#आँसू, #क्रंदन और #अतिउल्हास के बीच लैंडर विक्रम की छोटी असफलता पर दिल तो दुखा चांद छुने की हसरत थी ,तो धड़का है जिया। पास जाकर के भी भटका, उर क्रंदन है किया। तेरी छूअन के सुख की ,मेरी जो चाहत थी। तेरा दीदार ना किया,दिल तो मेरा टूटा था। मैं तो आया था करीब , तू भी कर बढ़ाया होता। चाँद विक्रम के मिलन का क्या नज़ारा होता। मेरी चाहत हे चाँद ,तुझे तो पाऊंगा, मैं तेरे साथ जरूर इक जहां बसाऊंगा। कुछ और इम्तिहान भी,तो अगर बाकी है। फिर जुटेंगे नहीं हारे , ये देश झांकी है। स्वपना सुंदर एक महल सजा, ना जाने तेरी क्या थी रजा। वो महल वहां पर टिक ना सका, तो दिल तो क्रंदन करता है।