#किसान#गीत#Nojoto#nojotohindi
जो घनघोर बरसता है और आसमान से लड़ता क्यूं है
सूरज से आंख लिए लड़ता फिर भले चांद से डरता क्यूं है
सांझ ढले तक देह खरोंचे
रे भोर तले तक नींदों को नौंचे
माटी है बाहर, भीतर है माटी
दिन रात पसीना माटी से पौंछे
जो भरता है पेट ,पेट को #Poetry