जिंदगी अब गुलामी सी लगती है, ये सांसे अब मेहरबानी सी लगती है, खुशियां हर पल आती है मुझसे मिलने, और अलविदा कह कर निकलने लगती है। अब तो चप्पे चप्पे पर वक्त का पहरा है, मेरे ही अंदर किराए पर वो ठहरा है, मुझसे हर वक्त वो वक्त की दरकार करता है, और मेरे ही नसीब का वो चहरा है। लहरें पताकाओं को छूकर मुझको बुलाती है, मन बहुत विचलित है यादें क्यों दोहराती है, इन लम्हों से परे भी कोई लम्हा अपना मिलेगा मुझे, बस अब मन इसी बात पर राज़ी है। लोगों ने अब ध्यान देना छोड़ दिया है, हमने भी अब फ़िक्र करना छोड़ दिया है, तू खुद आयेगा अगर लगेगा की कुछ छूट गया है, मैंने भी रेतों से घर बनाना छोड़ दिया है। रेत के घर #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdidichallenge #yqbabachallenge #yqbhashkar