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उस दिन- बराए पाक़ इनायत तिरी हौसला-ए-फिज़ा-ए-सुकून

उस दिन-
बराए पाक़ इनायत तिरी
हौसला-ए-फिज़ा-ए-सुकून की ख़ातिर
तेरे दरवाजे पर 
तेरे ही करीब, किया था दरयाफ़्त जो
करके मना तुमने
देकर रूख़सत 
किस कशमकश में फिर 
भर्रायी-सी इक आवाज से  
बुला लिया था वापस...
  
किस बंधन से लगकर गले  
किन लम्हों के नाम मेरे
चराग़-ए-उम्मीद रौशन किया?

@manas_pratyay #Belated_Happy_Hug_Day #parting_aroma
© Ratan Kumar
उस दिन-
बराए पाक़ इनायत तिरी
हौसला-ए-फिज़ा-ए-सुकून की ख़ातिर
तेरे दरवाजे पर 
तेरे ही करीब, किया था दरयाफ़्त जो
करके मना तुमने
देकर रूख़सत 
किस कशमकश में फिर 
भर्रायी-सी इक आवाज से  
बुला लिया था वापस...
  
किस बंधन से लगकर गले  
किन लम्हों के नाम मेरे
चराग़-ए-उम्मीद रौशन किया?

@manas_pratyay #Belated_Happy_Hug_Day #parting_aroma
© Ratan Kumar