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बेसब्र हूं, अभी थोड़ी ख़ामोश हूं, उमंगों की तरंग

बेसब्र हूं,
 अभी थोड़ी ख़ामोश हूं,
 उमंगों की तरंग मन में भ्रमित हो रही, 
उस पल का इंतेज़ार है,
जब नया सवेरा होगा,
सूरज की  किरणों को मै स्पर्श कर लूंगी।
कलरव करती उन पपिहो जैसे खुले आसमान में उड़ सकूंगी।
जहां काले बादल भी मुझे देख छलक उठेंगे।
गुंजन करती भौरों से मेरी मुलाकात होगी।
जहां रंग बिरंगी तितलियों के रंग में रंग जाऊंगी।
नदी की धारा के साथ मै भी मिल जाऊंगी।
हरियाली की अनुपम छटा जहां बिखरी हुई होगी।
कोयल की कूक से बातें होंगी।
हवाओं की सरसराहट को ख़ुद में क़ैद कर लूंगी।
वहां की गुलिस्तां में मौजूद पुष्पों की सुगंधि महसूस कर सकूंगी
जहां कोई बंदिशे नहीं होगी, कोई मायाजाल ना होगा।
बस प्रकृति की गोद में प्रेम के गीत गुनगुना रही होंगी।
बस इस पल का इंतजार है। #bestmoment
बेसब्र हूं,
 अभी थोड़ी ख़ामोश हूं,
 उमंगों की तरंग मन में भ्रमित हो रही, 
उस पल का इंतेज़ार है,
जब नया सवेरा होगा,
सूरज की  किरणों को मै स्पर्श कर लूंगी।
कलरव करती उन पपिहो जैसे खुले आसमान में उड़ सकूंगी।
जहां काले बादल भी मुझे देख छलक उठेंगे।
गुंजन करती भौरों से मेरी मुलाकात होगी।
जहां रंग बिरंगी तितलियों के रंग में रंग जाऊंगी।
नदी की धारा के साथ मै भी मिल जाऊंगी।
हरियाली की अनुपम छटा जहां बिखरी हुई होगी।
कोयल की कूक से बातें होंगी।
हवाओं की सरसराहट को ख़ुद में क़ैद कर लूंगी।
वहां की गुलिस्तां में मौजूद पुष्पों की सुगंधि महसूस कर सकूंगी
जहां कोई बंदिशे नहीं होगी, कोई मायाजाल ना होगा।
बस प्रकृति की गोद में प्रेम के गीत गुनगुना रही होंगी।
बस इस पल का इंतजार है। #bestmoment
shwetasingh4802

shweta singh

New Creator