Autumn जवाहर हो जवाहर ही रहोगे, उजागर हो उजागर ही रहोगे, तुम्हीं से है उजाला ज़िन्दगी में, दिवाकर हो दिवाकर ही रहोगे, अंधेरी रात भी तुमसे है रौशन, सुधाकर हो सुधाकर ही रहोगे, मिटाते रहोगे साम्राज्य भय का, प्रभाकर हो प्रभाकर ही रहोगे, डराकर काम लेता जो हमेशा, निशाचर हो निशाचर ही रहोगे, मिटे अज्ञानता कर दो उजाला, विभाकर हो विभाकर ही रहोगे, चखो इक बूँद सा सागर 'गुंजन', हो रत्नाकर तो रत्नाकर रहोगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #उजागर ही रहोगे#