी चंद्रा #निंदिया रानी